भारत में हुए पुरातात्विक सर्वेक्षण के दौरान कई ऐतिहासिक चीजों को खोज निकाला गया है, जिससे हमें अतीत की ओर झांकने का अवसर प्रदान हुआ। इतिहास की तह तक जाने का क्रम आज भी जारी है। बहुत सी बड़ी चीजों को खोज निकाला गया जबकि बहुत से रहस्य आज भी सुलझाने बाकी हैं जिनपर निरंतर काम चल रहा है।
आज भारत भूमि पर साक्षात दिखाई दे रहे ऐतिहासिक स्थल, किले-मकबरे और गुफाएं सब पुरातत्ववेत्ताओं और इतिहासकारों की देन हैं। इनकी दिन-रात मेहनत के कारण आज भारत अपनी ऐतिहासिक विरासत को पूरे विश्व को दिखाने में सक्षम है।
दुनिया के हर कोनों से लोग भारत की अद्भुत चीजों को देखने के लिए आते हैं। इसी क्रम में आज हमारे साथ जानिए अजंता एलोरा जैसी दिखने वाली गुफाओं के बारे में जिसके विषय में शायद आप जानते होंगे।
पीतलखोरा की गुफाएं
PC- Ms Sarah Welch
पीतल खोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है, जिन्हें अंजता के बाद खोजा गया था। शहरी परिवेश से दूर ये गुफाएं सह्याद्री पहाड़ियों पर स्थित हैं। पीतलखोरा 13 गुफाओं का समुह हैं, जो अपनी अद्भुत शैल-चित्रकला के लिए प्रसिद्ध हैं।
जानकारों की मानें तो इन गुफाओं का निर्माण सातवाहन राजाओं के समय करवाया गया होगा, हालांकि इस विषय में सटीक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। आगे जानिए गुफाओं से संबंधित और भी कई दिलचस्प बातें।
अद्भुत चित्रकारी का नमूना पीतलखोरा
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पीतलखोरा की 13 गुफाओं में कुछ चुनिंदा गुफा आकर्षक चित्रकारी से लोगों का ध्यान खींचती हैं। समय के साथ-साथ बहुत सी चित्रकारी और मूर्तियां खराब हो गई हैं जबकि कुछ यहां घूमने आए लोगों द्वारा तोड़ दी गईं।
गुफाओं से प्राप्त साक्ष्य हीनयान बौद्ध धर्म से संबंध की ओर संकते करते हैं, जबकि खंडित रूप में मौजूद मूर्तियों के विषय में कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती। मौसम की मार के कारण बहुत सी गुफाएं जीर्ण-शीर्ण हो गईं हैं। जबकि कुछ देखने लायक हैं।
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रोमांचक अनुभव
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पहाड़ी और जंगलों के बीच मौजूद ये गुफाएं रहसमयी और रोमांचक एहसास कराती हैं। गुफा संख्या 2,3,4 में प्रांगणों का निर्माण किया गया था, जिसके प्रमाण आज भी मिलते हैं। इनमें से गुफा 2 और 3 की दीवारें नष्ट हो चुकी हैं। गुफा संख्या 3 सुरक्षित है जहां पूजा की जाती थी। यहां की दीवारें खूबसूरत चित्रकारी से भरी पड़ी हैं।
गुफा के कई कोनों से छोटे जल प्रपात भी निकलते हैं जो इस स्थान को खास बनाने का काम करते हैं। जंगली वनस्पतियों से ढकीं ये गुफाएं दूर से नजर नहीं आती। इन्हें करीब जाकर की देखा जा सकता है।
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बने हुए हैं गलियारें
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इसके अलावा यहां 37 खंभों की मदद से गलियारे का भी निर्माण किया गया है। गलियारे के बहुत से खंभों पर शानदार चित्रकारी की गई है,जो समय से साथ मिटने की कगार पर हैं। पहाड़ी चट्टान को काटकर बनाई गईं इन गुफाओं को शानदार संरचना के तौर पर देखा जा सकता है।
गुफा संख्या 4 में आप छोटी गुफाओं को देख सकते हैं। इसके अलावा यहां की बनाई गई घोड़े की नक्काशी देखने लायक है। यहां की अन्य पहाड़ी पर आप भगवान बुद्ध की प्रतीमा देख सकते हैं। जिन्हें पहाड़ का राजकुमार माना गया है।
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कैसे करें प्रवेश
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पीतलखोरा की गुफाएं अजंता की गुफाओं से लगभग 110 किमी की दूरी पर स्थित हैं। यहां आप प्राइवेट टैक्सी के जरिए पहुंच सकते हैं। रेल सेवा के लिए आप जलगांव रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। हवाईमार्ग के लिए आप औरंगाबाद एयरपोर्ट का सहारा ले सकते हैं।
इसके अलावा आप यहां तक का सफर सड़क मार्ग के जरिए भी पूरा कर सकते हैं। औरंगाबाद बेहतर सड़क मार्गों के द्वारा राज्य के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।