अगले महीने यानी अक्टूबर की 10 तारीख से नवरात्रि का पावन त्योहार पूरे भारतवर्ष में मनाया जाएगा। नवरात्रि का त्योहार साल में चार बार मनाया जाता है, और इस बार की नवरात्रि शारदीय नवरात्रि है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा लगातार नौ दिनों तक चलती है। यह त्योहार भक्तों की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है।
आज इस लेख में हम आपको मां दुर्गा के सबसे प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से एक चैती देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो देव भूमि उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के अंतर्गत काशीपुर में स्थित है। जानिए देवी सती का यह मंदिर आपकी तीर्थयात्रा को किस प्रकार खास बना सकता है।
दाईं भुजा की होती है पूजा
PC-आशीष भटनागर
सती के 51 शक्तिपीठों में से एक चैती देवी का मंदिर उत्तराखंड राज्य के उधम सिंह नगर के काशिपुर में स्थिति है। यहां नवरात्रि का त्योहार बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है, जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दराज के श्रद्धालुओं का आगमन होता है। यह स्थल धार्मिकता के साथ-साथ ऐतिहासिक रूप से भी काफी ज्यादा मायने रखता है। माना जाता है कि इस स्थल पर देवी सती की दाईं भुजा गिरी थी।
इसलिए यहां देवी शिला आकार में देवी की दाई भुजा की पूजा की जाती है। माता सती के इस मंदिर को बालासुंदरी मंदिर के नाम से भी संबोधित किया जाता है। आप यहां भगवान शिव, मां काली के आलावा कुछ अन्य मंदिरों को भी देख सकते हैं।
एक संक्षिप्त इतिहास
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चैती देवी मंदिर धार्मिक महत्व के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण से पता चला है कि यह स्थल का उल्लेख महाभारत में किया गया है। पुरातत्वविदों का मानना है काशिपुर ताम्र युग के दौरान उत्तर भारत का एक विकसित शहर था। यहां के पूर्व निवासी औधोगिक गतिविधियों में संलिप्त थे, और तांबे की बनी वस्तुओं का इस्तेमाल करते थे। अध्ययन बताता है कि इस स्थल पर गुरु नानक, गुरु गोरखनाथ, गौतम बुद्ध और तुलसीदास का आगमन हुआ था, जिन्होने यहां से अपने ज्ञान की बरसात दूर-दूर तक की ।
माना जाता है कि वैदिक काल में काशीपुर का नाम उज्जैनी नगरी था, और यहां की देहला नदी को स्वर्णभद्र के नाम से जाना जाता थाा। लेकिन राजा हर्ष के शासककाल के दौरान यह नगर गोविषाण के नाम से जाना गया लेकिन इस शहर का नाम काशीनाथ अधिकारी के नाम पर काशीपुर रखा गया था, जिसने वर्तमान काशिपुर की खोज की थी।
लगता है भव्य मेला
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चैती देवी का मंदिर नवरात्रि के दौरान लगने वाले अपने मेलों के लिए भी जाना जाता है। खासकर अष्टमी, नवमी और दशमी के दौरान यहां भक्तों का भारी जमावड़ा लगता है। भव्य पूजा आयोजनों के साथ-साथ श्रद्धालु यहां लगने वाले मेले के भी आनंद उठाते हैं। इस दौरान यहां तरह-तरह की दुकाने लगाई जाती हैं।
यहां मौजूद मां काली के मंदिर में बलि भी चढ़ाई जाती है और देवी बालासुंदरी की यात्रा की निकाली जाती है। पूजा आयोजन रात भर चलते हैं। मेले का आनंद उठान भक्तों के साथ-साथ पर्यटकों का आगमन भी होता है।
आने का सही समय
चैती देवी मंदिर उत्तराखंड के पहाड़ियों पर उधम सिंह जिले में स्थित है, जहां का मौसस साल भर अनुकूल बना रहता है। आप यहां माता के दर्शन के लिए किसी भी समय आ सकते हैं। अच्छा होगा आप नवरात्रि के दिनों में आएं, इस दौरान यहां भव्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। प्राकृतिक रूप से भी यह स्थल काफी ज्यादा मायने रखता है, जहां आप शानदार कुदरती आकर्षणों का आनंद ले पाएंगे।
कैसे करें प्रवेश
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चैती देवी का मंदिर काशीपुर में स्थित है, जहां आप परिवहन के तीनों मार्गों से आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां का निकटवर्ती हवाईअड्डा जॉली ग्रांट ( देहरादून) और दिल्ली एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप काशीपुर रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। अगर आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं, बेहतर सड़क मार्गों से काशीपुर राज्य के कई बड़े राज्यों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।