सन् 1972 में असम से अलग हुआ उत्तर पूर्वी भारत का राज्य मेघालय अपने सुंदर वादियों, संस्कृतियों व लोक कलाओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है। विभिन्न जनजातियों का बसेरा मेघालय उत्तर में असम और दक्षिण में बांग्ला देश से घिरा हुआ है। यहाँ लगभग आधे से ज़्यादा भूमि के हिस्से में जंगल बसे हुए हैं, जिनकी वजह से यह राज्य कई अलग-अलग तरह के जंगल स्तनपाई, पक्षी, पौधों और जैव विविधताओं के लिए जाना जाता है।
इन सबके अतिरिक्त मेघालय में दिलचस्प और मज़ेदार है, यहाँ के त्यौहार और जनजातियों के नृत्य। रंग बिरंगे वेशभूषाओं में तैयार हो इनके लोक नृत्य को देखने का नज़ारा ही अलग है। हर छोटी-छोटी चीज़ों में खुश होने के लिए इनके विभिन्न त्यौहार यहाँ की संस्कृति को सबसे अलग बनाती है।
चलिए आज हम चलते हैं कुछ ऐसे ही त्यौहारों को मनाने और उनके लोक नृत्य के मज़े लेने।
वांगला त्यौहार
Image Courtesy: Vishma thapa
1. वांगला
मेघालय में असानांग गाँव के निवासी गारो जनजातियों का सबसे प्रमुख त्योहार, नवंबर महीने के दूसरे हफ्ते में दो दिन तक मनाया जाता है। इस त्यौहार को 100 ढोलकों का त्योहार भी कहते है। इस दिन जनजाति के लोग चावल का सबसे पहला हिस्सा अपने देवी देवताओं को समर्पित करते हैं और अच्छे फसल के लिए धन्यवाद ज्ञापन करते हैं।
2. चाड सुक्रा
प्नार जाति के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला यह त्यौहार अप्रैल से मई के महीने में मनाया जाता है। खेतों में बीज बोने से पहले इस त्यैहार को मना लोग अपने देवी देवताओं से अच्छे फसल के होने की प्रार्थना करते हैं और हर तरह की प्राकृतिक आपदा से अपने फसल को बचाने की प्रार्थना करते हैं।
लोकनृत्य
Image Courtesy: Bipul Rabha
3. का पोम्बलांग नोन्गक्रेम
यह त्यौहार मुख्यतः नोन्गक्रेम नृत्य के लिए जाना जाता है। ख़ासी जातियों द्वारा मनाया जाने वाला यह त्यौहार शिलॉंग से 20किलोमीटर दूर स्मित गाँव में अच्छी फसल की खुशी में मनाया जाता है। कुँवारी लड़के और लड़कियाँ इस दिन पारंपरिक परिधान में लोक नृत्य प्रस्तुत करते हैं।
4. सारम चा 'आ'
आटॉंग्स जनजातियों द्वारा मनाया जाने वाला यह त्यौहार भी नवंबर के महीने में अच्छे फसल की खुशी में मनाया जाता है। पंडित सारे रीति रिवाज़ों के साथ अपने देवी देवताओं को पालतू जानवरों की बलि देते हैं।
5. बेहदिन्ख्लाम
जैंतिया जनजाति के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला यह त्योहार इनका सबसे प्रमुख त्यौहार है। जोवाई गाँव में मनाए जाने वाले इस त्यौहार का जश्न जुलाई महीने के तीन दिनों तक चलता है। लोग इस दिन अच्छे स्वास्थ और संपन्नता की कामना करते हैं। बड़े-बड़े रथों को सजा कर 30 से 40 लोग पास के ही नदी में विसर्जन के लिए ले जाते हैं। इस रथ के साथ ही यहाँ के पवित्र पेड़ ख्नोन्ग्स को भी विसर्जित किया जाता है।
गारो जनजाति की महिलाएं लोकनृत्य पेश करती हुईं
6. रोंगचु गाला
मेघालय के गारो जनजातियों द्वारा मनाये जाने वाले इस त्यौहार में खेती के सबसे पहले फसल चपटे चावल जिसे रोंगचु कहते हैं, के हिस्से को मुर्गी के बलि के साथ अपने कुल देवी देवताओं को समर्पित किया जाता है।
7. उस्मान नॉंगखराई
यहाँ का सबसे खास त्यौहार जिसे अप्रेल या मई के महीने में मनाया जाता है। बकरी की बलि दे इस त्यौहार का आयोजन शुरू होता है। लोग रात भर लोकनृत्य करते हैं और दूसरे दिन सुबह अपने देवी देवताओं की पूजा कर संपन्नता की कामना करते हैं।
8. शाद- सुक माय्नसीम
हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने वाले इस त्यौहार को बसंत ऋतु में शिलॉंग में मनाया जाता है। युवा लड़के लड़कियाँ पारंपरिक परिधान में लोकसंगीत पर लोकनृत्य प्रस्तुत करते हैं।
लोकनृत्य प्रस्तुत करते युवा लड़के लड़कियाँ
Image Courtesy: Rikynti Marwein
तो अब आपको पता चल ही गया होगा कि मेघालय जनजाति के लोग कितने ज़्यादा प्रकृति से जुड़े हैं। उनके सारे त्यौहार भी प्रकृति को ही समर्पित हैं। इन्हीं सब त्यौहारों पर लोगों द्वारा लोक नृत्य ज़रूर पेश किए जाते हैं। इन लोक नृत्यों के बिना उनके ये त्यौहार बिल्कुल ही अधूरे हैं।
तो अगली बार आप जब भी मेघालय की यात्रा की योजना बनाएँ, उनके इन त्यौहारों में सम्मिलित होना ना भूलें। उनके इन त्यौहारों में शामिल हो उनकी संस्कृती को और करीब से जानने का मौका हाथ से बिल्कुल भी जाने ना दें।
अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।
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