पश्चिम बंगाल राज्य में हिमालय की शानदार पहाडियों की तलहटी में बसा है चलसा जोकि अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए बहुत मशहूर है। डुआर्स क्षेत्र में स्थित होने के कारण इसे डुआर्स के नाम से भी जाना जाता है जोकि असम का एक अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
घने जंगलों, घाटियों और चाय के बागानों, नदियों और तालाबों से घिरा ये पर्यटन स्थल बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और मनोरम है। चलसा का छोटा सा शहर जंगलों से घिरा है और यहां पर दो प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्य जैसे गोरुमारा नेशनल पार्क और छपरामारी वन्यजीव अभ्यारण्य स्थित है। इन जंगलों में वन्यजीवों की कई प्रजातियां जिनमें हाथी और राइनो शामिल हैं, पाई जाती हैं।
अगर आप किसी ऑफबीट जगह पर घूमना चाहते हैं तो छलसा आ सकते हैं। इसके साथ ही आप यहां लोकप्रिय स्थल बिंदु, डुआर्स, झलोंग और जलधाका आदि देख सकते हैं। चलसा में सप्ताह में एक बार मंगलाबाड़ी हाट मार्केट भी लगती है और डुआर्स में चलने वाली बसों का ये प्रमुख अड्डा भी माना जाता है।
चलसा आने का सही समय
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चलसा आने का सही समय मानसून के बाद और सर्दियों के महीनों में है। इस समय सितंबर से अक्टूबर तक मौसम बहुत सुहावना रहता है। जनवरी में ये क्षेत्र सबसे ठंडा रहता है और इस समय यहां का तापमान 10 से 1 डिग्री तक रहता है। आप सितंबर से मार्च के बीच चलसा घूमने आ सकते हैं।
कैसे पहुंचे चलसा
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सड़क मार्ग द्वारा : सिलिगुड़ी से 60 किमी दूर स्थित है चलसा। सिलिगुड़ी पश्चिम बंगाल राज्य का प्रमुख शहर है। चलसा आने का सबसे सही मार्ग सड़क द्वारा है और सिलिगुड़ी से आप अपने इस सफर की शुरुआत कर सकते हैं। यहां पर कई बसें और टैक्सी चलती हैं। इसके अलावा आप यहां खुद ड्राइव करके भी आ सकते हैं।
वायु मार्ग द्वारा : सिलिगुड़ी से 2 घंटे की दूरी पर स्थित बगडोगरा एयरपोर्ट चलसा से 75 किमी दूर ह। बगडोगरा के लिए नई दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी और चेन्नई आदि से नियमित बसें चलती हैं। आप एयरपोर्ट से सिलिगुड़ी होकर चलसा पहुंचने के लिए कैब या बस आदि ले सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा : सिलिगुडी राज्य आसपास के प्रमुख शहरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है और सिलिगुड़ी रेलवे स्टेशन ही इसका सबसे निकटतम स्टेशन है। नई जलपाईगुडी रेलवे स्टेशन प्रमुख रेलवे स्टेशन है जोकि कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, मुबई जैसे शहरों से जुड़ा हुआ है। एनजेपी और चलसा की दूरी 58 किमी है।
दर्शनीय स्थल - गोरुमारा नेशनल पार्क
इस पार्क में भारतीय गेंडों की आबादी बहुत ज्यादा है और इसे 1949 में वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया है। पूर्वी हिमालय में स्थित इस अभ्यारण्य के पास मूर्ति और राइदाक नदी भी हैं। इस क्षेत्र में घने जंगल और घास के साथ वन्यजीव देखने को मिलेंगे।
इस पार्क में कई प्रवासी पक्षियों और जानवरों की प्रजातियां जैसे एशियन हाथी, स्लोथ बियर, डीयर, इंडियन पायथन, किंग कोबरा और लुप्तप्राय प्रजातियां जैसे पिग्मी हॉग्स आदि देखने को मिलेंगें। गोरुमारा नेशनल पार्क चलसा से 14 किमी दूर है।
बिंदु
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भारत और भूटान की सीमा पर स्थित कलिंपोंग जिले का छोटा सा गांव है बिंदु। ये बहुत ही खूबसूरत जगह है जोकि भूटान और भारत के जंगलों और पहाडों में स्थित है।
बिंदु और बिंदु बांध पर जलढाका नदी पर्यटकों के बीच प्रमुख आकर्षण है। इस क्षेत्र में रहने वाली प्रजातियों और संस्कृति एवं रहन-सहन के बारे में भी आप जान सकते हैं।
छपरामारी वन्यजीव अभ्यारण्य
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चलसा और लतागुड़ी से 30 किमी दूर स्थित है छपरामारी वन्यजीव अभ्यारण्य जोकि गोरुमारा नेशनल पार्क के नज़दीक स्थित है। छपरामारी का नाम छपरा से आया है जोकि इस क्षेत्र में पाई जाने वाली एक छोटी सी मछली की प्रजाति है।
मारी का मतलब होता है प्रचुर। यहां पर आपको वनस्पति और जीवों की विविधता देखने को मिलेगी। इस अभ्यारण्य में हाथियों के साथ-साथ गेंडे, चीता और बोअर्स की संख्या काफी ज्यादा है।
लतागुड़ी
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गोरुमारा पार्क के बाहर जलपाइगुडी जिले में स्थित बेहद खूबसूरत जगह है लतागुड़ी। ये बहुत महत्वपूर्ण जगह है क्योंकि यहीं से गोरुमारा नेशनल पार्क और चमरामारी वन्यजीव अभ्यारण्य के लिए जाने का परमिट मिलता है।
जलढाका, जलबोंग और अलीपुरदुआर, मूर्ति नदी और बिंदु जैसी कुछ खूबसूरत जगहें आप इसके आसपास देख सकते हैं। यहां पर कई चाय के बागान और जंगल भी हैं जहां पर हाइकिंग कर सकते हैं।