द्वारका शहर को संस्कृत में द्वारावती कहा जाता है तथा यह भारत के सात प्राचीन शहरों में से एक है। यह शहर भगवान कृष्ण का घर था। हमारे धर्म ग्रंथों में ऐसा कहा गया है कि केवल यही एक ऐसा स्थान है जो चार धाम (चार प्रमुख पवित्र स्थान) तथा सप्त पुरी (सात पवित्र शहर) के नाम से जाना जाता है। ज्ञात हो कि शब्द द्वारका "द्वार" शब्द से निकला है जिसका संस्कृत में अर्थ होता है दरवाज़ा तथा इस शब्द का महत्व ब्रह्मा के लिए दरवाज़े से है।
आध्यात्मिक,एडवेंचर्स से सराबोर मध्य प्रदेश का प्राचीन शहर
वैष्णवों के लिए इस शहर का बहुत अधिक महत्व है। जगतमंदिर मंदिर में द्वारकाधीश की मूर्ति है जो भगवान कृष्ण का एक रूप हैं। शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक नागेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वारका के पास स्थित है। यदि बात द्वारका तथा इसके आसपास पर्यटक स्थलों की हो तो आपको बता दें कि द्वारका तथा बेट द्वारका में तथा इसके आसपास अनेक पवित्र मंदिर हैं जो प्रतिवर्ष लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। द्वारकाधीश मंदिर, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, मीराबाई का मंदिर, श्री कृष्ण मंदिर, हनुमान मंदिर और बेट द्वारका में कचोरियु द्वारका के कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान हैं।
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अपनी धार्मिक पृष्ठभूमि के कारण द्वारका गुजरात का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल हमेशा से था और रहेगा। आइये इस लेख के जरिये जाना जाये कि आप द्वारका और उसके आस पास क्या देख सकते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर
द्वारकाधीश मंदिर द्वारका का मुख्य मंदिर है जिसे जगत मंदिर (ब्रह्मांड मंदिर) भी कहा जाता है। किवदंती है कि जगत मंदिर - द्वारकाधीश मंदिर का मुख्य मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना है और इसका निर्माण भगवान कृष्ण के पड़ पोते वज्रनाभ ने किया था। ऐसा भी कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद जब द्वारका जो भगवान कृष्ण का राज्य था, पानी में डूब गई थी तब इस मंदिर का निर्माण किया गया था। जगत मंदिर के आसपास की अन्य कलात्मक संरचाओं का निर्माण 16 वीं शताब्दी में हुआ।
घुमली
बारदा पहाड़ी की तलहटी में एक छोटा गाँव है जिसे घुमली कहा जाता है जिसकी स्थापना ईसा पश्चात 7 वीं शताब्दी में जेठवा साल कुमार ने की थी। गुजरात के सुंदर मंदिरों का शहर कहलाने के पहले यह स्थान जेठवा राजवंश की राजधानी था। इनमें से सोलंकी राजवंश का नवलखा मंदिर प्रसिद्ध है जो गुजरात के सबसे पुराने सूर्य मंदिर के रूप में जाना जाता है। यहाँ एक बावड़ी भी है जिसे विकई वाव कहा जाता है। इस प्राचीन ऐतिहासिक शहर की बहाली का काम गुजरात सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कर रहा है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंगा मंदिर
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सौराष्ट्र तट पर द्वारका और बेट द्वारका आइलैंड के रास्ते पर स्थित है। मंदिर में विश्व के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है तथा यह लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के साथ साथ एक तीर्थ स्थान भी है। यहाँ भूमिगत गर्भगृह है तथा मंदिर के परिसर में भगवान शिव की आदमकद मूर्ति है जिसके चारों ओर सुंदर हरा भरा उद्यान है। शिवरात्रि के समय यहाँ बहुत भीड़ होती है।
रुक्मिणी देवी मंदिर
रुक्मिणी देवी मंदिर द्वारकाधीश मंदिर से 2 किमी. की दूरी पर स्थित है जिसके बाहरी ओर गजतारस (हाथी) और नाराथारस (मानव मूर्तियाँ) की नक्काशी की गई है। एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा के अनुसार यह मंदिर भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी को समर्पित है।
भलका तीर्थ
द्वारका में स्थित यह स्थान बहुत रोचक है जिसकी सैर अवश्य करना चाहिए। सोमनाथ से उत्तर की ओर एक तीर्थ स्थान है जिसे भलका तीर्थ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ एक शिकारी ने अनजाने में कृष्ण के पैर में बाण मारा था जिसके कारण कृष्ण की मृत्यु हुई और बाद में कृष्ण के अवतार हुए। इस मंदिर के परिसर में तुलसी का एक पौधा है जिसे भगवान की स्मृति में लगाया गया है।
गोमती घाट
पवित्र शहर द्वारका अद्भुत धार्मिक निवासों के बारे में है और इसके साथ कई रहस्यमय किवदंतियां जुड़ी हुई हैं। इनमें से कुछ की झलक पाने के लिए तथा साथ ही साथ इस पवित्र शहर का पूर्ण दृश्य देखने के लिए आप गोमती नदी से नाव द्वारा यहाँ पहुँच सकते हैं। इसके किनारे भगवान शिव, भगवान कृष्ण, भगवान राम और सुदामा को समर्पित एक मंदिर भी है। सुदामा भगवान कृष्ण के सच्चे मित्र थे। कई वर्षों से ये मंदिर पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है।
बेट द्वारका
बेट द्वारका वह स्थान है जिसकी प्रशंसा प्रत्येक धार्मिक व्यक्ति करेगा। इस आइलैंड पर कुछ दुर्लभ और सुंदर मंदिर हैं तथा इसे बेट शंखोधर के नाम से भी जाना जाता है और यह एक समृद्ध बंदरगाह है। यहाँ आप डॉल्फिन देख सकते हैं, कैम्पिंग का आनंद उठा सकते हैं और समुद्री यात्रा भी कर सकते हैं। यहाँ के कुछ प्रमुख मंदिर हैं वल्लभाचार्य द्वारा बनाया हुआ 500 वर्ष पुराना मंदिर, हनुमान मंदिर जो उनके पुत्र मकरध्वज की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, कचोरियु - भगवान श्री राम का मंदिर, हाजी किरमानी पीर की दरगाह (एक जाने माने सूफी संत) और एक गुरुद्वारा।
कैसे जाएं द्वारका
फ्लाइट द्वारा : द्वारका का निकटतम घरेलू हवाई अड्डा जामनगर में स्थित है जो लगभग 137 किमी. की दूरी पर स्थित है जहाँ से आप टैक्सी द्वारा द्वारका पहुँच सकते हैं। मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जामनगर के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
रेल द्वारा : द्वारका स्टेशन अहमदाबाद - ओखा ब्रॉड गेज रेलवे लाइन पर स्थित है जहाँ से राजकोट, अहमदाबाद और जामनगर के लिए रेल सेवा उपलब्ध है। इसके अलावा कुछ ट्रेन सूरत, वड़ोदरा, गोवा, कर्नाटक, मुंबई तथा केरल तक भी जाती हैं।
सड़क मार्ग द्वारा : द्वारका का निकटतम घरेलू हवाई अड्डा जामनगर में स्थित है जो लगभग 137 किमी. की दूरी पर स्थित है जहाँ से आप टैक्सी द्वारा द्वारका पहुँच सकते हैं। मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जामनगर के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।