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10 साल में बना था लाल किला

By Rupam D

10 साल में बना था लाल किला
दिल्ली का लाल किला राष्ट्रीय महत्व की इमारत तो है ही, यूनेस्को ने भी इसे 2007 में विश्व धरोहर घोषित कर दिया है। आइए बात करते हैं इस विशाल किले के बारे में। इस किले में आम आदमी के लिए दीवान-ए-आम भी बना था, खास लोगों के लिए दीवान-एभी, जहां शाही निजी कक्ष स्थापित है और जहां से यमुना नदी का किनारा बड़ा ही खूबसूरत दिखता था।

नमाज अदा करने के लिए मोती मस्जिद भी बनाई गई थी और सैर के लिए हयात बख्श बाग भी। किले में सांस्कृतिक कार्यक्रम करने वाले संगीतज्ञों के लिए भी एक महल बनाया गया था, जिसे नक्कारखाना कहा जाता था। 6 दरवाजों वाले इस खूबसूरत विशाल किले में उस समय तीन हजार लोगों के रहने की व्यवस्था थी।इतना विशाल है अपना लाल किला!

हर साल 15 अगस्त के दिन लाल किले पर प्रधानमंत्री जी तिरंगे को फहराते हैं। उसके बाद प्रधानमंत्री देश की जनता को संबोधित भी करते हैं, जिसका रेडियो-टीवी सभी से सीधा प्रसारण होता है।इस कारण काफी संख्या में दुनियाभर के पर्यटक यहां आते हैं, घूमते-फिरते हैं और शाहजहां की खूब तारीफ करते हैं, जिन्होंने इस किले का निर्माण करवाया था।

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Photo Courtesy: Ashutosh Srivastava

लाल किले के निर्माण कार्य की शुरूआत
शाहजहां का नाम तो आपने सुना ही होगा। हां, वही शाहजहां, जिन्होंने आगरा का ताजमहल बनवाया था। वे मुगल बादशाह थे। तब वे आगरा के लाल किले में रहते थे। उनकी इच्छा हुई कि इस किले को अपनी राजधानी दिल्ली में बनाया जाए। तो उन्होंने 1638 में अपनी राजधानी दिल्ली के शाहजहांनाबाद को बनाया, जो दिल्ली का सातवां शहर था। इसी साल बादशाह ने यहां लाल किला बनाने का आदेश दिया।

मुहर्रम के पवित्र महीने में 13 मई 1638 को इस किले का निर्माण कार्य शुरू हुआ। शाहजहां इस किले के निर्माण पर खुद ही नजर रखते थे। आपको तो मालूम ही है कि आगरा का ताजमहल यमुना नदी के किनारे है। शाहजहां ने इस किले का निर्माण भी यमुना नदी के किनारे करवाने का निर्णय लिया था। लाल बलुआ पत्थर से 10 वर्षों में इस किले का निर्माण कार्य पूरा हुआ। बादशाह 1648 में इस किले में रहने आए।

यह किला 2.4 किलोमीटर की चारदीवारी में बना हुआ है। किले का निर्माण 254.67 एकड़ क्षेत्रफल में हुआ है। किले की सुरक्षा को देखते हुए नदी की तरफ से चारदीवारी 18 मीटर ऊंची बनाई, जबकि अन्य सभी तरफ किले की दीवार 33 मीटर ऊंची बनाई गई।

यह किला छह भुजाकार है और सभी भुजाओं में एक-एक दरवाजा है। यानी कुल 6 दरवाजे हैं इस किले में। लाहौर गेट और दिल्ली गेट का नाम तो आपने सुना ही होगा। ये भी लाल किले के छह दरवाजों में शामिल थे। अब तो दिल्ली गेट भी आपको सड़क के बीच में टूटा-फूटा खड़ा नजर आता है लेकिन उस समय ये दोनों गेट आम आदमी के लिए थे।

यह किला पारसी, यूरोपियन और भारतीय कलाकारी का अद्भुत नमूना था। यूं तो शाहजहांनाबाद 1857 तक मुगलों की राजधानी रहा, लेकिन बीच-बीच में कई राजाओं ने हमला किया और लाल किले पर कब्जा किया। वे लोग किले से कई कीमती-कीमती चीजें भी ले गए। बाद में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस पर कब्जा कर लिया। जब देश आजाद हुआ तो यह किला भारतीय सेना की निगरानी में चला गया, जिसे 2003 में पर्यटन विभाग को दे दिया गया। आप अगर चाहें तो टिकट लेकर इस किले में जा सकते हो और सभी महलों, बाग-बगीचों को देख सकते हो।

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