कौन ऐनिमेटेड डिज्नी महलों की भव्यता से प्यार नहीं करता? बड़े महल, विशाल दरवाज़े, राज मार्ग और घुमावदार रहस्यमयी सीढ़ियाँ हमें एक काल्पनिक दुनिया में ले जाती हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि यहाँ डिज़्नी महल की बात क्यूँ हो रही है? क्यूंकि ऐसा ही एक औरंगाबाद के कोने में जटिल वास्तुकला का नमूना, दौलताबाद का किला अन्य सभी किलों को कड़ी टक्कर देते हुए आज भी शान से खड़ा है।
वास्तव में, यह किला अपने अनूठे निर्माण के लिए, एक भूलभुलैया के रूप में जाना जाता है। एक महल, जो अच्छी तरह से परिसर के कई स्तरों से संरक्षित है, हर किसी में एक जिज्ञासा पैदा करता है।
पिरामिड आकर की पहाड़ी पर स्थापित दौलताबाद किला
Image Courtesy: Aamer.shaikh
दौलताबाद का किला एक पिरामिड शेप में बने पहाड़ी के शीर्ष पर स्थापित है, जो इसके परिसर को एक बिल्कुल ही नया रूप देता है।
अगर आप राष्ट्रीय राजमार्ग 211 से अपनी यात्रा औरंगाबाद से एल्लोरा गुफ़ाओं की ओर करते हैं तो बाहरी रामपर्ट्स जो अंबरकोट के नाम से जाना जाता है आपको इस असामान्य किले की और ले जाएगा। आपका अगला पड़ाव आंतरिक स्तर है जो महाकोट के नाम से जाना जाता है, मुख्य द्वार के साथ और किले के अन्य प्रवेश द्वार यहाँ आपको मिलेंगे।
किले में एक महल के बचे हुए अवशेष
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बस इतना ही नहीं, अभी तो हम किले के आसपास भी नहीं हैं। शनिवार वाड़ा की तरह किले के बड़े-बड़े दरवाज़ों पर लगे हुए नुकिले लोहे के छड़ हमें यहाँ की रक्षा रणनीतियों के बारे में बताते हैं।
शुरुआत से ही, दौलताबाद का किला अपने पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल होता है। हालांकि यह किला मोहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल के अधीन निखरा है, मूल रूप से यह राष्ट्रकूट राजाओं द्वारा निर्मित किया गया था।
किले के अंदर जाने का एक प्रवेश द्वार
Image Courtesy: Danial Chitnis
किले के परिसर में प्रवेश करने के लिए अपने कदम कालाकोट, अंतिम कोट(परिसर की दीवार) में रखिए। दिलचस्प बात यह है कि, यह यहाँ फिर से एक ऐनिमेटेड किले की तरह प्रतीत होता है। इस किले के अंदर जाने के लिए आपको एक खाई जो पिरामिड पहाड़ियों से घिरा हुआ है को पार करना होगा। अंधेरे गलियारे, घुमावदार सीढ़ियाँ, विशाल लोहे के तोप, क्षतिग्रस्त इमारत, पानी के टैंक, किले के उपरी हिस्से तक आपकी यात्रा में आपके साथ होंगे।
किले के अंदर स्थापित तोप
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यहाँ एक और दिलचस्प बात है, किले के अंदर स्थापित मंदिरों के बारे में। देवगिरी के नाम से जाना जाने वाला किला कुछ राज वंशों के अधीन था। इसलिए इस मुगल प्रभुत्व संपत्ति में मंदिरों का होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
नारंगी रंग के चान की मीनार को देखने के बाद, अंधेरी गलियों के माध्यम से ऊपर के सिरे की ओर बढ़िए जो आपके रोंगटे खड़े कर देगा। कई सीढ़ियों और घुमावदार गलियारों को पार कर आप किले के शीर्ष पर पहुँच जाएँगे।
चान मीनार
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अहा! क्या आपको यह एक चक्रव्यूह(सभी पक्षों से दुश्मन को कवर करने के लिए एक रक्षा रणनीति) की तरह नहीं लग रहा? दौलताबाद किले पर विजय प्राप्त करना निश्चित रूप से ही एक कठिन कार्य रहा होगा। उनके द्वारा बनाए गये योजनाओं की कल्पना कीजिए जो एक फाटक को ही पार करने में ज़रूरत होती होगी।
दौलताबाद किला
Image Courtesy: Jonathanawhite
मोहम्मद बिन तुगलक़ ने देवगीरि को अपनी राजधानी बनाई और उसे दौलताबाद नाम दिया जो आज तक महाराष्ट्र में एक वास्तुशिल्प के आश्चर्य के रूप में शान से खड़ा है।
क्या आप अब भी इस भूलभुलैया के मज़े लेना नहीं चाहेंगे?
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