दिल्ली में कई ऐसे ऐतिहासिक डेस्टिनेशन है, जहां दोस्तों, पार्टनर या फिर परिवार के साथ घूमा जा सकता है। लेकिन क्या आपको पता है कि दिल्ली के आसपास में भी काफी ऐसे ऐतिहासिक स्थान है, जो घूमने के लिए लिहाज काफी अच्छे स्थान है। जहां ना सिर्फ आप घूमने का आनंद ले सकते हैं बल्कि वहां पर जाने के बाद आप वहां के बारे में जान भी पाएंगे।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वो कौन सा स्थान है तो हम आपको बता दें कि हम हरियाणा के पानीपत की बात कर रहे हैं और आज हम आपको यहां के मुख्य पर्यटन स्थलों के बारे में भी बताएंगे। दिल्ली से महज 90 किमी. की दूरी पर स्थित पानीपत में ना सिर्फ आपको ऐतिहासिक स्थल देखने को मिलेंगे बल्कि इसके साथ ही आपको यहां पर कई धार्मिक स्थल भी मिलेंगे। इस शहर को लेकर किवदंती है कि महाभारत के युद्ध के दौरान पांडवों के द्वारा पांच शहरों को स्थापित किया गया था, जिनमें से एक पानीपत भी है।
काला अंब
काला अंब, पानीपत के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। यहीं पर पानीपत की तीसरी लड़ाई लड़ी गई थी, जो 1761 में अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली और पुणे के सदाशिवराव भाऊ पेशवा के तहत मराठों के बीच लड़ा गया था। कहा जाता है कि इस लड़ाई में यहां इतना खून बहा था कि यहां आसपास में स्थित पेड़ और जमीन काली पड़ गई थी। यहां पर काला अंब के नाम से एक स्तम्भ भी बनवाया गया है।
देवी मंदिर
यहां का देवी मंदिर भी काफी फेमस स्थानों में से एक है, जो बड़े तालाब के किनारे पर स्थित है। शहर के बीचों-बीच होने के कारण यहां पर काफी श्रद्धालु भी पहुंचते हैं। यह मंदिर करीब 250 साल (18वीं शाताब्दी) पुराना बताया जाता है। एक समय में यहां पर मराठों का वर्चस्व था। यहां पर मराठा योद्धा सदाशिव राव भाऊ और अफगान से आए आक्रमणकारी अहमदशाह अब्दाली के बीच दो महीने तक युद्ध हुआ था। यहीं पर तालाब के किनारे देवी की मूर्ति मिली थी फिर जब मंदिर बनवाने के लिए देवी की मूर्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया गया। सुबह होने पर देवी की मूर्ति नदी के किनारे ही मिली। इसके बाद देवी मंदिर इसी स्थान पर बनवाया गया।
इब्रोहिम लोदी की कब्र
पानीपत में आप इब्राहिम लोदी का मकबरा भी देख सकते हैं। यही पर मुगल शासक बाबर व दिल्ली सल्तनत के इब्राहिम लोदी के बीच पहली बार युद्ध हुआ था। इब्राहिम लोदी की कब्र आयताकार शेप में लाखौरी ईटों से बनाई गई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से इस मकबरे को संरक्षित घोषित कर दिया गया है।
बू-अली शाह कलंदर की दरगाह
बू-अली शाह कलंदर की दरगाह भी यहां पर काफी फेमस है। लोग यहां पर मन्नतें मांगने के लिए आते हैं और ताले लगाकर जाते हैं और फिर मन्नत पूरी होने पर ताला खोलते हैं। इस दरगाह की खासियत यह है कि यहां पर हिंदू-मुस्लिम में आपको फर्क देखने को नहीं मिलेगा। इस दरगाह को अलाउद्दीन खिलजी के बेटों ने बनवाया था।
काबुली बाग मस्जिद
काबुली बाग मस्जिद, पानीपत के कुटानी रोड पर स्थित है। ढाई से तीन एकड़ में बनी ये मस्जिद 1526 में इब्राहिम लोदी पर जीत हासिल करने की खुशी में बाबर ने बनवाया था। ये दिखने में काफी सुंदर भी दिखाई देता है।
और हां, एक खास बात... यहां पर गर्मी के सीजन में ना जाए क्योंकि यहां पर गर्मी अच्छी खासी पड़ती है। अगर आप सितम्बर से लेकर मार्च तक यहां घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो फिर ठीक है।
अपनी यात्रा को और भी दिलचस्प व रोचक बनाने के लिए हमारे Facebook और Instagram से जुड़े..