साल का वह दिन आ चूका है, जब बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। आज महालया है और कल से दुर्गा पूजा यानि की दशहरे का पवित्र त्यौहार आरम्भ हो जायेगा। इसी शुभ उपलक्ष्य पर आज हम आपको बताते हैं कि देश में दशहरे की राजधानी, कोलकाता की यात्रा इस पावन अवसर पर करना ज़रूरी क्यूँ है। ये तो आपको मालूम ही होगा कि कोलकाता में दुर्गा पूजा की एक अलग ही महत्ता है। यहाँ का दुर्गा पूजा देश के सबसे बड़े उत्सव के रूप में माना जाता है। दुर्गा पूजा में शहर की भव्यता और चकाचौंध भक्तों में उम्मीद की एक नई आस लेकर आती है।
दशहरे के अंतिम छह दिन कोलकाता के लोगों में और यहाँ की गई साज सज्जा में यहाँ की खुशहाली और माँ दुर्गा की असीम कृपा साफ़ नज़र आती है। इन दिनों कोलकाता शहर अपने उपनाम "सिटी ऑफ़ जॉय(हर्षोल्लास का शहर)" पर बिलकुल खरे उतरता है। इन 10 दिनों तक कोलकाता सोता नहीं है, पुरे दिन पूरी रात माँ दुर्गा की भक्ति, नाच गाने, रंगों, अलग-अलग तरह के व्यंजनों और अपनी संस्कृति में पूरा डूबा रहता है।
माँ की आरती करता पुजारी
Image Courtesy: Partha Sarathi Sahana
संगीत,मिठाईयें,धूम धड़ाका और बहुत कुछ
रास्तों में भक्तों का मजमा, बड़े-बड़े सजावटी पंडाल, स्वादिष्ट अलग-अलग तरह के व्यंजन, मधुर संगीत और नाच, भव्य संस्कृति, और शानदार लाइटों की चकाचौंध,ये मुख्य विशेषताएं हैं कोलकाता के दशहरे यानि की दुर्गा पूजा उत्सव की। कोलकाता में दुर्गा पूजा की भव्यता वैसी ही होती है जैसी गणेश पूजा की मुम्बई में।
चलिए कोलकाता के ऐसी ही कई अन्य महत्वपूर्ण विशेषताओं के बारे में जानते हैं, जिसकी वजह से यह देश में दशहरे के समय आकर्षण का प्रमुख केंद्र होता है।
माँ दुर्गा की दिव्य प्रतिमा
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भव्य पंडाल
कोलकाता में दुर्गा पूजा के समय यहाँ के पंडाल इस उत्सव के मुख्य विशेषताएं हैं। यहाँ लगभग 3000 से भी ज़्यादा पंडालों का निर्माण किया जाता है, जिनमें अलग-अलग आकर्षक और अद्भुत कारीगरी की जाती है। इन पंडालों का निर्माण तीन चार महीनों पहले से ही शुरू हो जाता है जिनमें हर बार कुछ नए व अलग विषयों को दर्शाया जाता है। यहाँ के कुछ प्रसिद्द पंडाल, कुमुरतुली पार्क, सुरुचि संघ, जोधपुर पार्क, कॉलेज स्क्वायर और बैगबाजार में बनते हैं।
यहाँ की स्थानीय संस्कृति
अगर आपको कोलकाता की शुद्ध बंगाली संस्कृति को देखना, समझना और उसके मज़े लेना है तो यही वह सबसे सही समय है जब आप इस संस्कृति को पूरी तरीके से जान पाएंगे। बंगाली अपने समृद्ध संस्कृति और विरासत के लिए बखूबी जाने जाते हैं जो आप यहाँ कहीं पर भी अच्छे से देख पाएंगे। बंगाली लोक नृत्य और संगीत यहाँ के हवा में पूरी तरह से घुल जाता है। बंगाली महिलाएं अपने पूरे पारंपरिक परिधान, सफ़ेद लाल पाड़ तांत साड़ी में सजी धजी माँ दुर्गा की तरह शोभायमान होती हैं।
शहर में की गई शानदार विद्युतसज्जा
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शानदार विद्युत सज्जा
पूरा शहर विद्युत सज्जा के चकाचौंध से जगमगा उठता है। हर सड़क और पंडालों में विद्युत सज्जा की शानदार चमक देखते ही बनती है। पुरे शहर में की गई विद्युत सज्जा किसी ने किसी विषय से सम्बंधित होती हैं, चाहे वे करंटअफेयर्स हों या कोई सामाजिक सन्देश।
स्ट्रीट फूड; खाने के शौकीनों के लिए सबसे शानदार मौका
बंगाली, खाने के प्रति प्रेम के लिए भी बखूबी पहचाने जाते हैं। जैसा कि पूरे देश में त्यौहार के मौके पर शुद्ध शाकाहारी भोजन ही खाने और बनाने की परंपरा है, कोलकाता में इसके विपरीत मांसाहारी व्यंजनों की भी इस त्यौहार में बहार होती है। अगर आप त्यौहार के समय शाकाहारी भोजन खा-खा कर पक चुके हैं और कुछ नए व लज़ीज़ मांसाहारी व्यंजनों की तलाश में हैं, तो कोलकाता ही आपके लिए बेस्ट जगह है। बंगाली मिठाईओं को देखकर तो ऐसे भी आप उन्हें खाये बिना नहीं रह सकते, तो अपनी हिचकिचाहट दूर कर दिलखोलकर इन मिठाइयों और लज़ीज़ व्यंजनों के मज़े लीजिये यहाँ।
माँ दुर्गा की दिव्य प्रतिमा
Image Courtesy: Ramakrishna Reddy Y
दुर्गा पूजा का अंतिम दिन यानि कि विसर्जन का दिन यहाँ सबसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। तो इस दशहरा "सिटी ऑफ़ जॉय" के दर्शन ज़रूर करें और माँ दुर्गा की असीम कृपा प्राप्त कर त्यौहार के भरपूर मज़े लें।
"दशहरे की हार्दिक शुभकामनायें"
"हैप्पी दुर्गा पूजा!"
Read in English: Travel To The Dussehra Capital Of India; Why Should We Visit Kolkata During Durga Puja?
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