आंध्र प्रदेश स्थित राजमुंदरी भारत के प्राचीन शहरों में से एक है। यह एक खूबसूरत शहर है, जो पवित्र नदी गोदावरी के किनारे बसा है। राजमुंदरी को राज्य की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है, क्योंकि यहां कई प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर मौजूद हैं, जहां दर्शन के लिए सालाना हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। माना जाता है कि यह शहर 11 शताब्दी के चालुक्य शासनकाल के दौरान अस्तित्व में आया ।
इसके अलावा इस शहर ने भारतीय स्वतंत्रता के दौरान सक्रिय भूमिका भी निभाई थी। राजमुंदरी का इतिहास और यहां का सांस्कृतिक-प्राकृतिक महत्व इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाता है। एक शानदार यात्रा के लिए आप यहां आ सकते हैं। इस लेख में जानिए अपने विभिन्न पर्यटन स्थलों के साथ यह प्राचीन शहर आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।
पापी हिल्स
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राजमुंदरी भ्रमण की शुरुआत आप यहां की पापी हिल्स की सैर से कर सकते हैं। आंध्र प्रदेश आकर शानदार छुट्टियां बिताने के लिए यह एक आदर्श स्थल है, जहां साल भर पर्यटकों का आगमन लगा रहता है। यह स्थल हरी-भरी पहाड़ियों के साथ तेलंगाना के खम्मम जिले और आंध्र प्रदेश के पूर्व-पश्चिम गोदावरी जिले के संगम स्थल पर बसा है। गोदावरी नदी के साथ यहां की पहाड़ियों को देखना अपने आम में ही एक अनोखा एहसास है। प्रकृति प्रेमियों से लेकर रोमांच के शौक रखने वालों के लिए यह स्थल काफी ज्यादा मायने रखता है। प्राकृतिक सुंदरता का लुफ्त उठाने के साथ-साथ आप यहां ट्रेकिंग और फिशिंग जैसी गतिविधियों को हिस्सा भी बन सकेत हैं। आप यहां अपने परिवार या दोस्तों के साथ एक यादगार ट्रिप के लिए आ सकते हैं।
कादियापुलंक (Kadiyapulanka)
पापी हिल्स के अलावा आप राजमुंदरी में कादियापुलंक स्थल की सैर का प्लान बना सकते हैं। कादियापुलंक एक शानदार पर्यटन स्थल है, जो मुख्य शहर से लगभग 8 कि.मी की दूरी पर स्थित है। यह एक छोटा सा गांव है, जो बागवानी और फूलों की खेती के लिए जाना जाता है। यहां कई तरह की फूलों की प्रजातियों को उगाया जाता है, जो पर्यटकों को काफी ज्यादा आकर्षित करते हैं। गुलाब, मोगरा, लिली आदि यहां अधिक संख्या में देखे जा सकते हैं। इसके अलावा यहां की नसर्री में सजावटी पौधों की खेती भी की जाती है। आपको बता दें कि यहां हर साल जनवरी महीने में फ्लावर फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है, जिसमें शामिल होने के लिए यहां दूर दूर से पर्यटकों का आगमन होता है।
गोदावरी नदी
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राजमुंदरी की सैर बिना गोवावरी नदी के पूरी नहीं हो सकती है। यह दक्षिण भारत की एक प्रसिद्ध नहीं है, जो राजमुंदरी से होकर भी गुजरती है। पहाड़ों और हरि-भरी वनस्पतियों से होकर गुजरती यह नदी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने का काम करती है। यहां बोटिंग और क्रूज की सुविधा उपलब्ध है, जिसके सहारे आप इस नदी और आसपास की प्राकृतिक सौंदर्यता का आनंद ले सकते हैं। क्रूज की सैर गोदावरी नदी की विशालता और खूबसूरती को देखने का सबसे सही विकल्प है। इसलिए अगर आप राजमुंदरी आएं तो नदी की सैर जरूर करें।
कोटिलिंगेश्वर मंदिर
प्राकृतिक स्थलों के अलावा आप राजमुंदरी में धार्मिक स्थलों के दर्शन भी कर सकते हैं। यहां स्थित कोटिलिंगेश्वर मंदिर एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जहां दर्शन के लिए पूरे भारतवर्ष से श्रद्धालुओं का आगमन होता है। मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है, जो आगंतुकों को काफी ज्यादा प्रभावित करती है। मंदिर में पवित्र स्नान करने के लिए घाटों का निर्माण भी किया गया है। इस मंदिर से कई पौराणिक किवदंतियां जुड़ी हैं, और माना जाता है कि यह वो स्थल है, जहां रावण ने भगवान शिव की पूजा की थी।
मार्कंडेय मंदिर
उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां के प्राचीन मार्कंडेय मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। हांलांकि यह मंदिर खंडहर अवस्था में मौजूद है, और जिसके अवशेषों के बारे में पहले कहा गया था कि ये किसी प्राचीन मस्जिद से संबंध रखते हैं। लेकिन बाद में यहां पुरातात्विक सर्वेक्षण किया गया , और पता चला कि ये अवशेष प्राचीन शिव मंदिर के हैं। माना जाता है कि 1818 में इस मंदिर का पुननिर्माण किया गया था। वर्तमान में यहां दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालुओं का आगमन होता है।