ऐतिहासिक बक्सा किला पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले के बक्सा टाइगर रिजर्व में स्थित है। 2,844 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह यह किला बंगाल के ऐतिहासिक धरोहरों में गिना जाता है। इस किले का निकटतम शहर अलीपुरद्वार है जो यहां से करीब 30 किमी की दूरी पर स्थित है।
इतिहास से जुड़े साक्ष्य बताते हैं कि इस किले का इस्तेमाल भूटान के राजा द्वारा विश्व प्रसिद्ध रेशम मार्ग के महत्वपूर्ण हिस्सों की रक्षा के लिए किया जाता था, जो तिब्बत को भारत के साथ जोड़ने का काम किया करते थे।
बाद के इतिहास से पता चलता है कि तिब्बत में फैली अशांति के दौरान सैकड़ों शरणार्थियों द्वारा इस किले का इस्तेमाल अस्थायी आवास के रूप में किया गया। आइए जानते हैं पर्यटन के लिहाज से यह किला आपके लिए कितना खास है।
किले पर अंग्रेजों का कब्जा
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कूच के राजा के आमंत्रण पर अंग्रेजों ने इस किले पर हस्तक्षेप किया और इस पर कब्जा कर लिया। 11 नवंबर, 1865 को सिंचुला संधि के हिस्से के रूप में इस किले को औपचारिक रूप से अंग्रजों को सौप दिया गया था। अंग्रेजों के अधीन रहे इसे किले की संरचना में कुछ बदलाव कर इसका पुनर्निर्माण किया गया। किले की लड़की संरचनाओं से लेकर पत्थर की संरचनाओं को बदल डाला गया। जितना संभव हो सके उतने बदलाव इस किले में किए गए । समय के साथ-साथ इस किले का इस्तेमाल अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया गया।
1930 के दशक में किले का इस्तेमाल उच्च सुरक्षा जेल और नजरबंद शिविर के रूप में किया गया। फॉरवर्ड ब्लॉक नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व कानून मंत्री अमर प्रसाद चक्रवर्ती को भी 1943 में बक्सा किले में कैद कर रखा गया था। और भी कई नेता और क्रांतिकारियों को यहां कैदी बनाकर रखा गया था।
बक्सा शरणार्थी शिविर के रूप में
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द्रेपंग (Drepung) तिब्बत के सबसे प्रसिद्ध मठों में से एक है जहां चीनी आक्रमण से पहले कभी 10,000 से अधिक बौद्ध भिक्षु रहा करते थे। लेकिन तिब्बती मठ और भिक्षुओं के प्रति 1959 में बड़ा आक्रोश चीन की तरफ से देखा गया । उस दौरान तिब्बत आदोंलन जोरो पर था। चीनी सैनिकों ने विद्रोह को कुचलने के लिए मठ के खिलाफ सैन्य अभियान चलाया।
इस दौरान कई बौद्ध भिक्षुओं को भारत में शरण लेनी पड़ी। कहा जाता है कि कई प्रवासी बौद्ध भिक्षुओं ने बक्सा की तरफ रूख किया और बक्सा को अपना अस्थायी निवास बनाया। भिक्षुओं ने बक्सा किले में एक अध्ययन केंद्र और एक शरणार्थी शिविर स्थापित किया।
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एडवेंचर और पर्यटन- ट्रेकिंग का आनंद
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भारत के कई ऐतिहासिक पन्नों को संभाले यह किला पर्यटन के लिहाज से काफी ज्यादा मायने रखता है। किले के भ्रमण के अलावा यहां के घने जंगल और रूट्स रोमांचक ट्रेकिंग के लिए जाने जाते हैं। दूर-दूर से ट्रैवलर्स यहां रोमांचक अनुभव पाने के लिए आते हैं। नीचे कुछ ट्रेक रूट्स आपको बताए जा रहे हैं जिसका इस्तेमाल आप ट्रेकिंग के लिए कर सकते हैं। अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार आप इन ट्रेक रूट्स का चयन कर सकते हैं।
1) सांतालाबारी से बक्सा किला (5 किमी का ट्रेक)
2) बक्सा फोर्ट से रोवर्स पॉइंट (3 किमी का ट्रेक)
3) सैंटलाबारी - रूपोप घाटी (14 किमी का ट्रेक )
4) बक्सा फोर्ट से लेपचाखा (5 किमी का ट्रेक )
5) (बक्सा किला - चुनभाती ( 4 किमीका ट्रेक)
बक्सा टाइगर रिजर्व
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बक्सा टाइगर रिजर्व पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में स्थित है। इसकी उत्तरी सीमा भूटान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से साथ चलती है। बाघों के लिए सरंक्षित यह रिजर्व वन्य जीवन को करीब से देखने का एक सुनहरा मौका प्रदान करता है। दरअसल बक्सा टाइगर रिजर्व बक्सा नेशनल पार्क के अंदर स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान लगभग 760 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। जंगली जानवरों में आप यहां बाघ, सिवेट, हाथी, गौर भारतीय सूअर के साथ कई पक्षी प्रजातियों को भी देख सकते हैं।
बक्सा टाइगर रिजर्व 1983 में स्थापित किया गया था। जिसके बाद 1986 में बक्सा वन्य जीव अभयाण्य (314.52 वर्ग किमी) की स्थापना की गई। बाद में 1991 में 54.47 वर्ग किमी इसमें और क्षेत्र जोड़ दिया गया। रोमांचक अनुभव के लिए आप यहां की सैर का प्लान बना सकते हैं।
कैसे करें प्रवेश
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बुक्सा किला अलीपुरद्वार से लगभग 30 किमी और राजाभातखावा से लगभग 18 किमी की दूरी पर स्थित है। राजाभातखावा के रास्ते जंगल में प्रवेश किया जा सकता है। जंगल पहुंचने के लिए आपको 14 किमी ट्रेक कर सुन्तालाबारी पहुंचना होगा।
यहां से 4 किमी के फासले पर बक्सा किला है। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा बागडोगरा एयरपोर्ट है । रेल मार्ग के लिए आप अलीपुरद्वार रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं।