कभी सोचा है, दूर दूर तक जहाँ भी नज़र पड़े हर जगह घास के मखमली मैदान को देखना कैसा लगता होगा, उन्हें महसूस करना कैसा होता होगा? नहीं? तो चलिए आज हम आपको लिए चलते हैं प्रकृति के ऐसे ही मखमली गोद में जिसका मनोरम दृश्य आपकी आँखों के साथ आपको भी पूर्ण सुकून का एहसास कराता है।
उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में हिमशिखरों की तलहटी में जहाँ टिम्बर रेखा (यानी पेडों की पंक्तियाँ) समाप्त हो जाती हैं, वहाँ से आरम्भ होते हैं हरे मखमली घास के मैदान। आमतौर पर ये 8 से 10 हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित होते हैं। गढ़वाल हिमालय में इन मैदानों, हिम रेखा और वृक्ष रेखा के बीच के क्षेत्र को बुग्याल कहा जाता है। बुग्यालों में पौधे एक निश्चित ऊँचाई तक ही बढ़ते हैं। जलवायु के अनुसार ये अधिक ऊँचाई वाले नहीं होते। यही कारण है कि इन पर चलना बिल्कुल मखमली गद्दे पर चलना जैसे लगता है।
रूपकुंड के रास्ते से बेदनी बुग्याल का नज़ारा
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स्थानीय लोगों और मवेशियों के लिए ये चारागाह का काम देते हैं तो बंजारों, यात्रियों और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए आराम की जगह व कैम्पसाइट का। गर्मियों की मखमली घास पर सर्दियों में जब बर्फ़ की सफेद चादर बिछ जाती है तो ये बुग्याल स्कीइंग और अन्य बर्फ़ानी खेलों का अड्डा बन जाते हैं। गढ़वाल के लगभग हर ट्रैकिंग रूट पर इस प्रकार के बुग्याल मिल जाएंगे। कई बुग्याल तो इतने लोकप्रिय हो चुके हैं कि अपने आप में पर्यटकों का आकर्षण बन चुके हैं।
ठंड के मौसम में बर्फ से ढका औली बुग्याल
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जब बर्फ़ पिघल चुकी होती है तो बरसात में नहाए वातावरण में हरियाली छाई रहती है। पर्वत और घाटियां भान्ति-भान्ति के फूलों और वनस्पतियों से लदलद रहती हैं। अपनी विविधता, जटिलता और सुंदरता के कारण ही ये बुग्याल यात्रा के शौकीनों के लिए हमेशा से आकर्षण का केन्द्र रहे हैं।
गढ़वाल की घाटियों में कई छोटे-बड़े बुग्याल पाये जाते हैं, लेकिन लोगों के बीच कुछ प्रमुख प्रसिद्ध बुग्याल हैं।
बेदनी बुग्याल का बेदनी कुंड(झील)
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बेदनी बुग्याल: प्रसिद्ध बेदनी बुग्याल रुपकुण्ड जाने के रास्ते पर पड़ता है।वाण से घने जंगलों के बीच गुज़रते हुए लगभग 10 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद आप बेदनी के सौंदर्य का आंनद ले सकते हैं। इस बुग्याल के बीचों-बीच फैली झील यहां के सौंदर्य में चार चांद लगी देती है।
औली बुग्याल में केबल कार
Image Courtesy: Mandeep Thander
औली बुग्याल: चमोली जिले के जोशीमठ से 12 किलोमीटर की दूरी पर 2600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है औली बुग्याल। साहसिक खेल स्कीइंग और केबल कार का ये एक बड़ा केन्द्र है। सर्दियों में यहाँ के ढ़लानों पर स्कीइंग चलती हैं और गर्मियों में यहाँ खिले विभिन्न प्रकार के फूल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होते हैं।
चोपता बुग्याल
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चोपता बुग्याल: गढ़वाल का स्विट्जरलैंड कहा जाने वाला चोपता बुग्याल 2900 मीटर की ऊंचाई पर गोपेश्वर-ऊखीमठ-केदारनाथ मार्ग पर स्थित है। चोपता से हिमालय की चोटियों के समीपता से दर्शन किए जा सकते हैं।
दयारा बुग्याल: उत्तरकाशी-गंगोत्री मार्ग पर भटवाडी से रैथल या बारसू गाँव होते हुए आता है, दयारा बुग्याल। 10,500 फीट की ऊँचाईं पर स्थित यह बुग्याल भी धरती पर स्वर्ग की सैर करने जैसा ही है।
दयारा बुग्याल के रास्ते पर बहता पानी का झरना
बगजी बुग्याल: चमोली और बागेश्वर के सीमा से लगा बगजी बुग्याल भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। समुद्रतल से 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह बुग्याल लगभग चार किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। यहां से हिमालय की सतोपंथ, चौखंभा, नंदादेवी और त्रिशूली जैसी चोटी के समीपता से दर्शन होते हैं।
तुंगनाथ बुग्याल, क्वारी बुग्याल और ऐसे ही न जाने गढ़वाल में कितने ही बुग्याल हैं जिनके बारे में लोगों को अभी तक पता नहीं है। इनकी समूची सुंदरता को केवल वहाँ जाकर महसूस किया जा सकता है। हालाँकि हजारों फीट की ऊँचाई पर स्थित इन स्थानों तक पहुँचना हर किसी के लिए संभव नहीं है।
तुंगनाथ बुग्याल
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इन बुग्यालों तक पहुँचें कैसे?
आप ट्रेन, हवाई जहाज़ या बस द्वारा ऋषिकेश या कोटद्वार पहुँच सकते हैं। फिर वहाँ से किसी निजी गाड़ी या लोकल बस द्वारा चमोली, उत्तरकाशी और टिहरी पहुँच कर, इन बुग्यालों की ट्रेकिंग द्वारा सैर आरंभ कर सकते हैं।
यहाँ जाएँ कब?
इस क्षेत्रों में बारिश के मौसम में जाना ठीक नहीं होगा। हरियाली और फूलों का मजा़ लेना हो तो मई-जून का समय सबसे बढिया है। सितंबर-अक्टूबर में बारिश के बाद पूरी प्रकृति धुली-धुली सी लगती है। इस समय तक बुग्यालों का रंग बदल चुका होता है। उसके बाद बर्फ पड़ना आरंभ हो जाता है। कई रास्ते बंद हो जाते हैं तो कई बुग्याल स्कीइंग के द्वारा सर्दियों में भी अपनी रौनक बनाए रहते हैं।
तो कर लीजिए मौसम के अनुसार अपनी भी तैयारी और निकल पड़िए अपने जीवन के सबसे रोमांच भरे सफ़र में।
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