आने वाले हफ्ते में जन्माष्टमी और आजादी दिवस की छुट्टियाँ बिल्कुल आसपास है...यकीनन आपने भी इन खास दिनों की छुट्टियाँ प्लान कर ली होंगी..अगर आपको नहीं पता है तो बता दें..इस हफ्ते लॉन्ग वीकेंड है साथ ही चार दिन की छुट्टी।
जी हां..जहाँ जन्माष्टमी 14 अगस्त को है तो वहीं स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को..और 12 13 शनिवार और रविवार। तो अगर आपने अपनी छुट्टियाँ प्लान नहीं की है तो हम आपकी मदद करते हैं..कुछ ऐसी प्लानिंग करके की आपकी जन्माष्टमी संग स्वतंत्रता दिवस भी अच्छे से हो जाये।
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जन्माष्टमी के अवसर पर श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा, पूरे भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम के लिए शुमार हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर इस मंदिर की रौनक तो बस देखते ही बनती है। इस दिन कृष्ण के दीवाने उनकी एक झलक पानें के लिए दूर दूर से दर्शन करने आते हैं। पूरे मंदिर को इस पर्व पर दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है, जिसे देख मन प्रफुल्लित हो उठता है। बारह बजते ही इस मंदिर यंहा श्री कृष्ण जन्मोत्सव की धूम तो ही बनती है। जहाँ एक और भक्त कृष्ण को दर्शन को आतुर दिखते तो वहीं एक दूसरे को हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की, नन्द के घर आनदं भयो बोलकर अपनी बधाई और ख़ुशी जाहिर करते हैं।
देश का यह सबसे बड़ा और मनपसंद पर्व स्वतंत्रता दिवस देश के हर कोने-कोने में धूमधाम से मनाया जाता है। और अगर आप इस समय देश की राजधानी दिल्ली में हैं, तो फिर आपके इस बार के स्वतंत्रता दिवस की बात ही अलग होगी। दिल्ली की सड़कों पर कहीं भी चले जाइए पूरी दिल्ली आज़ादी के जश्न में डूबी होगी।
दिल्ली से मथुरा
दिल्ली से मथुरा की दूरी 182 किमी है जिसे आप 3 से चार घंटे में पूरा कर सकते हैं। दिल्ली से मथुरा जाने के लिए आप दिल्ली-नॉएडा-फरीदाबाद-पलवल-औरंगाबाद-होडल-मथुरा।
श्री कृष्ण जन्मभूमि
आप चाहे तो मथुरा शनिवार या रविवार को ही पहुंच सकते हैं...जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा और वृन्दावन को एकदम दुल्हन की फूलों से सजाया जाता है। आप यहां जाकर श्री कृष्ण जन्मभूमि को देख सकते हैं। जहाँ जेल के अंदर भगवन श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस जेल के चारों तरफ मंदिर का निर्माण किया गया है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह मस्जिद के बिलकुल बगल ही स्थित है। वासुदेव जी और माता देवकी इसी जेल में कैद थे जब माता देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया। भगवान श्री कृष्ण के मामा कंस ने इन्हें जेल में कैद कर रखा था क्योंकि उसे भय था कि उसकी मृत्यु उसके बहन के बेटे द्वारा होगी। जन्माष्टमी के दिन इस नगरी के लोगों का उत्साह देखते ही बनता है।
PC:Shahnoor Habib Munmun
इस्कॉन टेम्पल
वृन्दावन इस्कॉन मंदिर इसे अंग्रेज मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहाँ जन्माष्टमी सारी पूजा भारतीय पंडितों द्वारा नहीं बल्कि अंग्रेजी पंडितों के द्वारा की जाती हैं। जो वाकई देखते ही बनती हैं।PC: SHRIYANS AGRAWAL
बांके बिहारी मंदिर
वृंदावन में स्थित बांके बिहारी जी का एक भव्य मंदिर है जिस,की छटा कृष्ण जन्मोत्शव पर तो बस देखते ही बनती है। इस मंदिर में बिहारी जी की काले रंग की एक प्रतिमा है। इस प्रतिमा के विषय में मान्यता है कि इस प्रतिमा में साक्षात् श्री कृष्ण और राधा समाए हुए हैं। इसलिए इनके दर्शन मात्र से राधा कृष्ण के दर्शन का फल मिल जाता है। इस मंदिर का निर्माण स्वामी हरिदास जी ने 1864 सदी में करवाया था।
PC:आशीष भटनागर
गोकुल
गोकुल में भगवान श्रीकृष्ण का पूरा बचपन बीता। वासुदेव सर्वशक्तिमान ईश्वर की कृपा से सारी बेड़ियों को तोड़ते हुए नन्हे कृष्ण को नन्द के घर गोकुल तक सही सलामत ले गए। नन्द की धर्म पत्नी माँ यशोदा ने पुत्री को जन्म दिया था जिसे वासुदेव जी ने श्रीकृष्ण के साथ बदल दिया। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद माँ यशोदा की ख़ुशी आप आज भी यहाँ के निवासियों में जन्माष्टमी के दिन देख सकते हैं। घर-घर में जन्म के बधाई गीत बजते हैं।
दिल्ली की सड़कों पर स्वतंत्रता दिवस
इतना सब घूमने के बाद आप स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए दिल्ली की ओर रुख कर सकते हैं। एक लम्बी ड्राइव के बाद सुबह सुबह लाल किले पर ध्वज आरोहण के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद निकल पड़िए दिल्ली की खाली सड़कों पे। दिल्ली की खुली सड़कें, आप, आपके दोस्त-परिवार और आपकी आज़ादी। कनॉट प्लेस के कई जगहों पर स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े आंदोलन की बड़ी-बड़ी तस्वीरें दर्शाई जाती हैं।दिल्ली के पार्कों को भी देश की आज़ादी के रंग में रंग दिया जाता है। तिरंगे झंडे की सजावट और रंग बिरंगे विद्युत सज्जाओं से दिल्ली के पार्क जगमगा उठते हैं।