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इन स्थानों पर मिलता है माता सीता के होने का प्रमाण

हम सभी ने रामायण के बारे में सुना होगा और शायद सभी ने देखा भी होगा। तो आप सभी महाकाव्य के महानायक पुरुषोत्तम श्रीराम, उनकी पत्नी माता सीता, भाई लक्ष्मण और भक्त हनुमान जी के बारे में भी जानते ही होंगे। लेकिन ये बातें कई सालों से एक पहेली बनकर रह गई है कि आखिर क्या प्रमाण है कि रामायण जैसी घटनाएं भूतकाल में घटित हुई है। इसका क्या प्रमाण है?

तो चलिए आज हम आपको बतातें हैं कि देश में और देश के बाहर कई ऐसे स्थान पवित्र है जो माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी के होने का प्रमाण देता है। इन स्थानों पर माता सीता और हनुमान जी पदचिन्ह आज भी मौजूद है। इतना ही माता सीता से संबंधित कई ऐसे स्थानों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जो आपके मन में एक पहेली बनकर रह गई है।

माता सीता की जन्मस्थली

माता सीता की जन्मस्थली

ऐसी मान्यता है कि माता सीता का जन्म बिहार के सीतामढ़ी से करीब 5 किमी. दूर पुनौरा नामक स्थान पर हुआ था। इस पवित्र स्थान पर माता का एक मंदिर भी है। इसी स्थान पर राजा जनक को माता एक कलश में मिली थीं। मंदिर परिसर में एक कुंड भी है, जिसे सीताकुंड के नाम से जाना जाता है। माता सीता के मिलने के बाद यहीं से राजा जनक माता सीता जनकपुर लेकर चले गए थें।

यहां गुजरा था माता सीता का बचपन

यहां गुजरा था माता सीता का बचपन

राजा जनक, जनकपुर के राजा थे जो अब नेपाल में स्थित है। यहां पर एक भव्य मंदिर भी बना है। इस मंदिर में माता सीता के अलावा प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी की प्रतिमा भी मौजूद है। ऐसी मान्यता है कि यहीं पर माता ने अपना बचपन गुजारा था।

माता सीता और प्रभु श्रीराम का विवाह-मंडप

माता सीता और प्रभु श्रीराम का विवाह-मंडप

माता सीता और प्रभु श्रीराम का विवाह-मंडप आज भी जनकपुर में स्थित है। आसपास के लोग अक्सर यहां पर सिंदूर लेकर आते हैं और उसे चढ़ाने के बाद दुल्हन की मांग भरी जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से सुहाग की उम्र लंबी होती है।

माता सीता के पदचिन्ह

माता सीता के पदचिन्ह

रामायण के अनुसार, जब प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण वनवास गए थे, तब उन्होंने कुछ समय चित्रकुट में भी बिताया था, जो आज उत्तर प्रदेश में है। यहां आज भी प्रभु श्रीराम और माता सीता के कई पदचिन्ह मौजूद है, जो आसानी से देखा जा सकता है।

इस स्थान पर कांटी थी लक्ष्मण जी ने शूपर्णखा की नाक

इस स्थान पर कांटी थी लक्ष्मण जी ने शूपर्णखा की नाक

रामायण के अनुसार, चित्रकुट के बाद प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी पंचवटी गए थे, जो अब नासिक में है। ऐसी मान्यता है कि पंचवटी ही वह स्थान है, जहां लक्ष्मण जी ने शूपर्णखा की नाक कांटी थी।

माता सीता की गुफा

माता सीता की गुफा

पंचवटी के जंगलों में एक जगह पांच बरगद का पेड़ है, उसके समीप माता सीता की गुफा स्थित है, जिसे सीता गुफा या सीता गुम्फा के नाम से जाना जाता है। यही वो स्थान है, जहां से लंकापति रावण ने माता सीता का अपहरण किया था। इस गुफा में प्रवेश करने के लिए संकरी सीढ़ियों से गुजरना पड़ता है।

हनुमान जी के पदचिन्ह

हनुमान जी के पदचिन्ह

रामायण के अनुसार, जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया था, तब उसने माता सीता को अशोक वाटिका में ही रखा था, जो आज भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में स्थित है। श्रीराम के कहने पर जब हनुमान जी माता सीता के खोज में लंका पहुंचे तो माता की खोज में अशोक वाटिका भी पहुंचे थे, जहां उनकी मुलाकात माता से हुई थी। यहां पर आज भी हनुमान के पदचिन्ह मौजूद है, जिसे आसानी से देखा जा सकता है।

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