उत्तर भारत का बेहद मनोरम राज्य उत्तराखंड उच्च पर्वत, मखमली घास, हरे-भरे हरे चरागाह, कुछ प्रमुख भौगोलिक गुण हैं जो हिमालयी राज्य उत्तराखंड को परिभाषित करते हैं। लेकिन इन सब के बीच यहां की झीलें भी बेहद प्रमुख है।
इस राज्य की खूबसूरत झीलें किसी ना किसी पौराणिक कहानी से जुडी हुई है, जहां प्रकृति सांस लेती हुई प्रतीत होती है। उत्तराखंड के बेहद चुनौतीपूर्ण ऊंचाइयों पर ये खूबसूरत झीलें पर्वतीय शिखरों के बीच में स्थित है। मौसम के मुताबिक ये झीलें पर्यटक से छुपम-छुपायी खेलती हुई प्रतीत होती है। सर्दियों में तो इन झीलों को देखना ना मुमकिन सा हो जाता है, तो वहीं गर्मियों में इन झीलों का पानी मन को शीतलता प्रदान करता है।
रूपकुंड झील
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देवरिया ताल
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देवरिया ताल हरे भरे जंगलों से घिरी हुई यह एक अद्भुत झील है। इस झील के जल में गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और नीलकंठ की चोटियों के साथ चौखम्बा की श्रेणियों की स्पष्ट छवि प्रतिबिंबित होती है। समुद्र तल से 2438 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह झील चोपटा - उखीमठ रोड से 2 किमी की दूरी पर स्थित है। यह झील यहाँ आने वाले यात्रियों को नौका विहार, कांटेबाजी और विभिन्न पक्षियों को देखने के अवसर प्रदान करती है।
किंवदंतियों के अनुसार देवता इस झील में स्नान करते थे अतः पुराणों में इसे ‘इंद्र सरोवर' के नाम से उल्लेखित किया गया है। ऋषि-मुनियों का मानना है ‘यक्ष' जिसने पांडवों से उनके वनवासकाल के दौरान सवाल किए थे और जो पृथ्वी में छुपे हुए प्राकृतिक खजानों और वृक्षों की जड़ों का रखवाला है, इसी झील में रहता था।
हेमकुंट झील
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सतोपंथ झील
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केदारताल
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित 15000 फीट की ऊँचाई पर है। कहीं शांत और कहीं कलकल करती यह नदी विशाल पत्थरों और चट्टानों के बीच से अपना रास्ता बनाती है। कहा जाता है कि, देवतायों और असुरों के बीच होने वाले समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान शिव ने मंथन से निकले विष को पिया था, तो उन्होंने अपने कंठ की ज्वाला को शांत करने के लिए केदार ताल का जल पीकर ही शांत किया था। गढ़वाली में इसे ‘अछराओं का ताल' कहा जाता है।
बूल्ला तालाब
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लैंसडाउन के प्रमुख आकर्षक स्थलों में से एक बूल्ला तालाब के अप्राकृतिक झील के निर्माण में गढवाल राइफल्स के जवानों ने बहुत मद्द की थी, जिसके कारण यह झील उन्हें समर्पित है। इस झील का नाम गढवाली शब्द "बूल्ला" पर रखा गया है, जिसका अर्थ है "छोटा भाई"। सैलानी इस झील में नौका विहार और पैडलिंग का आनंद ले सकते हैं। इस में बच्चों के खेलने के लिए पार्क, खूबसूरत फव्वारे और बांस के मचान लगाए गए हैं।
भीम-ताल
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कहा जाता है कि भीमताल का निर्माण महाभारत काल में हुआ था। यह ताल नैनीताल से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भीमताल के दो छोर हैं, जिन्हें तल्ली व मल्ली ताल कहा जाता है। इस ताल की मुख्य विशेषता है, इसकी अवस्थिति। यह एक सुंदर घाटी में स्थित है। यहां बीच में स्थित टापू, सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस टापू पर आप मनपसंद व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं। बता दें कि इस ताल की भी अपनी अगल धार्मिक मान्यता है, कहा जाता है इस ताल को भीम ने खोदकर बनाया था, इसलिए इस झील का नाम पड़ा भीमताल। यहां पास में ही भीमेश्वर मंदिर भी है, जिसे भीमेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।
नैनी झील
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नैनी झील, नैनीताल का मुख्य आकर्षण है। इस एक झील को देखने के लिए पूरे विश्व भर से सैलानी आते हैं। इस झील को जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है, जिसमें इसे त्रिऋषि सरोवर कहा गया है। इस झील का अपना अलग धार्मिक महत्व है, मान्यता के अनुसार इस ताल में डुबकी लगाने से मानसरोवर नदी के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इस झील को 64 शक्तिपीठों में शामिल किया गया है। पर्यटन के लिहाज से यह झील विश्व विख्यात है, यहां नौकायन का आनंद लेने के लिए सैलानियों का तांता लगा रहता है।
सात ताल
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भीमताल से पांच किमी की दूरी पर स्थित सात ताल प्राकृतिक खूबसूरती से भरा है। इस ताल को सात तालों का समूह कहा जाता है, जिसमें नल दमयंती, गरुड़, राम, लक्ष्मण, सीता, भरत व हनुमान ताल शामिल हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस ताल के समीप भगवान राम, माता सीता व लक्ष्मण ने वनवास के दौरान कुछ समय बिताया था। यह सातों ताल अपने मीठे जल के लिए जाने जाते हैं।