हम हमेशा से ही ऐतिहासिक और प्रेरणा दायक गुफाओं को सराहते आये हैं और उनकी रचना से आश्चर्य चकित होते रहे हैं, पर आपने कभी यह जाना है कि इनकी उत्पत्ति के कारण क्या हैं, ये पहले कैसे आये? जी हाँ,चट्टानों को काट कर की गई इन वास्तुशैलियों के निर्माण की भी शुरुआत कहीं से हुई होगी। ऐसे ही कई सारे प्रश्नों और तथ्यों के साथ भारत में जटिल वास्तुशैली के साथ स्थित हैं कई ऐसी ही गुफ़ाएँ।
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और ऐसी ही प्राचीन जटिल रचनाओं में से एक है बिहार की बराबर गुफ़ाएँ जो अब तक समय के कई पहलुओं का सामना करे हुए शांति से खड़ी हैं। मौर्य काल से सम्बन्ध रखने वाली ये गुफ़ाएँ लगभग 322-185 ईसा पूर्व पुरानी है। इन गुफ़ाओं का उपयोग आजीविका संप्रदाय के संन्यासियों द्वारा किया जाता था जिनकी स्थापना मक्खाली गोसाला द्वारा की गयी थी, वे बौद्ध धर्म के संस्थापक सिद्धार्थ गौतम और जैन धर्म के अंतिम एवं 24वें तीर्थंकर महावीर के समकालीन थे।
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आज हम ऐसी ही अन्य दिलचस्प जानकारियों के साथ जायेंगे बिहार के इस प्राचीन गुफ़ा की यात्रा पर जिनका सम्बन्ध कई पुराने वंशों से है। तो चलिए रखते हैं हम एक कदम इस गुफ़ा के इतिहास की ओर।
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बराबर गुफाओं की ओर
बराबर गुफाएं, चार मुख्य गुफाओं का एक समूह है, जो बराबर पहाड़ियों पर स्थित है। चट्टानों को काट कर बनाई गई यह प्राचीन गुफ़ा हमें सीधे मौर्य वंश के काल में ले जाती है।
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बराबर गुफाओं की ओर
वैसे तो यहाँ की लगभग सारी गुफाएं बौद्धिक गुफ़ाएँ हैं पर आप यहाँ जैन और हिन्दू धर्म से भी जुड़ी कई मूर्तियां देख सकते हैं।
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बराबर गुफ़ाओं की कुछ दिलचस्प बातें
बराबर पहाड़ी पर मुख्यतः 4 गुफ़ाएँ हैं, लोमस ऋषि गुफ़ा, सुदामा गुफ़ा, करण चौपर और विश्व जोपरी।
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बराबर गुफ़ाओं की कुछ दिलचस्प बातें
बराबर गुफ़ाएँ बौद्ध भिक्षुओं के साथ-साथ जैन भिक्षुओं का भी वास स्थल है।
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बराबर गुफ़ाओं की कुछ दिलचस्प बातें
यहाँ बनी सारी गुफ़ाओं को विशाल ग्रेनाइट चट्टानों को काटकर बनाया गया है।
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बराबर गुफ़ाओं की कुछ दिलचस्प बातें
गुफ़ाओं में दो कक्ष हैं: एक आयताकार कक्ष जो धार्मिक सभा और मंडलियों के आयोजन के उद्देश्य से बनाया गया था और दूसरा छोटा सा कक्ष जो एक स्तूप की तरह है, प्रार्थना घर के रूप में बनवाया गया था। हालाँकि अब ये कक्ष खली पड़े हैं।
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बराबर गुफ़ाओं की कुछ दिलचस्प बातें
इन गुफाओं की एक अन्य दिलचप विशेषता है, यहाँ की दीवारें! जी हाँ, गुफ़ा की अंदरूनी दीवारें चिकनी और पॉलिश की हुई हैं। शायद इसलिए भी इस गुफ़ा ने अपनी वही पुरानी चमक अब तक खोई नहीं है।
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बराबर गुफ़ाओं की कुछ दिलचस्प बातें
यहाँ के लोमस ऋषि गुफ़ा की एक खास विशेषता है, चाप(आर्क) आकार में इसका प्रवेश द्वार जिसमें हाथियों के डिज़ाइन की नक्काशी की गई है। लोमस ऋषि गुफ़ा का सामने का यह भाग काफ़ी आकर्षक और खूबसूरत है।
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बराबर गुफ़ाओं की कुछ दिलचस्प बातें
बराबर गुफ़ाओं का निर्माण कार्य सम्राट अशोक के शासनकाल के समय में हमें ले जाता है। इसलिए आप सम्राट अशोक से जुड़े कई शिलालेख भी यहाँ पाएंगे।
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बराबर गुफ़ाओं की कुछ दिलचस्प बातें
बराबर गुफ़ा के पास एक और अन्य गुफ़ा भी स्थित है, नागार्जुनी गुफ़ा जो बराबर गुफ़ा से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दोनों ही गुफाएं एक ही समय की हैं इसलिए इन्हें एक साथ 'सतघर' के रूप में जाना जाता है।
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बराबर गुफ़ाओं की कुछ दिलचस्प बातें
नागार्जुनी गुफ़ा भी तीन गुफाओं के समूह को मिलाकर बनी है; वापिया-का-कुभा गुफा,वदिथी-का-कुभा गुफा और गोपी गुफ़ा।
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बराबर गुफ़ा पहुँचें कैसे?
बराबर गुफ़ा बिहार में पटना से बोध गया जाने के रास्ते पर ही पड़ता है। यह जहानाबाद जिले में आता है। यह बोधगया से लगभग 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और पटना के नज़दीक ही स्थित दिलचस्प पर्यटक स्थलों में से एक है।
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बराबर गुफ़ा पहुँचें कैसे?
आप यहाँ अपनी किसी निजी गाड़ी से ही पहुँच पाएंगे क्योंकि यहाँ तक के लिए सरकारी बस की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जैसा कि बराबर गुफ़ाएँ पहाड़ी की ऊंचाई पर स्थित है इसलिए पर्यटकों को सीढ़ियों द्वारा चढ़कर इस धरोहर तक पहुँचना होगा।
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बराबर गुफ़ा पहुँचें कैसे?
तो आप अब जब भी कभी पटना या गया की यात्रा पर जाएँ इस सबसे पुरानी चट्टानों को काट कर बनाई गई गुफाओं के दर्शन पर ज़रूर जाएँ। आप इन गुफ़ाओं में मौर्य काल का प्रभाव साफ़ देख पाएंगे।
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