इस बार के समर वेकेशन को बनाना चाहते हैं कुछ ख़ास तो क्यों न इस बार सैर की जाए बर्फीली घाटियों की। जी हाँ दोस्तों मैं बात कर रही हूँ लद्दाख की। जहाँ की खूबसूरत हसीन वादियां आपके समर वेकेशन में चार चाँद लगा देगीं। रूईनुमा बर्फ से ढकी लद्दाख की वादियां पर्यटकों को बेहद आकर्षक दृश्य का नज़ारा कराती हैं। जिन्हें देख पर्यटक आश्चर्यचकित रह जाता है।
अगर आप ट्रेकिंग, स्कीइंग के शौक़ीन हैं तो लद्दाख आपके लिए बेहद रोमांचक स्थल है। जहाँ की रूहानी वादियां, संस्कृति आपके दिल को छू जाएगी। यहाँ आप सुन्दर कलात्मक शैली वाली बौध्य गुफाएं भी देख सकते हैं जिनकी महीन नक्काशी से आप आश्चर्यचकित रह जायेंगे। तो चलिए सैर करते हैं बेहद आकर्षक लद्दाख की।
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लद्दाख
लद्दाख अपनी खूबसूरत वादियों, बर्फीली घाटियों, शांत वातावरण, अनूठी संस्कृति, कलात्मक शैली, शिल्प कला और रीति-रिवाज़ों के लिए विश्व भर में मशहूर है। सुन्दर झीलें और मठ, मन को सम्मोहित कर देने वाले परिदृश्य और पहाड़ की चोटियाँ यहाँ की आकर्षक विशेषताएँ हैं।
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लेह महल
लद्दाख का लेह महल सिंगे नामग्याल ने बनवाया था। यहाँ आप भगवान बुध्द के जीवन से जुड़े चित्रों को देख सकते हैं। महल की इमारत ल्हासा में पोताला पैलेस, जो की तिब्बत में है, की तरह है।
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लेह मस्जिद
इस मस्जिद को देलदन नामग्याल अपनी माँ की याद में बनवाया था जो मुस्लिम थीं। यह मस्जिद 17 वीं शताब्दी की कलात्मक शैली का बेजोड़ नमूना है।
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गोस्पा तेस्मो
गोस्पा तेस्मो (बौध्द मठ, शाही मठ) लद्दाख के दर्शनीय स्थलों में से एक है। इस मठ में महात्मा बुध्द की विशाल प्रतिमा इस मठ की खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है।
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स्टॉक पैलेस म्यूज़ियम
स्टोक पैलेस, राजा सेस्पाल तोंडुप नामग्याल द्वारा 1825 में निर्मित किया गया था। इस म्यूज़ियम में पुराने सिक्के, शाही मुकुट, शाही परिधान व अन्य शाही वस्तुएँ, लद्दाख के चित्र आदि आप देख सकते हैं।
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शे बौद्ध मठ
इस बौध्द मठ में महात्मा बुध्द की एक विशाल प्रतिमा है जो पीतल की बनी हुई है। इस प्रतिमा का स्वरुप इस मठ में चार चाँद बिखेर देता है जिसे देखने के लिए दूर दूर से पर्यटक आते हैं।
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शंकर गोंपा
शंकर गोम्पा को शंकर मठ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ ग्यालवा, चोंकवा, महात्मा बुद्ध व चंडाजिक की मूर्तियां आप देख सकते हैं। इस जगह की दीवारों और दरवाजों को, मंडलों, बौद्ध भिक्षुओं के लिय तय नियम क़ानून और तिब्बतन कैलेंडर से पूरी भव्यता के साथ चित्रित किया गया है।
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ठिकसे मठ
ठिकसे मठ लेह के खूबसूरत व आकर्षक स्थलों व मतों में से एक हैं। यहाँ महात्मा बुध्द की एक विशाल मूर्ति है जो दर्शनीय है।
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काली मंदिर
स्पितुक मठ जम्मू कश्मीर के लद्दाख में स्थित है। इसे स्पितुक गोम्पा के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ माँ काली के साथ देवता 'जिगजित' की मूर्ति स्थापित है। यहाँ आकर पर्यटकों को कई ऐसी जानकारियाँ प्राप्त होंगी जिससे उन्हें बौद्ध धर्म से और ज्यादा रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा।
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लद्दाख शांति स्तूप
शांति स्तूप, जम्मू एवं कश्मीर में लेह के चंग्स्पा के कृषि उपनगर के ऊपर स्थित है, जिसका निर्माण शांति संप्रदाय के जापानी बौद्धों ने कराया था। यहाँ महात्मा बुद्ध की अनुपम प्रतिमा स्थापित है। लेह आने वाले पर्यटक इस स्थान तक जीप और टैक्सियों के माध्यम से पहुँच सकते हैं।
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गुरुद्वारा पत्थर साहब
गुरुद्वारा पत्थर साहब लेह के आकर्षक दर्शनीय स्थलों में से एक है जहाँ पर्यटकों की भीड़ उमड़ी रहती है। यहाँ एक शीला पर मानव आकृति उभरी हुई है। ऐसा माना जाता है कि यह आकृति सिखों के प्रथम गुरु नानकदेवजी की है।
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कारगिल
लद्दाख का दूसरा सबसे बड़ा क़स्बा कारगिल है। कारगिल को अगास की भूमि के नाम से भी जाना जाता है। कारगिल, अपने मठों, खूबसूरत घाटियों और छोटे टाउन के लिए लोकप्रिय है। इस स्थान पर कुछ महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण और बौद्ध धर्म के धार्मिक केंद्र जैसे सनी मठ, मुलबेख मठ और शरगोल मठ स्थित हैं।
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लद्दाख के प्रमुख उत्सव
लद्दाख उत्सव- गाल्डन नमछोट, बुद्ध पूर्णिमा, दोसमोचे और लोसर नामक त्यौहार पूरे लद्दाख में बड़ी धूम-धाम से मनाए जाते है और इस दौरान यहाँ पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है। दोसमोचे नामक त्यौहार दो दिनों तक चलता है जिसमें बौद्ध भिक्षु नृत्य करते हैं, प्रार्थनाएँ करते हैं और क्षेत्र से दुर्भाग्य और बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए अनुष्ठान करते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है ‘साका दावा' जिसमें गौतम बुद्ध का जन्मदिन, बुद्धत्व और उनके नश्वर शरीर के ख़त्म होने का जश्न मनाया जाता है। इसे तिब्बती कैलेंडर के चौथे महीने में, सामान्यतः मई या जून में मनाया जाता है जो पूरे एक महीने तक चलता है। Image Courtesy:rajkumar1220
कैसे जाएँ
वायु मार्ग द्वारा- लद्दाख हवाई अड्डा, गंतव्य तक पहुँचने के लिए सबसे निकटवर्ती एयर बेस है जो राज्य के सभी महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है। हालाँकि जम्मू हवाई अड्डा, जम्मू और कश्मीर का प्रमुख एयर बेस है जो देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है जैसे नई दिल्ली, मुंबई, पुणे, चेन्नई आदि की तरह कुछ और भी नाम हैं। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली, लद्दाख को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उसी तरह जोड़ता है।
रेल मर्द द्वारा- लद्दाख में कोइ रेलवे स्टेशन नहीं है। लेह के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन ‘जम्मू तवी' रेलवे स्टेशन है। जो कि लद्दाख से 680 किमी की दूरी पर स्थित है। जम्मू रेलवे स्टेशन, देश के दूसरे बड़े शहरों से जैसे नई दिल्ली, मुंबई, पुणे, चेन्नई आदि की तरह कुछ और भी नाम हैं, से भली प्रकार जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग द्वारा- लेह शहर तक पहुँचने के लिए श्रीनगर से बस सेवायें उपलब्ध हैं। दोनों शहरों की बीच की दूरी 438 किलोमीटर है। यह यात्रा दो दिनों में पूरी होती है। यदि आप श्रीनगर से बस द्वारा लेह जाना चाहते हैं,तो आपको अपनी यात्रा बस से सुबह शुरू करनी पड़ेगी और रात को कारगिल में ठहरना पड़ेगा। अगली दिन की शाम को आप लेह पहुंचेंगे। लेह शहर के लिए दिल्ली से भी मनाली होते हुए बस सेवा है। मनाली से लेह 467 किलोमीटर है। श्रीनगर से लेह की यात्रा करते हुए आप लाहौल घाटी का अभूतपूर्व नज़ारा देख सकते हैं।
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कब जाएँ
लद्दाख एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो भीषण सर्दियों के साथ जलवायु की चरम सीमा का अनुभव करता है। गर्मियाँ कुछ नर्म होती हैं और यात्री इस समय यहाँ आने के लिए अपनी यात्रा की योजना बना सकते हैं। लेकिन फिर भी यहाँ मई जून की छुट्टियों से लेकर नवम्बर तक जाया जा सकता है। इन्हीं दिनों में लद्दाख उत्सव भी संपन्न होता है।
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