दक्षिण भारत स्थित कर्नाटक राज्य का राजधानी शहर बैंगलोर उर्फ सिलिकॉन वैली भारत का साइबर कैपिटल माना जाता है। यह शहर देश की एक बड़ी पढ़ी लिखी युवा आबादी का प्रतिनिधित्व भी करता है। अपनी आईटी इंडस्ट्री के लिए प्रसिद्ध यह शहर बड़े स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने काम भी करता है। इस शहर में आपको देश और विदेश की बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की शाखाएं दिख जाएंगी।
यह भारत का वो इकलौता शहर है जो बड़े स्तर पर सॉफ्टवेयर और सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट का निर्यात बाकी देशों में करता है। आईटी क्षेत्र के अलावा यह शहर प्राकृतिक और ऐतिहासिक तौर पर भी काफी ज्यादा मायने रखता है। दक्षिण भारतीय इतिहास और प्राचीन भवन निर्माण शैलियों को देखने के लिए यह शहर काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है।
अद्भुत आकर्षणों का शहर
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कर्नाटक के वन क्षेत्रों के अलावा आप बैंगलोर शहर के अंदर भी काफी ज्यादा हरियाली देख सकते हैं। भले ही यहां ऊंची-ऊंची गगनचुंबी इमारतों और बिल्डिंगों ने जगह ले ली है पर हरे-भरे पेड़ों की कतार आप यहां की हर शहरी गलियों में देख सकते हैं। साथ ही इस शहर ने अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को भी काफी संभाल कर रखा हुआ है।
विधान सौध ,बैंगलोर पैलेस, बैंगलोर किला, टिपू महल,अठारह कचेरी , देवनहल्ली किला, इत्यादि बैंगलोर शहर के चुनिंदा खास ऐतिहासिक स्थल माने जाते हैं।
इसी क्रम में हमारे साथ जानिए शहर के सबसे खास बैंगलोर पैलेस की उन खास बातों के बारे में जिनके जानकर आप इसे एकबार इसे देखने की तमन्ना तो जरूर करेंगे।
बैंगलोर पैलेस
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वैसे देखा जाए तो शहर में कई खूबसूरत ऐतिहासिक महल-किले मौजूद हैं लेकिन उन्हीं में से एक बैंगलोर पैलेस की भव्यता देखते ही बनती है। नव-द्रविड़ विधान भवन बैंगलोर पैलेस अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। ये विशाल भवन कभी 19वी शताब्दी में एक पूर्व शाही निवास रह चुका है। इंग्लैंड के विंडसर कासल की रूप रेखा पर इस संरचना को रेव.जे गैरेट ने बनवाया था, जो बैंगलोर में सेंट्रल हाई स्कूल (सेंट्रल कॉलेज) के पहले प्रधानाचार्य बने।
बैंगलोर पैलेस आज शहर के प्रमुख आकर्षणों में गिना जाता है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक आते हैं। आगे जानिए इस विशाल संरचना से जुड़े कई दिलचस्प तथ्य।
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पैलेस का संक्षिप्त इतिहास
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आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस विशाल संरचना को बनाने में 82 साल का वक्त लगा। जिसकी आधारशिला 1862 में रखी गई थी, जिसका निर्माण कार्य कई हाथों से होकर गुजरा और 1944 में जाकर खत्म हुआ। इस वर्ष के दौरान इस विशाल संरचना को आम जनों के देखने के लिए खोल दिया गया था।
बैंगलोर पैलेस की भव्यता के आकर्षित होकर मैसूर के महाराजा ने इस खरीद लिया था। मैसूर के महाराजा के बाद यह पैलेस मैसूर के ही शाही परिवारों के देखरेख में रहा। इस विशाल संरचना को सेंट्रल कॉलेज के पहले प्रधानाचार्य रेव.जे गैरेट ने बनवाया था।
इस विशाल संरचना को बनाने के लिए 45,000 वर्ग फीट की जमीन का इस्तेमाल किया गया । वर्तमान में यह महल और इसके आसापास का क्षेत्र लगभग 454 एकड़ में फैला है।
चंद हजार में खरीदा गया
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कहा जाता है कि 1873 में एक अंग्रेज अफसर द्वारा इस महल को मात्र 40,000 रूपए देकर खरीदा गया था, जो मैसूर के 23वें महाराजा चामाराजेन्द्र वाडियार का शिक्षा और प्रशासनिक प्रशिक्षण प्रभारी था। खरीदने के बाद इस महल को और भी आकर्षक बनाने के लिए कई निर्माण कार्य भी किए गए थे। महल को आकर्षक बनाने का निर्माण कार्य 1874 में शुरू किया गया और 1878 में काम पूरा किया गया था। बाद में कई ओर छोटे-मोटे निर्माण कार्य चलते रहे।
महल की संरचना
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महल का आंतरिक भाग खूबसूरत नक्काशियों से सजाया गया है, जिसमें ज्यादातर लकड़ी का प्रयोग किया गया है। महल की संरचना ट्यूडर और स्कॉटिश गोथिक का मिश्रण है। महल को संजाने के लिए बहुत से भौतिक साजो-सामान ब्रिटने से आयात किए गए थे। पैलेस के कमरों को भी काफी खूबसूरत तरीके से सजाया गया है, जिसमें आप हिंदू पारंपरिक शैली के अंश भी देख सकते हैं। महल के चारों ओर हरे-भरे बागों का निर्माण करवाया गया है।
पूर्ण रूप से महल, भ्रमण मात्र से ही एक लग्जरी अनुभव देता है। इसके अलावा इस महल के अंदर आप 19 वीं और 20वीं शताब्दी की चित्रकला भी देख सकते हैं। वाडियार साम्राज्य से जुड़ी कई तस्वीरों को आप इस महल में देख सकते हैं।
कैसे करें प्रवेश
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बैंगलोर पैलेस सदाशिवनगर और जयमहल के बीच शहर के केंद्र में स्थित है। सड़क, रेल या वायु मार्ग द्वारा आप बैंगलोर तक का सफर तय कर सकते है। कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें सीधे बैंगलोर शहर से जुड़ती हैं। बैंगलोर पहुंचने बाद आप बैंगलोर पैलेस मेट्रो, बस या कैब के द्वारा पहुंच सकते हैं।