काम से रिटायर होने के बाद सभी लोग पुणे की खूबसूरत जगहों पर ही छुट्टियां मनाने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिंदगी की भागदौड़ भरी जिंदगी से रिटायर होने के बाद लोग इस जगह पर आकर काफी शांति महसूस करते हैं। दक्कन की रानी कही जाने वाली इस जगह का मौसम बहुत ही सुहावना है। साथ ही इसे पूर्व का ऑक्सफोर्ड भी कहा जाता है। पुणे शहर का नाम पुण्या शब्द से बना है जिसका मतलब होता है दो नदियों का संगम। मुला और मुठा जैसी दो नदियां पुणे में आकर मिलती हैं और शायद इसी वजह से इस शहर का नाम पुणे रखा गया है।
पुणे के बारे में सबसे दिलचस्प बात ये है कि इसके नाम सबसे बड़ी 'रंगोली' का खिताब दर्ज है। ये शहर कोन्या बांध के निकट स्थित है और यह भूकंप से ग्रस्त क्षेत्र है। जब कोई विश्व रिकॉर्ड तोड़ने की बात आती है तो पुणे का नाम जरूर आता है। पुणे की ख़ुशी परमार ने खुले समुद्र में स्कूबा डाइविंग और संतोष राउत ने केवल एक घंटे में 129 महाराष्ट्रियन फेतास (पगड़ी) को लपेटने का रिकॉर्ड बनाया है।
इस शहर में मराठा साम्राज्य के अनेक मुख्यालय स्थित हैं जो पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करते हैं।
तपोला
मॉनसून के दौरान तपोला के झरनों में जैसे झिलमिलाता हुआ पानी भर जाता है। इसके शानदार पर्वत और रंग-बिरंगे फूल और हरियाली से भरे स्थान पर्यटकों को अचंभित कर देते हैं। तपोला टेंट रिजॉर्ट में रूकने पर आप शिवसागर झील में वॉटर स्पोर्ट्स का मज़ा भी ले सकते हैं। तपोला में शिवसागर झील पर्यटकों के बीच आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।
यहां पर आप तैराकी, कायाकिंग या वॉटर स्कूटर राइड का मज़ा ले सकते हैं। इसके अलावा गेरबेरा फार्म की खुशबूदार फूल भी आपके मन को महका देंगे। इस फार्म की ताजी स्ट्रॉबेरी का स्वाद चखने दूर-दूर से पर्यटक यहां आते हैं। अगर आप दूध से सफेद पानी का झरना देखना चाहते हैं तो थोसेघर वॉटरफॉल जरूर आएं। एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए यहां वसोटा जंगल ट्रैक भी है।
महाबलेश्वर
मलबैरी, गूज़बैरी और स्ट्रॉबेरी के निए मशहूर है महाबलेश्वर हिल स्टेशन। महाबलेश्वर के ऊंचे-ऊंचे पत्थरों और पहाड़ों पर हाइकिंग, ट्रैकिंग और क्लाइंबिंग का मज़ा ले सकते हैं। यहां फल्कलैंड प्वॉइंट, कारनेक प्वॉइंट, विल्सन प्वॉइंट, कनॉट पीक और कैसल रॉक पर इन सब एडवेंचर का मज़ा ले सकते हैं। खुद विदेशियों ने भी महाबलेश्वर की खूबसूरती का बखान किया है।
महाबलेश्वर में प्राकृतिक सौंदर्य और एडवेंचर के अलावा धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं। यहां पर आप श्री शंकर मंदिर या पंचगंगा मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। इसके बरद मेन स्ट्रीट पर खरीदारी का लुत्फ उठा सकते हैं।
दपोली
इसे मिनी महाबलेश्वर भी कहा जाता है। ये परफैक्ट बीच है जोकि दक्षिण में दभोल से लेकर उत्तर के केल्शी तक फैला हुआ है। इस समुद्रतट पर जैट स्काई, बंपर, बनाना राइड और पैरासेलिंग का मज़ा ले सकते हैं। पानी की ऊंची-ऊंची लहरों में बोट की सैर करने का भी अपना ही एक अलग मज़ा होता है।
यहां पर आपको सुबह के समय डॉल्फिन मछली देखने का भी मौका मिल सकता है। समुद्र के इतने पास होने की वजह से गर्मी के मौसम में दपोली में तेज धूप पड़ती है लेकिन शाम के समय यहां का मौसम बहुत सुहावना रहता है। यहां पर आप कद्यावरछा गणपति मंदिर देख सकते हैं।
पनहला किला
पनहला, पनहलगढ़ या पहल्ला - इस किले को कई नामों से जाना जाता है। पनहला का मतलब होता है सांपों का घर। इस किले के बारे में बहुत ही दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है। इस किले के पश्चिम में तीन दरवाज़े हैं।
1659 ईस्वी में शिवाजी ने इस किले पर कब्जा किया था और उन्होंने अपने बेटे संभाजी को ‘सज्जा कोठी' नाम की दो मंजिला इमारत में कैद कर लिया था। भारत के आजाद होने तक ये किला कोल्हापुर राज्य के अधीन था। पनहला किला लोकप्रिय मराठा कवि मोरोपंत का जन्मस्थान भी है।
पंचगनी
पंचगनी के एक ओर खूबसूरत पहाड़ तो दूसरी ओर तटीय मैदान हैं। पंचगनी का मतलब पांच पर्वत होता है। इस खूबसूरत हिल स्टेशन पर पर्यटकों के लिए काफी कुछ मौजूद है। यहां आकर जैसे आपका मन खुशी से झूम उठेगा।
पंचगनी के माउंट मैल्कोल्म, महाबलेश्वर मंदिर, पंचगना मंदिर, विल्सन प्वॉइंट, सिडनी प्वॉइंट, वेन्ना झील, लिंगमाला झरना, धोम बांध और बॉम्बे प्वाइंट आदि देख सकते हैं। इस जगह की ताजी हवा में आकर आप शहर के प्रदूषण को भूल जाएंगे। यहां प्रदूषण नाम मात्र है और शायद इसी वजह से आसपास रहने वाले लोग सबसे ज्यादा पंचगनी में छुट्टियां मनाने आते हैं।
भीमाशंकर
महाराष्ट्र में सहयाद्रि की पहाडियों की गोद में बसा भीमाशंकर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में छठे स्थान पर आता है। भीमाशंकर में भीमा नाम की नदी भी बहतर है जोकि पधारपुर में चंद्रभागा के नाम से जानी जाती है। इस जगह की सबसे खास बात ये है कि यहां पर स्थित ज्योतिर्लिंग में स्त्री और पुरुष दोनों का ही अंश एवं स्वरूव विद्यमान है।
इस जगह पर स्त्री और पुरुष के अर्धनारीश्वर रूप को देखकर पर्यटक एवं श्रद्धालु अचंभित हो जाते हैं। भीमाशंकर से नीचे जाते समय कमलजा देवी मंदिर, हनुमान मंदिर और देवी पार्वती का मंदिर भी देख सकते हैं। बॉम्बे प्वाइंट और केल्कर संग्रहालय भी पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करते हैं।
भिगवन के बैकवॉटर
सनसैट का नज़ारा देखना किसी के भी मन को प्रफुल्लित कर सकता है। सूरत का नारंगी रंग और चमकता पानी, ऐसा नज़ारा सोचकर ही मन आनंदित हो उठता है। भिगवन के लिए आते समय आपको कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिलेगा। इस जगह पर 230 से भी ज्यादा अलग-अलग पक्षियों की प्रजातियां देखने को मिलेंगी। भिगवन को कई तरह के पक्षियों का मक्का कहा जाता है।
सीगुल, स्टोर्क, हेरॉन और बत्तख की कई तरह की प्रजातियां आप यहां देख सकते हैं। उजानी बांध के बैकवॉटर में ये सभी पक्षी देखने को मिलते हैं। अगर आप भी शहर के शारे-शराबे से दूर कहीं शांति से समय बिताना चाहते हैं तो ये जगह आपके लिए परफैक्ट है।
मुरुद जंजीरा
महाराष्ट्र के उत्कृष्ट वास्तुकला की जब बात होती है तो सबसे पहले मुरुद जंजीरा का नाम जरूर आता है। जंजीरा जल दुर्ग या जंजीरा किला मुरुद नाम के छोटे से कस्बे में स्थित है। यहां पर आपको कई नदियां और तालाब देखने को मिल जाएंगे।
जंजीरा किले में कई टॉवर और बुर्ज देखने लायक हैं। इस किले में प्रवेश करने पर आपको एक वॉटर टैंक, किला और पत्थर की मूर्तियां नज़र आएंगी। इसके दरवाजे पर 6 हाथियों की मूर्तियां लगी हुई हैं। ये सिद्धिस की शक्ति को दर्शाते हैं। जंजीरा किले और कलाल बंगाली, छावरी और लंदा कसम में 19 बुर्ज स्थित हैं। हर एक बुर्ज के नीचे पारंपरिक बंदूकें रखी हुई हैं।
कास पठार
महाराष्ट्र के सितारा जिले में कास नाम के पठार से मशहूर जगह पर आप खुशबुदार फूलों की महक से अपने मन को महका सकते हैं। जैव विविधता के इस हॉटस्पॉट को स्थानीय रूप से 'कास पथर' के रूप में जाना जाता है। यहां पर आपको महाराष्ट्र के लगभग 70 प्रतिशत फूल मिल जाएंगे।
पश्चिमी घाट के भीतर स्थित होने के कारण यह जगह वनस्पतियों से समृद्ध है। वर्षा, तापमान, मिट्टी की स्थलाकृति, आर्द्रता और जलवायु जैसे कारकों ने फूलों के पौधों के स्थिर विकास की शुरुआत की थी। इस जगह का नाम 'कास' वृक्ष पर पड़ा है जोकि उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय सदाबहार पेड़ों का एक समूह है।
कामशेत
समुद्रतअ से 2200 फीट की ऊंचाई पर किसी खूबसूरत जगह को देखना अपने आप में ही एक मनोरम अहसास है। यहां पर कई ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प के नमूने आपको देखने को मिल जाएंगे जोकि हज़ारों संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। हरे जंगल भी इस जगह की खूबसूरती को बढ़ाते हैं।
यहां पर आपको पैराग्लाइडिंग ट्रेनिंग स्कूल भी मिल जाएंगे। कोंडेश्वर मंदिर, भैरी और बेड्सा गुफाओं के साथ-साथ भंडार डोंगर पर्वत भी आप यहां देख सकते हैं। इस पर्वत पर संत तुकाराम का भी एक मंदिर स्थित है जोकि अध्यात्मिक संगीतकार थे। उन्होंने अपने भजनों से लोगों का मन मोह लिया था।