गुजरात, मीठी बोली बोलने वाला एक खूबसूरत राज्य, जहां जीवन में एक बार जाने का सपना हर कोई देखता है। चाहे अरब सागर हो या कच्छ में नमक की खेती, यहां देखने को बहुत कुछ है खास। दुनिया भर के लोग आते हैं गुजरात की खूबसूरती को अपनी आंखों और तस्वीरों में कैद करने को। लेकिन अब गुजरात की तो शान ही कुछ अलग है, सरदार वल्लभ भाई पटेल की इतनी भव्य प्रतिमा- "स्टैचू ऑफ यूनिटी" जो बनी है।
गुजरात की ये शान अब पूरे विश्व में भारत की शान बन चुकी है। सरदार पटेल की ये प्रतिमा विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है। यही कारण है कि उद्घाटन के अगले ही दिन से दुनियाभर के लोगों का हजूम उमड़ने लगा है। और हो भी क्यों ना आखिर ये है ही इतनी खूबसूरत।
स्टैचू ऑफ यूनिटी का निर्माण
स्टैचू ऑफ यूनिटी दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैचू है। इसकी ऊंचाई लगभग 600 फीट है। इतनी बड़ी प्रतिमा के निर्माण में 4 साल का समय लगा है। 2014 में इसे बनाने की शुरुआत हुई थी और 31 अक्टूबर 2018 को इसका लोकार्पण किया गया। इसके निर्माण में लगभग 2,989 करोड़ रुपयों की लागत लगी है। इस भव्य मूर्ति के शिलान्यास में 180,000 क्यूबिक मीटर सीमेंट, 18,500 टन प्रबलित स्टील, 6,500 टन संरचित स्टील, 1,700 टन पीतल, 1,850 टन तांबा इस्तेमाल किया गया है।
स्टैचू ऑफ यूनिटी की खासियत
- इसमें स्मारक तक पहुँचने के लिये लिफ्ट है।
- तीन स्तरों में विभाजित इस मूर्ति में एग्जीबिशन फ्लोर, छज्जा और छत हैं। छत पर स्मारक उपवन, विशाल म्यूजियम और एग्जीबिशन हॉल है जिसमे सरदार पटेल के जीवन और योगदानों को दिखाया गया है।
- नदी से 500 फिट ऊँचा ऑबसर्वेशन डेक है जिससे एक ही समय में दो सौ लोग मूर्ति का निरीक्षण कर सकते हैं।
- सिर्फ 5 मिनट में नाव के ज़रिये मूर्ति तक पहुंचा जा सकता है।
- एक पब्लिक प्लाज़ा भी है जिससे नर्मदा नदी और मूर्ति देखी जा सकती है। इसमें कई तरह की दुकानें और अन्य सुविधाएं मौजूद हैं।
- मूर्ति पर तांबे की मोटी परत है।
स्टैचू ऑफ यूनिटी जाने का सही समय और टिकट
पर्यटकों के लिए 9 बजे से शाम 6 बजे तक का समय है। पर्यटकों को कुल 380 रुपये देने होंगे, 350 रुपये विज़िटिंग टिकट और 30 रुपये बस के लिए। ध्यान रहे, सोमवार के दिन स्टैचू ऑफ यूनिटी बंद रहता है।
स्टैचू ऑफ यूनिटी की शुरुआत कैसे हुई?
7 अक्टूबर 2010 को गुजरात सरकार ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा बनाने की घोषणा की थी। साथ ही ये भी कहा कि ये दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिन के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया था। इसके निर्माण के लिये गुजरात सरकार ने गाँव में रहने वाले हर किसान से उनके काम ना आने वाला लोहा इकट्ठा किया। इस काम के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय एकता के नाम से एक ट्रस्ट भी बनाई गई जिसने देशभर में 36 कार्यालय खोले जिसका लक्ष्य 5 लाख किसानों से लोहा जुटाना था। इस अभियान के तहत 6 लाख किसानों से लगभग 5,000 मीट्रिक टन लोहा इकट्ठा किया जा सका। लेकिन मूर्ति बनाने के लिए लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जा सका इसलिए ये लोहा परियोजना से जुड़े दूसरे निर्माणों में इस्तेमाल हुआ।
इस अभियान से सुराज नाम का प्रार्थना-पत्र बना जिसमे जनता बेहतर शासन पर अपनी राय दे सकती थी। इस प्रार्थना पत्र पर 2 करोड़ लोगों ने अपने हस्ताक्षर किए जिसके बाद ये विश्व का सबसे बड़ा इतने हस्ताक्षर हासिल करने वाला प्रार्थना-पत्र बन गया। इसके अलावा, 15 दिसम्बर 2013 को "रन फॉर यूनिटी" के नाम से पूरे देश में एक मैराथन का आयोजन भी किया गया जिसमें भारी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया।
स्मारक सार्वजनिक-निजी साझेदारी के साथ बना है। इसमें ज़्यादातर हिस्सा गुजरात सरकार का है। गुजरात सरकार ने 2012-2013 के बजट में इसलिए 100 करोड़ रुपये और 2014-2015 में 500 करोड़ आवंटित किए। 2014-15 भारतीय संघ के बजट में स्टैचू ऑफ यूनिटी के निर्माण के लिए 2 अरब रुपये आवंटित किए गए।
स्टैचू ऑफ यूनिटी कहां है?
स्टैचू ऑफ यूनिटी गुजरात के साधू बेट नाम के नदी द्वीप पर बनाया गया है। साधू बेट नदी द्वीप, नर्मदा बांध से 3.2 किमी दूर है।