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दक्षिण भारत का भूतनाथ मंदिर, अद्भुत है यहां की वास्तुकला

दक्षिण भारत के कर्नाटक स्थित बादामी का भूतनाथ मंदिर। Bhutanatha group of temples Badami in Karnataka.

दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य की बादामी पहाड़ियों के बीच स्थित भूतनाथ मंदिर राज्य के ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक है। दरअसल यहां स्थित प्राचीन मंदिरों के समूह को भूतनाथ मंदिर कहा जाता है। इन मंदिरों को बनाने में उत्तरी और दक्षिण वास्तुकला शैली का इस्तेमाल किया गया है। अगस्थ झील और चट्टानी पहाड़ियों से घिरा यह प्राचीन स्थल कर्नाटक में घूमने लायक सबसे खास गंतव्यों में गिना जाता है।

यह मंदिर भगवान शिव के अवतार बाबा भूतनाथ को समर्पित है। प्रकृति प्रेमियों और ऐतिहासिक गंतव्यों के खोजियों के लिए यह स्थान किसी खजाने से कम नहीं। इस खास लेख में जानिए ऐतिहासिक पर्यटन के लिहाज से ये मंदिर आपके लिए कितना खास है।

 बलुआ पत्थरों का मंदिर

बलुआ पत्थरों का मंदिर

PC- Gs9here

भगवान भूतनाथ को समर्पित ये मंदिर बलुआ पत्थरों से निर्मित हैं, जिनकी गिनती दक्षिण भारत के खूबसूरत प्राचीन संरचनाओं में की जाती है। इन समूहो में दो प्रमुख मंदिर हैं एक झील के उस पार जिसे भूतनाथ मंदिर (मंदिर संख्या एक) कहा जाता है और दूसरा झील के पूर्वोत्तर भाग में स्थित है, जिसे मल्लिकार्जुन (मंदिर संख्या दो ) मंदिरों का समूह कहा जाता है।

भूतनाथ मल्लिकार्जुन से बड़ा मंदिर समूह है जो उत्तर-दक्षिण भारतीय शैला का मिश्रित स्वरूप है। यहां बृहद खुला मंडप मुख्य आकर्षण का केंद्र है।

इतिहास से जुड़े पन्ने

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PC- Dineshkannambadi

भूतनाथ मंदिर समूह की तुलना में मल्लिकार्जुन समूह सीढ़ीदार अधिरचना है। इन मंदिरों का बनाने का स्वरूप कल्याणी चालुक्य निर्माण शैली में दिखता है। मंदिर संख्या एक में बने आंतरिक मंदिर और मंडप 7वीं शताब्दी के उत्तरार्ध बादामी चालुक्य के शासनकाल में बनाए गए थे। वहीं मंदिर के बाहरी मंडप का निर्माण बादामी चालुक्य के शासनकाल में 11 वीं शताब्दी के दौरान करवाया गया।

इसलिए भूतनाथ मंदिरों में आप विभिन्न काल खंडों की स्थापत्य कला देख सकते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि ये कल्याणी चालुक्य आर्किटेक्ट्स शुरूआती चरण में बनाए गए मंदिरों से मेल खाते हैं, जिस आधार पर येलम्मा मंदिर और मल्लिकार्जुन मंदिरों के समूह का निर्माण किया गया।

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मंदिर की वास्तुकला

मंदिर की वास्तुकला

PC- Rudniks

मंदिर की सरंचना की बात करें तो पता चलता है कि भूतनाथ मंदिर के अंदर हॉल में स्तंभों का निर्माण किया गया है जो इस बड़े हॉल को केंद्रीय भाग और दो गलियारों में विभाजित करता है। यहां खंभों की अधिकता है और मंदिर की छतों को 'लोटस रोसेट'(कमलफूल की आकृतियां) से सजाया गया है।

यहां बनी हुईं छिद्रित खिड़कियां आंतरिक मंडर पर मंद प्रकाश डालने का काम करती हैं। मंदिर के प्रवेश द्वारों के दोनों तरफ देवी गंगा की छवि अंकित है जिसमें उनके वाहन मकर को भी दर्शाया गया है। साथ ही दाईं तरफ और बाईं तरफ देवी यमुना को भी उनकी सवारी कछुए के साथ दर्शाया गया है। पवित्र स्थान से मूल देवता को हटा दिए जाने के बाद शिव लिंग को मंदिर के मुख्य भाग में स्थापित किया गया है। यह एक अधूरा मंदिर है जिसके शिखर पर जैन वास्तुकला के अवशेष मिलते हैं।

हॉल के उत्तर में भगवान विष्णु को समर्पित एक छोटा मंदिर भी स्थित है। मंदिर के कुछ जैन संशोधनों के बाद लिंगायत अनुयानियों के प्रभावक्षेत्र में आ गया है जहां उन्होंने एक बाहरी हॉल क निर्माण कर अंदर शिवलिंग और नदी की मूर्ति को स्थापित कर दिया।

खूबसूरत है आसपास का इलाका

खूबसूरत है आसपास का इलाका

PC- Girish Bhat

बादामी बलुआ पहाड़ों के घिरा यह स्थान प्राकृतिक संपदा से भी सुसज्जित है। पहाड़ी की बीच वनस्पतियों का प्रतिबिंब आप झील के पानी में देख सकते हैं, जिस वजह से ये झील हरी रंग की दिखाई देती है। मानसून के दौरान यहां का नजारा देखने लायक होता है, इस दौरान यहां अस्थाई जलप्रपात बन जाते हैं।

पहाड़ों से नीचे गिरता पानी इस मंदिर समूह स्थल को खास बनाने का काम करता है। फोटोग्राफी के लिए यह स्थान काफी खास है। प्राकृतिक सौंदर्यता के बीच इन ऐतिहासिक कलाकृतियों को देखने सच में आनंद से भरा है। प्रकृति प्रेमी से लेकर इतिसास के प्रेमी कर्नाटक के इस अद्भुत स्थल का भ्रमण अवश्य करें।

कैसे करें प्रवेश

कैसे करें प्रवेश

PC-Jmadhu

प्रसिद्ध भूतनाथ मंदिर कर्नाटक राज्य के बादामी शहर में है जहां आप तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। घरेलू फ्लाइट्स के लिए आप नजदीकी हुबली एयरपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स के लिए बैंगलोर एयरपोर्ट का सहारा ले सकते हैं ।

रेल मार्ग के लिए बादामी रेलवे स्टेशन सेवा के लिए तत्पर खड़ा हैं। अगर आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। बेहतर सड़क मार्गों से बादामी राज्य के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

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