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अगर इतिहास में है दिलचस्पी तो सैर करें भारत की 500 साल पुरानी ऐतिहासिक इमारतों की

By Khushnuma

बात जब सैर की आती है तो हम अक्सर अपने मिजाज़ के अकॉर्डिंग जगह ढूढ़ते हैं, वो चाहे फैमिली या फिर दोस्तों के साथ का सफर हो। कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो भारत की पुरानी और आलिशान ऐतिहासिक इमारतों के बारे में जानना चाहते हैं, देखना व इतिहास को करीब से महसूस करना चाहते हैं। ऐसे ही लोगों को इतिहास प्रेमी भी कहा जाता है तो क्या आप इतिहास प्रेमी हैं अगर हाँ तो चलिए हम आपको बताते हैं भारत के उन आलिशान ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जो 500 साल पुरानी हैं।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ हज़ारों साल पुराने ऐतिहासिक स्थल हज़ारों सालों की संस्कृति को दर्शाते हैं, जिन्हें देखके ये अहसास होता है कि भारत हज़ारों शताब्दी से ऐसे ही मिश्रित संस्कृति का देश रहा है जहाँ अनेकों रंग बिखरे नज़र आते हैं और यही रंग भारत को खूबसूरत बनाते हैं। किन्तु बहुरंगी सभ्यता एवं संस्कृति वाले देश के सभी आयामों को समझने का प्रयास इतना आसान नहीं है। जानिये कौन कौन सी हैं भारत की 500 साल पुरानी ऐतिहासिक इमारतें जो अपने आपमें इतिहास की कहानी बयान करती हैं।
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अगर इतिहास में है दिलचस्पी तो सैर करें भारत की 500 साल पुरानी ऐतिहासिक इमारतों की

Image Courtesy:Varun Shiv Kapur

मेहरानगढ़ किला

मेहरानगढ किला भारत के राजस्थान प्रांत में जोधपुर शहर में स्थित है। मेहरानगढ़ किला 500 से भी ज़्यादा पुराना है। यह किला भारत के सदियों पुराने किलों में से एक है और समृद्धशाली अतीत का प्रतीक है। आलीशान नक्काशियों वाला यह किला पथरीली चट्टान पर बना हुआ है जो ऊँची ऊँची दीवारों से घिरा हुआ है। इस किले में 8 द्वार (दरवाज़े) और अनगिनत बुर्ज हैं। इस आलीशान ऐतिहासिक किले को राव जोधा ने बनवाया था। जोधपुर के राजा रणमल की 24 संतानों मे से एक थे राव जोधा जो जोधपुर के पंद्रहवें राजा थे। राव जोधा जब राजा बने तो उन्हें लगा कि मंडोर का किला सुरक्षित नहीं है इसी वजह से उन्होंने इस किले को बनवाया। यह किला जिस पहाड़ी पर बना है उसे कभी भोर चिड़िया के नाम से जाना जाता था क्योंकि वहाँ काफ़ी पक्षी रहते थे। किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार किवाड़, जालीदार खिड़कियाँ और प्रेरित करने वाले नाम हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना, दौलत खाना आदि। इसके अतिरिक्त पालकियाँ, हाथियों के हौदे, विभिन्न शैलियों के लघु चित्रों, संगीत वाद्य, पोशाकों व फर्नीचर का आश्चर्यजनक संग्रह भी है।
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Image Courtesy:Petrusbarbygere

लाल किला

भारत का सबसे आकर्षक और फेमस किलों में लाल किला का नाम आता है। इस किले को जहांगीर के बेटे मुग़ल शासक शाहजहाँ ने बनवाया था। इस किले की दीवारें लाल पत्थर की हैं इसलिए इसे लाल किला नाम दिया गया। मुगल शासक शाहजहां ने 11वर्षों तक आगरा से शासन करने के बाद तय किया कि राजधानी को दिल्ली लाया जाए तभी यहां 1618 में लाल किले की नींव रखी गई। 1638 में लाल किले का निर्माण शुरू हुआ। इस आलीशान किले को बनने में 10 साल का वक्त लगा। किले का निर्माण इज्जत खान, अलीवर्दी खान, मरकामत खान, अहमद और हामिद आदि कलाकारों की देखरेख में हुआ। लगभग डेढ़ मील के दायरे में यह किला अनियमित अष्टभुजाकार आकार में बना है और इसके दो प्रवेश द्वार हैं लाहौर और दिल्ली गेट। दिल्ली में स्थित यह ऐतिहासिक क़िला मुग़लकालीन वास्तुकला की नायाब धरोहर है। इस किले के अंदर देखने लायक कई चीजें हैं। मोती मस्जिद, दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास देखने के लिए काफी लोग आते हैं।

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Image Courtesy:Nagarjun Kandukuru

ग्वालियर का किला

ग्वालियर का किला 15 वीं सदी में राजा मानसिंह ने बनवाया था। यह किला ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है। इस किले की ऊँचाई लगभग दस फीट है। तक़रीबन तीन बीघा जमीन पर यह किला बना हुआ है। किले के अंदर कदम रखते हीअंदर 3 मंदिर, 6 महल एवं जलाशय हैं। किले की दीवारें एकदम खड़ी चढ़ाई वाली हैं। यह किला उथल-पुथल के युग में कई लडाइयों का गवाह रहा है साथ ही शांति के दौर में इसने अनेक उत्‍सव भी मनाए हैं। इस किले के आकर्षण का केंद्र सास-बहू मंदिर और गुजरी महल है। इसमें मंदिर और म्यूज़ियम भी है। यह राजसी स्मारक भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है। पिछले 500 वर्षों से अधिक समय से यह किला ग्‍वालियर शहर में मौजूद है। यही वह स्‍थान है जहां तात्‍या टोपे और झांसी की रानी ने स्‍वतंत्र संग्राम का युद्ध किया। ग्वालियर शहर का प्रमुख्य स्मारक ग्वालियर किला भारत के सर्वाधिक दुर्भेद्य किलों में से एक है।

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Image Courtesy:Bgag

गोलकोंडा किला

गोलकोंडा किला काकतिया राजा ने हैदराबाद में बनवाया था। यह किला अपने समृद्ध इतिहास और राजसी भव्य संरचना के लिए जाना जाता है। गोलकुंडा कोल्लूर झील के पास हीरे की खान के लिए भी फेमस है। इस किले को हैदराबाद के सात आश्चर्य के रूप में जाना जाता है। गोलकोंडा किला अपने समय की 'नवाबी' संस्कृति का अद्भुत चित्रण है। गोलकोंडा किले को 17 वीं शताब्दी तक हीरे का एक प्रसिद्ध बाजार माना जाने लगा। इससे दुनिया को कुछ सर्वोत्तम ज्ञात हीरे मिले जिसमें 'कोहिनूर' शामिल है। गोलकोंडा किले की भव्य वास्तुकला देखने लायक है इस किले की दीवार को देख कर पता चलता है कि इसपर आकर्मण करने वाली सेना इसकी मज़बूती से घबराकर पीछे हट जाती होगी। आप यहां आकर आधुनिक श्रव्य प्रणाली के प्रभाव से चकित रह जाएंगे जो इस प्रकार बनाई गई है कि हाथ से बजाई गई ताली की आवाज़ बाला हिस्सार गेट से गूंजते हुए किले में सुनाई देती है। यहां ठण्डी ताजा हवा के झोंके सदा बहते रहते हैं चाहे बाहर आंध्र प्रदेश में गर्म हवा क्यों न चल रही हो।
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Image Courtesy:Os Rúpias

जैसलमेर किला

सुनहरे पत्थरों से बना जैसलमेर किला राजस्थान के आलीशान ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इस किले को राजा राव जैसल ने बनवाया था। ऊँची ऊँची दीवार वाले इस किले में चार प्रमुख प्रवेश द्वार हैं। इन प्रवेश द्वारों के नाम गणेश पोल, सूरज पोल, अक्षय पोल और हवा पोल हैं। किले के अंदर अनेक सुंदर हवेलियां भी हैं। यह दुनिया का सबसे बड़े किलों में एक है। जैसलमेर किले को सोनार किले के नाम से भी जाना जाता है। इस किले को भारत का दूसरा सबसे पुराना किला माना जाता है। किले में सबसे ज़्यादा आकर्षक जैन मंदिर, रॉयल पैलेस और बड़े दरवाजे हैं।
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Image Courtesy:Jean-Pierre Dalbéra

आगरा का किला

इस किले को सिकंदर लोधी ने आगरा में रहने के लिए बनवाया था। इस किले को यूनेस्को विरासत में दर्जा हासिल है। उत्तर प्रदेश के बेस्ट टूरिस्ट प्लेस में आगरा का यह लाल किला यमुना नदी के किनारे पर ही बसा हुआ है। यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण किला है। भारत के मुगल सम्राट बाबर, हुमायुं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां व औरंगज़ेब यहां रहा करते थे और यहीं से पूरे भारत पर शासन किया करते थे। इसकी चहारदीवारी 70 फीट ऊंची हैं। इसमें दोहरे परकोटे हैं, जिनके बीच-बीच में भारी बुर्ज बराबर अंतराल पर हैं, जिनके साथ साथ ही तोपों के झरोखे, व रक्षा चौकियां भी बनी हैं। इसके चार कोनों पर चार द्वार हैं, जिनमें से एक खिजड़ी द्वार है जो नदी की ओर खुलता है। इस महल का शीश महल भारत के सबसे खूबसूरत शीश महल में से एक है इसी शीश महल में हिन्दुस्तान की प्रसिद्ध फिल्म का प्रसिद्ध गाना 'प्यार किया तो डरना क्या' फिल्माया गया था। इस शीश महल की ख़ास बात यह है कि इसके शीशे में कई प्रतिकृति दिखाई पड़ती है। यही पर बैठकर अंतिम दिनों में शाहजहां ताजमहल को देखा करते थे।

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