यदि आप घूमने फिरने के शौक़ीन हैं और भारत में रहते हुए भी अपने उत्तर प्रदेश की यात्रा नहीं की तो समझ लीजिये आपने बहुत कुछ मिस कर दिया है।तो इसी क्रम में आज हम आपको अवगत कराने वाले हैं बिट्ठुर से। बिट्ठुर, कानपुर से 22 किमी. की दूरी पर स्थित है जो गंगा नदी के किनारे पर बसा सुंदर और खूबसूरत शहर है। कानपुर की घबरा देने वाली भीड़ से काफी दूर स्थित यह स्थल पर्यटकों को आराम करने के लिए जीवंत जगह उपलब्ध करवाती है। बिट्ठुर, हिंदू धर्म के लोगों के लिए प्रमुख धार्मिक स्थल है, साथ ही साथ इस स्थल का ऐतिहासिक महत्व भी काफी है।
यह शहर काफी प्राचीन है और कई किंवदंतियों व कथाओं में इसका उल्लेख मिलता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान ने सृष्टि को नष्ट कर दिया था और गैलेक्सी को पुननिर्मित किया था, उस दौरान भगवान ब्रह्मा ने बिट्ठुर को अपना निवास स्थान चुना था। कहा जाता है कि पहली मानव जाति का सृजन भी यही हुआ था और अश्वमेधयजना को भी यहीं पूरा किया गया था।
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इसी घटना के कारण इस स्थल को ब्रह्मावर्त के नाम से जाना जाता है,जिससे बिट्ठुर नामक शब्द की उत्पत्ति हुई थी। बात यदि बिट्ठुर में पर्यटन की हो तो बिट्ठुर में सैर करने का केवल यही अर्थ नहीं है कि आप सिर्फ इतिहास के बारे में जानें, ऐतिहासिक चीजें देखे और चले जाएं। यह शहर बेहद शांत और सुंदर है, यहां प्राकृतिक सुंदरता की भरमार है। धार्मिक मंदिरों से लेकर नदी में नाव की सैर तक का आनंद यहां आकर उठाया जा सकता है। तो आइये जानें क्या क्या कर सकते हैं आप बिट्ठुर में।
ब्रह्मवर्त घाट
ब्रह्मवर्त घाट, गंगा नदी के किनारे कन्नौज रोड़ पर स्थित है। इस शांत जगह का महान धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने अपने निवास स्थान के रूप में बिट्ठुर को चुना था और यहीं उन्होने मानव जाति का सृजन किया था। इस घटना के बाद से ही इस स्थल को ब्रह्मवर्त घाट के रूप में जाना जाने लगा।
पत्थर घाट
पत्थर घाट, बिट्ठुर शहर में ही स्थित है जो लाल बलुआ पत्थरों से बना हुआ है और भारत के सबसे सुंदर घाटों में से एक है। इस घाट की नींव टिकैत राय ने रखी थी, जो अवध के मंत्री हुआ करते थे। यह घाट, तेजस्वी कला और स्थापत्य कला का प्रतिनिधित्व करता है। यहां भगवान शिव को समर्पित एक विशाल मंदिर है जिसमें कस्सौटी पत्थर से बनी शिवलिंग रखी हुई है।
वाल्मीकि आश्रम
वाल्मीकि आश्रम, वह स्थल है जहां ऋषि वाल्मीकि ने बैठकर महाकाव्य रामायण की रचना की थी। यही वह स्थल है जहां माता सीता ने अपने निर्वासन के दिनों में शरण ली थी और अपने जुडवां पुत्रों लव व कुश को जन्म दिया था। इसी स्थान पर रहकर महान ऋषि ने लव व कुश को युद्ध नीतियां, तरीके और राजनीति की पाठ सिखाया था, यहीं उन दोनों जुड़वा भाईयों का बचपन बीता था। यह आश्रम थोड़ी ऊंचाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए सीढि़यों को चढ़ना पड़ता है।
ध्रुव टीला
ध्रुव टीला, बिट्ठुर में वह स्थल है जहां नन्हे बच्चे ध्रुव ने अपने बचपनकाल में एक पैर पर खड़े होकर भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। ध्रुव ने अपन भक्ति से भगवान को प्रसन्न कर दिया था और फलस्वरूप एक अमर तारा बनने का दिव्य वरदान प्राप्त कर लिया। आज भी हम उत्तर दिशा में अटल तारे को ध्रुव तारे के नाम से जानते है, जो सदैव एकसमान चमकता है।
कैसे जाएं बिट्ठुर
बिट्ठुर तक वायु मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
फ्लाइट द्वारा - बिट्ठुर जाने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा लखनऊ एयरपोर्ट है, जो कुल 87 किमी. की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से बिट्ठुर तक के लिए प्राईवेट टैक्सी हॉयर की जा सकती है या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से पहुंचा जा सकता है।
ट्रेन द्वारा - बिट्ठुर पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन, कल्यानपुर रेलवे स्टेशन है जो बिट्ठुर से मात्र 22 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी किराए पर लेकर बिट्ठुर तक आसानी से पहुंच सकते है। वैसे शहर में पब्लिक ट्रांसर्पोट की बसें भी बिट्ठुर तक पहुंचा देती है।
सड़क मार्ग द्वारा - बिट्ठुर, सड़क मार्ग द्वारा सभी शहरों से भली - भांति जुड़ा हुआ है। यहां से उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों जैसे - कानपुर, लखनऊ और अयोध्या आदि के लिए रास्ता है। राज्य सरकार द्वारा चलाई जाने वाली बसें भी बिट्ठुर तक चलती हैं। दिल्ली से भी सार्वजनिक परिवहन की बसें मिल जाती है।