दिलवाड़ा जैन मंदिर, भारत के प्रमुख जैन तीर्थस्थलों में से एक है। माउंट आबू के पास ही स्थित इस दिलवाड़ा मंदिर में पाँच जैन मंदिर शामिल हैं जो अपनी धार्मिक और वास्तुकला की महत्ता के लिए प्रमुख तौर पर जाने जाते हैं।
11 से 13 वीं शताब्दी में बने ये मंदिर उस समय के चालुक्य वंश के शासनकाल के सबसे अच्छे मंदिरों के खूबसूरत नमूने हैं। ये साधारण पर आकर्षक मंदिर अपने संगमरमर की रचना नक्काशीदार खम्भे, दरवाज़े, छत और पैनल के लिए जाने जाते हैं जो हर एक मंदिर को अलग और विशेष चमक प्रदान करते हैं। चलिए आज हम और अधिक जानते हैं इन पांच मंदिरों के बारे में।
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Image Courtesy: Selmer van Alten
विमल वसाही मंदिर
विमल वसाही मंदिर, श्री आदिनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह दिलवाड़ा मंदिर के परिसर में स्थापित सबसे पुराना मंदिर है। जैन महात्मा श्री आदिनाथ को समर्पित यह मंदिर गुजरात के सोलंकी महाराज विमल शाह द्वारा बनवाया गया था। मंदिर के अंदर कई जैन महात्माओं की तस्वीरें हैं जिन्हें बहुत ही खूबसूरत तरीके से मंदिर की दीवारों पर खोद कर बनाया गया है। गुडा मंडप, मंदिर का एक मुख्य आकर्षण है जो एक बड़ा सा हॉल है जिसमें श्री आदिनाथ जी के कई छवियां उकेरी गई हैं।
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लूना वसाही मंदिर
लूना वसाही मंदिर श्री नेमिनाथ मंदिर जी के नाम से भी जाना जाता है। 22 वें जैन संत श्री नेमि नाथ जी को समर्पित यह मंदिर दो भाइयों तेजपाल और वस्तुपाल द्वारा 1230 ईसा बाद बनवाया गया था। यह मंदिर दिलवाड़ा मंदिर का दूसरा महत्वपूर्ण मंदिर है। मंदिर का मुख्य हॉल जिसे रंग मंडप कहा जाता है, 360 छोटे-छोटे तीर्थंकारों की मूर्तियों के लिए जाना जाता है जिन्हें गोलाकार आकार में यहाँ स्थापित किये गए हैं। यहाँ के गुडा मंडप में श्री नेमि नाथ की काली संगमरमर की मूर्ति स्थापित है।
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पित्तलहार मंदिर
सबसे पहले तीर्थंकर, ऋषभ देव जी को समर्पित यह मंदिर जैन संत की विशाल मूर्ति जिसे पाँच धातुओं से मिलकर बनाया गया है के लिए जाना जाता है। इस मंदिर का नाम पीतल, मूर्ति में सबसे ज़्यादा उपयोग किये गए पीतल धातु के नाम पर पड़ा है। मंदिर में एक गर्भगृह, गुडा मंडप और नवचौकी है।
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पार्श्वनाथ मंदिर
पार्श्वनाथ मंदिर 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी को समर्पित है। इस मंदिर को खरतार वसाही मंदिर के नाम से भी जाना जाता है जिसे सन् 1459 में मांडलिक द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर दिलवाड़ा के अन्य मंदिरों में सबसे लंबा मंदिर है। इस तीन मंज़िले मंदिर के भूतल के चार पक्षों में चार बड़े हॉल बने हुए हैं। मंदिर की बहरी हिस्से में ग्रे बलुआ पत्थर से खोद कर मूर्तियां बनाई गई हैं जो एक अद्भुत नज़ारे का निर्माण करती हैं।
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महावीर स्वामी मंदिर
महावीर मंदिर दिलवाड़ा मंदिर के अन्य मंदिरों की तुलना में सबसे छोटा मंदिर है जो 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर जी को समर्पित है। सन् 1582 में बनाये गए इस मंदिर की दीवारों पर खूबसूरत खोद कर चित्र उकेरे गए हैं। मंदिर की ऊपरी दीवारों पर कलाकार सिरोही द्वारा बनाये गए खूबसूरत चित्र देखने को मिलेंगे जिन्हें उन्होंने सन् 1764 में बनाये थे।
अब आप जब भी अपनी माउंट अाबू की यात्रा पर जाएँ, इन खूबसूरत रचनाओं का दीदार करना बिल्कुल भी न भूलें।
अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।
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