ऊटी का वास्तविक नाम उदागमंडलम है और यह दक्षिण भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक भी है। पहाड़ों की रानी नीलगिरी में बसे ऊटी का नज़ारा मंत्रमुग्ध कर सकता है। तमिलनाडु में स्थित ये हिल स्टेशन 2,240 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस स्थल की आय पर्यटन, खेती, दवाओं के उत्पादन और फिल्मों की शूटिंग से होती है।
में सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक माना जाता है। हनीमून" loading="lazy" width="100" height="56" />भारत के पर्यटन स्थलों में सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक माना जाता है। हनीमून
सड़क मार्ग द्वारा
रूट 1 : नाइस बेंगलुरु - मैसूर एक्सप्रेसवे - कुंबलगोडू - बिदादी - रामनगर - चन्नापाटना - मंड्या - मैसूर - नानजंगुड - बेगुर - ऊटी (278 किमी - 6 घंटे)
रूट 2 : नाइस बेंगलुरु - मैसूर एक्सप्रेसवे - मलावल्ली - मैसूर - नानजंगुड - मैसूर - थेप्पाकडू में ऊटी रोड़ - एनएच 181 - ऊटी (280 किमी - 6 घंटे 30 मिनट)
रूट 3 : सीएनआर राव अंडरपास रोड़ / सीवी रमन आरडी - एनएच 75 - एनएच 150 ए - एनएच 766 - एनएच 181 - मैसूर - थेप्पाकडू में ऊटी रोड (316 किमी - 7 घंटे)
रेल मार्ग द्वारा - ऊटी का नज़दीकी रेलवे स्टेशन 40 किमी दूर कोयंबटूर का मेट्टूपाल्यम है। यहां से आपको आसानी से कैब मिल जाएगी। बैंगलोर से कोयंबटूर के लिए दिन में 5 एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं। इसके अलावा लंबी यात्राओं के लिए कोयंबटूर से सप्ताह में कुछ ट्रेनें भी चलाई जाती हैं। इसलिए आप बिना किसी दिक्कत के बड़े आराम से ऊटी पहुंच सकते हैं।
ग्रेप स्टॉम्पटिंग : रामनगर
सात पर्वतों के इस शहर में सुपरहिट फिल्म शोले की शूटिंग हुई है। यहां पर अंगूर के बाग भी हैं। नंगे पैर अंगूरों की स्टॉम्पिंग करने से पहले आरामदायक कपड़े पहनना ना भूलें।
आप यहां पर वाइट टूर पर भी जा सकते हैं और यहां की बढिया वाइन को चख भी सकते हैं। इसके अलावा इस खूबसूरत जगह पर आप ट्रैकिंग का मज़ा भी ले सकते हैं। रामनगर का टॉय टाउन चन्नापटना भी एक पर्यटन स्थल है।PC:Jeffrey Keeton
मद्दुर का मदुर वड़ा
बैंगलोर से ऊटी के रास्ते में यहां के स्थानीय व्यंजन मदुर वड़े का स्वाद लेना ना भूलें। इस व्यंजन का नाम मद्दुर शहर के नाम पर ही पड़ा है क्योंकि सिर्फ मद्दुर के लोग ही इसे बनाने की कला को जानते हैं। इसे बनाने में रवे में पानी की जगह प्याज का रस मिलाया जाता है जोकि इसे एक अलग ही स्वाद देता है।PC:Subhashish Panigrahi
श्रीरंगपटना
श्रीरंगपटना में आपको उम्मीद से ज्यादा मिलेगा। यहां पर प्रकृति, संस्कृति, धर्म और इतिहास का संगम देखने को मिलेगा। श्रीरंगपटना में अनके ऐतिहासिक स्मारक और संरचनाएं हैं जिन्हें मुगल काल और ब्रिटिश शासन के दौरान बनवाया गया था। यहां के मंदिर कई दिलचस्प महापुरुषों से संबंधित है और यहां पर आप वन्यजीव और प्राकृतिक सौंदर्य का मज़ा भी ले सकते हैं।
श्रीरंगपटन में में कई ऐतिहासिक शानदार संरचनाए हैं जिनमें से एक है टीपू सुल्तान और उनके माता-पिता का मकबरा। इस मकबरे पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। दरिया दौलत बाग में टीपू सुल्तान गर्मी में घूमने आया करते थे। इसके मंदिर मंदिर, बालामुरी झरना जैसी कई चीज़ें आप श्रीरंग पटना में देख सकते हैं।PC:Cchandranath84
ऐतिहासिक शहर मैसूर
मैसूर को आधिकारिक तौर पर माइसुरू के नाम से भी जाना जाता है। यह कर्नाटक के सबसे जनसंख्या वाले राज्यों में तीसरे नंबर पर आता है। ये शहर चामुंडी पर्वत की तलहटी में बेंगलुरू से दक्षिण-पश्चिमें 146 किमी दूर स्थित है।
मैसूर को इसकी प्राचीन संरचनाओं और महलों के लिए भी जाना जाता है जिसमें मैसूर महल और चामुंडी पर्वत जैसे कई नाम शामिल हैं। ये शहर दसारा उत्सव के लिए प्रसिद्ध है। इस त्योहार की तैयारी यहां एक सप्ताह पूर्व ही शुरु हो जाती हैं।
मैसूर दसारा, मैसूर पेंटिंग के साथ-साथ मैसूर पाक के लिए भी ये शहर लोकप्रिय है। यहां का मैसूर सैंडल सोप, माईसुरू सिल्क साड़ी जैसी कई चीज़ें भी मशहूर हैं।PC:Suvaisnav
नंजानगुड़ - धार्मिक स्थल
ये छोटा-सा गांव मैसूर से 50 किमी दूर स्थित है एवं यहां पर अनेक मंदिर और मठ हैं भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक नंजानगुड़ में स्थित है। यहां काबिनी नदी के तट पर स्थित नंजुनदेश्वर मंदिर बहुत शानदार है।
काबिनी नदी पर काबिनी तालाब भी बना हुआ है जोकि 190 फीट ऊंचा और 2,284 फीट चौड़ा है। नंजानगुड़ की ये जगह भी पर्यटकों को काफी पसंद आती है।PC:Rejenish
गुंडलूपेत के सूरजमुखी के खेत
चमारराजनगर जिले का छोटा-सा शहर है गुंडलूपेत जोकि नंजानगुड़ से 40 किमी दूर स्थित है। इस शहर में जुलाई के महीने में सूरजमुखी के फूल खिलते हैं और ये जगह इसी के लिए मशहूर है।
यहां पर मुख्य रूप से खेती होती है और अधिकतर किसान सूरजमुखी के फूल ही उगाते हैं जिनका निर्यात तेल बनाने के लिए मैसूर किया जाता है।
यहां पर स्थित सूरजमुखी के खेतों को देखकर आपको लगेगा कि आप कोई सपना देख रहे हैं। यहां पर आप पार्वती बेट्टा, मनचल्ली गुफा मंदिर जैसे कई अन्य मंदिर भी देख सकते हैं जोकि गुंडुलपेत में 10 किमी के अंदर स्थित हैं।PC: MikeLynch
बांदीपुर नेशनल पार्क
गुंडलूपेत से 25 किमी दूर स्थित उसी हाईवे पर है बांदीपुर नेशनल पार्क जोकि 1974 में बनाया गया था। इस ऐतिहासिक जगह पर मैसूर के राजा शिकार करने आया करते थे और अब बाघों की रक्षा के लिए इस स्थान को नेशनल पार्क में तब्दील कर दिया गया है।
इस पार्क में वन्यजीवों की कई प्रजातियां जैसे बोनर मकाक्यू, नीलगिरी लंगूर, स्ट्राइप नेक्ड मॉनगूज़, जंगली बिल्ली, बाघ, वाइल्ड बोर, चिताल, चीता आदि देख सकते हैं। सफारी का समय सुबह 6.30 बजे से 8.30 बजे और दोपहर के 3.30 बजे से शाम के 5.30 बजे तक है। इस नेशनल पार्क में घूमने का सबसे सही समय अक्टूबर से मई तक का है।
PC: Yathin S Krishnappa
मुदुमलई में ले सकते हैं ट्री हाउस का मज़ा
अगर आपको ट्री हाउस में रहने का शौक है तो मुदुमलई में आपका ये शौक पूरा हो सकता है। लकड़ी और बांस के पेड़ा से बने ये ट्री हाउस आपको प्रकृति के करीब ले जाएंगें। यहां पर आप मुदुमलई नेशनल पार्क भी जा सकते हैं जोकि बाघ संरक्षण केंद्र भी है। यहां पर कई जंगल सफारी, पक्षियों को निहारना और लोकल कैंप सर्विस द्वारा ट्रैकिंग का मज़ा ले सकते हैं।
इसके बाद अगली जगह ऊटी ही है।PC:Gautam Singh
ऊटी के बगीचे
ऊटी में कई खूबसूरत बगीचे हैं जिन्हें आपको जरूर देखना चाहिए। दोड्डाबेट्टा की ढलान पर स्थित ऊटी बोटानिकल गार्डन बहुत बड़ा और खूबसूरत है। प्रकृति प्रेमियों और तस्वीरें खींचने के शौकीन लोगों के लिए ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं है।
यहां का अनूठा बगीचा है थ्रेड गार्डन जहां पर शिल्पकारों द्वारा केवल धागे की मदद से आर्टिफिशियल फूल और पौधे लगाए गए हैं। ऊटी के सरकारी रोज़ गार्डन में भारत के गुलाब के फूलों की भरमार है।
PC:Adam63
पर्वत, झरने और चोटियां
ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपको ऊटी में नहीं मिलेगा। ऊटी के सबसे लोकप्रिय पर्यटन जगहों में कोलहट्टी झरना, कैथरिन झरना, दोड्डाबेट्टा श्रृंख्ला और दोड्डाबेट्टा पर्वत और टाइगर हिल्स आदि देख सकते हैं।
यहां पर कई खूबसूरत प्राकृतिक स्थल जैसे डॉल्फिन नोज़, ईको रॉक और लैंग रॉक और बिसाने घाटी भी हैं जहां का नज़ारा पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
ऊटी की अतुल्य झीलें
ऊटी आने वाले पर्यटकों को पाइकारा झील और झरना बहुत पसंद है। पाइकारा झील का नज़ारा बेहद सुंदर है और यहां पर टोड्डा, वन्यजीव और शोला पेड़ भी हैं। इस झील में आप बोटिंग भी कर सकते हैं जिसमें स्पीडबोट और मोटर बोट की सुविधा उपलब्ध है। इसका किराया 750-800 रुपए के बीच है।
मानव निर्मित ऊटी झील में भी आप बोटिंग कर सकते हैं और यहां पर मई के महीने में होने वाली बोटिंग रेस भी बहुत मशहूर है। एमरैल्ड झील और अवालांचे झील भी अन्य दो खूबसूरत झीलें हैं जो पेड़ों और पर्वतों से घिरी हैं।PC: Raghavan G