Search
  • Follow NativePlanet
Share
» »इस सितंबर सैर हो जाये मंदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य की

इस सितंबर सैर हो जाये मंदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य की

अगर आप प्रकृति को करीब से जानना चाहते हैं या आपको प्राकृतिक नज़ारों को तस्‍वीरों में उतारने का शौक है तो मंदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य आपके लिए बिलकुल सही है।

By Namrata Shatsri

तुंगा नदी के किनारे स्थित मंदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य एक और घना जंगल है, जोकि 1.14 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है। अगर आप प्रकृति को करीब से जानना चाहते हैं या आपको प्राकृतिक नज़ारों को तस्‍वीरों में उतारने का शौक है तो ये जगह आपके लिए बिलकुल सही है।

मई के महीने में इस जगह पर आपाके करोड़ा पक्षी चहचहाते हुए मिल जाएंगें। इस अभ्‍यारण्‍य की एक छोटी-सी जगह पर तुंगा नदी बहती है जोकि बड़ी मात्रा में असंख्‍य पक्षियों को यहां आने के लिए आकर्षित करती है। पक्षियों के लिए यहां का वातावरण बहुत अच्‍छा है।

हरमुख चोटी की खूबसूरत व रोमांचक ट्रेक!हरमुख चोटी की खूबसूरत व रोमांचक ट्रेक!

अक्‍टूबर तक प्रजनन चक्र शुरु रहता है और जुलाई से सितंबर तक यहां आपको अलग-अलग क्षेत्रों के पक्षियों की 5,000 से भी ज्‍यादा प्रजातियां देखने को मिल जाएंगीं। प्रवासी पक्षियों में सबसे ज्‍यादा यहां पर डार्टर्स, मेडियन एग्रेट्स और ओपन बिल्‍ड स्‍ट्रोर्क्‍स पाए जाते हैं।

लुप्त होता जा रहा वुलर झील! लुप्त होता जा रहा वुलर झील!लुप्त होता जा रहा वुलर झील! लुप्त होता जा रहा वुलर झील!

मॉनसून के दौरान भारी बारिश के चलते तुंगा नदी पानी का स्‍तर बहुत बढ़ जाता है और इसी लिए इस समय यहां पर पक्षी पेड़ों की ऊंची टहनियों पर अपना घोंसला बनाते हैं। मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य का सौंदर्य इतना मनोरम है कि हर किसी को यहां तस्‍वीरें लेने पर मजबूर कर देता है। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने के लिए विशेषतौर पर यहां वॉचटॉवर पर एरियल की व्‍यवस्‍था की गई है। यहां पर कई ऐसी जगहें भी हैं जहां पर आप ट्रैकिंग का मज़ा उठा सकते हैं। गर्मियों के मौसम में नौका विहार करते समय मगरमच्‍छ भी देख सकते हैं।

मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य घूमने का सही समय
जुलाई से सितंबर के महीने में बड़ी संख्‍या में यहां कई तरह के पक्षी अपना डेरा डालते हैं। अगस्‍त का महीना यहां आने के लिए सबसे बेहतर है। वहीं सर्दी के समय में यहां का मौसम बहुत सुहावना रहता है।

कैसे पहुंचे मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य

कैसे पहुंचे मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य

सड़क मार्ग
बैंगलोर से शिवमोग्‍गा के बीच कई ट्रेनें चलती हैं। यहां पहुंचने में आपको लगभग 4-5 घंटे का समय लग सकता है। आने से पहले एक बार ट्रेन का शेड्यूल जरूर चैक कर लें। 100 से 300 रुपए के बीच में रेल का किराया देना पड़ता है। शिवमोग्‍गा से आप कैब या टैक्‍सी लेकर मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य पहुंच सकते हैं जिसकी दूरी 30 किमी है। मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य के आसपास रहने की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है इसलिए आप पहले से ही अपने रहने की व्‍यवस्‍था कर लें।

बस यात्रा
बेंगलुरू से शिवमोग्‍गा के लिए हर 30 मिनट में एक बस जाती है। इसका किराया 500 से 800 रुपए होता है। शिवमोग्‍गा से आप कैब या टैक्‍सी लेकर मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य पहुंच सकते हैं जिसकी दूरी 30 किमी है। इसका किराया 500 से 700 रुपए के बीच है।

वायु मार्ग
मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य कस निकटतम एयरपोर्ट मेंगलुरू इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जोकि यहां से 160 किमी दूर है। मेंगलुरू से यहां के लिए कई ट्रेनें और बसें चलती हैं।

सड़क मार्ग

सड़क मार्ग

बेंगलुरू से मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य की कुल दूरी 310 किमी है। रूट 1 और रूट 2 से लगभग 325 किमी और रूट 3 से 340 किमी की दूरी है।

रूट 1 : बेंगलुरू - सीएनआर अंडरपास - तिरूमाकुडालु नारासिपुरा सिरा रोड़ से एनएच 75 - सोरावानाहल्‍ली से एनएच 150 एक - बेदीवेस्‍ट - तिप्‍तुर से एनएच 73 - लिंगापुरा से एनएच 169 - मुदुबा बस स्‍टॉप - मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य

रूट 2 : बेंगलुरू - सीएनआर अंडरपास - हिरियुर से एनएच 48 - एसएच 24 से एनएच 206 - लिंगापुरा से एनएच 169 - मुदुबा बस स्‍टॉप - मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य

रूट 3 : बेंगलुरू - सीएनआर अंडरपास - छन्‍नागिरी से एनएच 48 और एनएच 369 - गांधी बाज़ार, शिवमोग्‍गा - मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य

आपको रूट 1 से जाना चाहिए क्‍योंकि इसमें मुश्किल से 6 घंटे का समय लगेगा। रूट 2 और रूट 3 दोनों में कह लगभग 6 घंटे 15 मिनट का समय लगेगा। वहीं रूट 1 पर आपको रास्‍ते में रूकने के लिए कई स्‍टॉप मिलेंगें।

कुनीगल

कुनीगल

यहां पहुंचने तक आपको रास्‍ते में कई खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलेंगें। आप चाहें तो कार भी किराए पर ले सकते हैं। ट्रैफिक से बचने के लिए बेंगलुरू से सुबह जल्‍दी निकलने की कोशिश करें। रास्‍ते में बैंग्‍लोरियन नाश्‍ते का मज़ा जरूर लें।

बेंगलुरू से 70 किमी की दूरी पर स्थित है कुनीगल शहर जोकि तुमकुर जिले में स्थित है। ये जगह संवर्धन खेतों के लिए मशहूर है। मुगल बादशाह टीपू सुल्‍तान यहां पर जंग के लिए अपने घोड़ों को प्रशिक्षण दिया करते थे। वहीं यहां पर किंगफिशर के मालिक माल्‍या का भी फार्म है जहां पर घोड़ों को दौड़ में हिस्‍सा लेने का प्रशिक्षण दिया जाता है।पहाड़ों पर स्थित श्री बेट्टादा रंनाथास्‍वामी मंदिर की वास्‍तुकला भी अद्भुत है। वहीं नरसिम्‍हा मंदिर और सोमेश्‍वर मंदिर भी दर्शनीय स्‍थल है। इन मंदिरों को देख आप इतिहास के बारे में जान सकते हैं।

तुरुवेकेरे

तुरुवेकेरे

पुराने समय में ब्राहृमणों को यहां पर निशुल्‍क आवास दिया जाता था। कुनीगल से ये जगह 60 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां पर होयसला मंदिर भी है। चेन्‍नाकेशावा मंदिर और मूले शंकारेश्‍वरा मंदिर देखना ना भूलें।

अरासिकेरे

अरासिकेरे

तुरुवेकेरे से और आगे 60 किमी की दूरी पर स्थित है तालाबों की रानी अरासिकेरे। कन्‍नड़ में अरासी का मतलब होता है रानी और तालाब कामतलब होता है केरे। गणपति उत्‍सव पर यहां बहुत धूम रहती है। इस उत्‍सव के दौरान आप यहां के सांस्‍कृतिक उत्‍सव और अन्‍य आयोजनों का लुत्‍फ उठा सकते हैं।

श्री कलामेश्‍वरा मंदिर और श्री सिद्धारामेश्‍वरा गड्डुगे मंदिर की शानदार शिल्‍पकला जरूर देखें। अगर आप नास्तिक हैं तो भी इन मंदिरों का सौंदर्य आपको मंत्रमुग्‍ध कर देगा।

कादुर

कादुर

अरासिकेरे से 40 किमी की दूरी पर स्थित है छिकमगालुर जिले का कादुर शहर। ये जगह सागौन और कॉफी के बागानों के मशहूर है। हिरण की एक प्रजाति कड़वा के नाम पर इस शहर का नाम पड़ा है। पहले यहां पर भारी मात्रा में इस प्रजाति के हिरण पाए जाते थे लेकिन ब्रिटिशों ने इनका शिकार इन्‍हें पूरी तरह से खज्‍तम कर दिया।

श्री रंगनाथास्‍वामी मंदिर भी एक दर्शनीय स्‍थान है। योगनरसिम्‍हा मंदिर भी आकर्षण का मुख्‍य केंद्र है। घने जंगलों से होकर 95 किमी की दूरी पर स्थित है मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य। मनदागड्डे पक्षी अभ्‍यारण्‍य के आसपास भी घूमने के लिए कुछ जगहें हैं।

गजानुर बांध

गजानुर बांध

शिवमोग्‍गा से 12 किमी की दूरी पर स्थित है गजानुर बांध। ये बांध तुंगा नदी के ऊपर बना है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य आपको मंत्रमुग्‍ध कर सकता है। मॉनसून से पहले इस जगह पर घूमने के लिए सबसे बेहतर समय है। सुबह के समय घूमने आएं।

सकरेबाइलु एलीफैंट कैंप

सकरेबाइलु एलीफैंट कैंप

कर्नाटक सरकार की वलह से इस जगह को सुरक्षित किया गया है ताकि यहां पर मनुष्‍य जानवरों का शिकार ना कर सकें। यहां पर हाथियों के खाने और रहने का पूरा ध्‍यान रखा जाता है। ट्रैकर्स भी यहां आ सकते हैं एवं यहां की एंट्री फीस बहुत कम है।

क्‍या साथ लेकर जाएं

क्‍या साथ लेकर जाएं

-एक कैमरा
-कम समय में असंख्‍य पक्षियों की तस्‍वीर लेने की क्षमता
-अपने साथ किसी ऐसे शख्‍स को ले जाएं जिसे प्रकृति से प्रेम हो।

तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X