खजुराहो, मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित एक सुरम्य स्थल है जो विंध्य पर्वत श्रृंखला की पृष्ठभूमि में स्थित है। खुजराहो का नाम दुनिया के नक्शे पर विश्व धरोहर के रूप में जाना जाता है। जहां बलुआ पत्थरों पर खुदाई करके इन बेशकीमती मूर्तियों को तैयार किया गया था, आज भी यह मूर्तियां सारी दुनिया में विख्यात है। अनूठी और जूनून से भरी ये मूर्तियां देखने में वाकई बड़ी खास लगती है।
खुजराओ के मंदिर की मूर्तियों के चित्रित चरित्र हमें सांसारिक सुख के बारे में काफी कुछ बयां करते हैं। लेकिन आप यह मत सोचियेगा की यहाँ सिर्फ इन मूर्तियों का ही चित्रण हुआ है, इनके अलावा यहाँ कई ऐसी मूर्तियां भी उकेरी गई हैं जो हमारे रोज़ाना की ज़िन्दगी की कहानियों को उल्लेखित करती हैं। हर साल पर्यटक इस मंदिर को देखने पहुंचते हैं। बताया जता है कि, बहुत से खजुराहो मंदिरो का निर्माण 950 और 1050 में ही चंदेला साम्राज्य में हुआ था। यहां पहले करीबन 85 मंदिरथे जिनमे से अब 22 ही बचे हैं।
मन्दिरों में मूर्तियाँ बेहद ही करीने से बनाई गयी हैं, जिन्हें देखने के बाद किसी के मन में गलत ख्याल आने के बजाए सभी मंदिर की खूबसूरती में खो जाते हैं। अक्सर लोग जब इन मन्दिरों का दौरा करते हैं, तो उनके दिमाग में यह सवाल अवश्य आता है, आखिर इन मूर्तियों को इस तरह मंदिर में क्यों बनाया गया? मंदिर में इस तरह की मूर्तियां बनाने के अपने तर्क वितर्क है, जिनमे से चार मान्यताएं प्रमुख मानी गयी हैं, तो आइये जानते हैं..
पहली मान्यता
मान्यता के मुताबिक इन मंदिर की दिवारों पर कामुक मूर्तियाँ उकरने के पीछे हिन्दू धर्म की रक्षा बताया गया है। उस दौरान गौतम बुद्ध के उपदेशों से प्रेरित होकर आम जनमानस में कामकला के प्रति रुचि खत्म हो रही थी। तब चंदेल शासकों ने हिंदू धर्म के अस्तित्व को बचाने का प्रयास करने के लिए उन्होंने इसी मार्ग का सहारा लिया। उनके अनुसार प्राचीन समय में ऐसा माना जाता था कि सेक्स और वासना की तरफ हर कोई खिंचा चला आता है। इसीलिए यदि मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में मूर्तियां लगाई जाएंगी, तो लोग इसे देखने मंदिर आएंगे। फिर अंदर भगवान का दर्शन करने जाएंगे। इससे हिंदू धर्म को बढ़ावा मिलेगा।Pc: flicker
दूसरी मान्यता
तो वहीं कुछ लोगो का मानना है कि, प्राचीन समय में सभी बच्चे गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करते थे, ऐसे में उन्हें सांसारिक बातों का ज्ञान कराने के लिए इन मंदिरों का निर्माण कराया गया। दरअसल मंदिर ही एक ऐसा स्थान था, जहां लगभग सभी लोग जाते थे। इसीलिए संभोग की सही शिक्षा देने के लिए मंदिरों को चुना गया।Pc: Vu2sga
तीसरी मान्यता
कुछ लोग तर्क देते हैं कि, प्राचीन समय में राजा-महाराजा भोग-विलासिता में अधिक लिप्त रहते थे। वे काफी उत्तेजित रहते थे। इसी कारण खजुराहो मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां चित्रित की गयीं।Pc: wikimedia
चौथी मान्यता
कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि, इन्सान को मोक्ष पाने के लिए चार रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है - धर्म, अर्थ, योग और काम। माना जाता है कि, इसी के चलते मंदिर के बाहर नग्न मूर्तियां लगाई चित्रित की गयीं क्योंकि यही काम है और इसके बाद सिर्फ और सिर्फ भगवान का शरण ही मिलता है।Pc: Rajenver
दुलादेव मंदिर: खजुराहो का अंतिम मंदिर!