देश और दुनिया दोनों का ही सबसे प्राचीन शहर वाराणसी अपने अनगिनत मंदिरों और घाटों के लिए प्रसिद्ध है। भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक, इस शहर में पूरे साल सैलानियों और भक्तगणों का ताँता लगा रहता है ताकि वे वाराणसी के मनमोहक और चमत्कारिक माहौल का हिस्सा बन पाएं।
[वाराणसी से जुड़ी दिलचस्प बातें!]
लगभग 100 से भी ज़्यादा घाटों में एक वाराणसी का दशाश्वमेध घाट, यहाँ का सबसे विस्तृत और महत्वपूर्ण घाट है। चलिए आज हम वाराणसी के इसी पवित्र और सबसे मान्यता वाले दशाश्वमेध घाट की सैर पर चल इसकी असीम कृपा को जानते हैं।

दशाश्वमेध घाट
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दशाश्वमेध घाट के पीछे की कथा
दशाश्वमेध घाट से जुड़ी दो कथाएं प्रचलित हैं। पहली कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने जो पूरे ब्रह्मांड के निर्माता हैं, उन्होंने इस घाट का निर्माण भगवान शिव जी के स्वागत के लिए किया था। दूसरी प्रसिद्ध कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा जी ने यहीं पर यज्ञ कर दस घोड़ों की बलि दी थी, जिसकी वजह से घाट का नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा।
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दशाश्वमेध घाट में शाम की आरती
Image Courtesy: Ekabhishek
दशाश्वमेध घाट का महत्व
दशाश्वमेध घाट का सबसे महत्वपूर्ण पहलु है, यहाँ हर शाम होने वाली अग्नि पूजा। यह अग्नि पूजा भगवान शिव जी, गंगा नदी, सूर्य देवता, अग्नि देवता और ब्रह्माण्ड देवता को भेंट स्वरुप रोज़ की जाती है। यह घाट साल में एक बार होने वाले मेंढकों के विवाह के लिए भी प्रचलित है, जब यहाँ के पंडित मेंढकों का पूरे रीति-रिवाज़ के साथ विवाह करा कर दोबारा से उन्हें उसी नदी में छोड़ देते हैं।

दशाश्वमेध घाट में शाम की आरती
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सप्ताह के एक दिन, हर मंगलवार को धार्मिक गंगा आरती की जाती है। आरती करने वाले पंडित केसरिया रंग के कपड़े पहनकर, पूजा की थाली में पीतल का दीपक जलाकर इस आरती को पूर्ण करते हैं। इस सुन्दर और पावन दृश्य को देखने के लिए श्रद्धालुओं और पर्यटकों का एक जगह जमावड़ा लगता है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन भव्य गंगा आरती का आयोजन होता है जिसमें हिस्सा लेने के लिए दूर-दूर से भक्तों और पर्यटकों का समूह इकठ्ठा होता है।
[वाराणसी साहित्य,कला,मंदिर और संस्कृति का शहर!]

दशाश्वमेध घाट
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दशाश्वमेध घाट कैसे पहुँचें?
वाराणसी रेलवे स्टेशन पहुँच कर आप कोई भी टैक्सी या रिक्शा गोडौलिया तक के लिए लेंगे, जहाँ से दशाश्वमेध घाट सिर्फ 5 मिनट के ही पैदल मार्ग पर स्थित है।
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सिंधिया घाट
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वाराणसी में अन्य घाट
वाराणसी में अनगिनत घाट हैं जिनमें से महत्वपूर्ण घाटों में, मणिकर्णिका घाट, मान मंदिर घाट, ललित घाट, सिंधिया घाट और बछराज घाट सम्मिलित हैं, यहाँ का हर घाट अपने पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है।
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