शहर की भागदौड़ से दूर किसी शांत और खूबसूरत जगह
भारत में हीचहाइकिंग करने की बेहतरीन की जगहें
पश्चिमी कर्नाटक और गोवा की सीमा पर स्थित दूधसागर भारत के सबसे ऊंचे झरनों में से एक है। ये झरना मांडोवी नदी से बहता है। बैंगलोर से दूधसागर 560 किमी और गोवा से 29 किमी दूर है। इस झरने में 1017 फीट से ऊंचाई से पानी गिरता है। दूधसागर का मतलब है दूध का सागर और इसके पानी को देखकर आपको ऐसा लगेगा जैसे दूध बह रहा हो।
एडवेंचर के शौकीनों के लिए किसी तीर्थ से कम नहीं हैं भारत के ये शहर
ये शानदार झरना भगवान महावीर अभ्यारण्य और मोल्लेम नेशनल पार्क में स्थित है इसलिए यहां पर घने जंगल और प्राकृतिक स्रोतों की भरमार है। दूधसागर में आप एडवेंचर जैसे ट्रैकिंग आदि भी कर सकते हैं।
दूधसागर आने का सही समय
जून से सितंबर तक दूधसागर आने का सही समय है। इस दौरान बारिश के पानी से झरना भरा रहता है। लेकिन अगर आप यहां ट्रैक की जगह भी देखना चाहते हैं तो मॉनसून से पहले अक्टूबर से फरवरी तक यहां आ सकते हैं।PC:Kumaresh Rajarajan
बैंगलोर से दूधसागर का रूट
राजाजीनगर में तुमकुर मेन रोड़ - एनएच 48 - धारवाड़ में एसएच 34 - बाहर निकलें एनएच 48 से - घरली में एनएच 748 - एनएच 748 - दारबंदोरा - सानकोर्डम - मोल्लेम - कोल्लेम रोड़ - दूधसागर झरना (547 किमी - 9 घंटे)
तुमकुर
तुमकुर में मधुगिरि और देवरासनदुर्ग दो लोकप्रिय पर्वत हैं जहां आप ट्रैकिंग का मज़ा ले सकते हैं। बैंगलोर से टुमकुर 70 किमी दूर है।
देवरायनदुर्ग पहाड़ी इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है और इसकी पर्वत चोटि पर कई मंदिर स्थित हैं जिनमें से अनेक मंदिर योगनरस्मिहा और भोगनरसिम्हा को समर्पित हैं। पर्वत की तलहटी में बसा है प्राकृतिक झरना जिसे नमादा चिलुमे कहते हैं। किवदंती है कि वनवास काल के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने इस पर्वत पर शरण ली थी।
मधुगिरि पर्वत के किले में दरवाज़े से प्रवेश करने के बाद सीढियां हैं। ऊपर की चढ़ाई करते हुए ट्रैक और मुश्किल होता जाता है। इस पूरे ट्रैक में 3 घटे का समय लगता है।PC:Sangrambiswas
चित्रादुर्ग
चित्रादुर्ग में आपको चालुक्य राजवंश के स्मारक दिखाई देंगें। चंद्रावल्ली और चित्रादुर्ग किला होने के कारण इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है।
चंद्रावल्ली की खुदाई में कई राजवंशों के सिक्के और अन्य कलाकृतियां पाई गईं हैं। चंद्रावल्ली की भूमिगत गुफाएं पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। भूमि से 80 फीट नीचे स्थित ये गुफाएं अंकाली मठ के नाम से जानी जाती हैं। इस जगह के पास स्थित झील इसे और भी ज्यादा खूबसूरत बनाती है।
चित्रादुर्ग किले को इस शहर पर शासन करने वाले कई राजाओं द्वारा बनवाया और विकसित किया गया है। इस किले में अनेक मंदिर हैं और इसे कल्लिना कोटे भी कहा जाता है।PC: Nagarjun Kandukuru
देवानगेरे में बेन्ने दोसे
कर्नाटक आए हैं तो इस शहर की लोकप्रिय डिश बेन्ने दोसे जरूर खाएं। इस जगह की खास डिश है बेन्ने दोसे जोकि काफी स्वादिष्ट भी है। देवानगेरे आएं तो इस डिश को खाना बिलकुल ना भूलें।
देवानगेरे में कई दर्शनीय मंदिर भी हैं जैसे हरिहरेश्वर मंदिर और दुर्गांबिका मंदिर।PC: Srutiagarwal123
रनेबेन्नुर ब्लैक बक अभ्यारण्य
देवानगेरे से 45 किमी दूर है रनेबेन्नुर ब्लैक बक अभ्यारण्य। इस राज्य में कई ब्लैकबक और कृष्णमुर्ग पाए जाते हैं। यहां 6000 ब्लैकबक पाए जाते हैं। इस अभ्यारण्य में यूकेलिप्टस के खेतों से घिरा है और यहां पर कई तरह के जानवर जैसे सियार, लंगूर, लोमड़ी आदि।
दुर्लभ प्रजाति का पशु ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भी यहां पाया जाता है।PC:Tejas054
हावेरी के मंदिर
गोकर्णा से पहले हावेरी के मंदिर भी आप देख सकते हैं। इस शहर में भी कई देवी-देवताओं के अनेक मंदिर हैं। हुक्केरी मठ, तारकेश्वर मंदिर, कादंबेश्वर मंदिर, सिद्धेश्वर मंदिर, नागरेश्वर मंदिर आदि जैसे मंदिर इस जिले में देख सकते हैं।
हावेरी में मंदिरों के अलावा बनकापुरा मोर अभ्यारण्य भी लोकप्रिय स्थल है। देश में मोरों को संरक्षित करने के लिए बहुत ही कम अभ्यारण्य हैं और ये उनमें से ही एक है। इसके अलावा यहां पक्षियों की भी कई प्रजातियां जैसे पैराकीट, किंगफिशर, स्पॉट वुडपैकर्स आदि देख सकते हैं।PC:Dineshkannambadi
बनकापुरा मोर अभ्यारण्य
हावेरी से 21 किमी दूर बनकापुरा मोर अभ्यारण्य भी लोकप्रिय स्थल है। देश में मोरों को संरक्षित करने के लिए बहुत ही कम अभ्यारण्य हैं और ये उनमें से ही एक है। इसके अलावा यहां पक्षियों की भी कई प्रजातियां जैसे पैराकीट, किंगफिशर, स्पॉट वुडपैकर्स आदि देख सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा इस अभ्यारण्य को मोरों के संरक्षण के लिए 2006 में स्थापित किया गया था। शून्य मानव गतिविधि के कारण यहां मोरों की संख्या बढ़ती जा रही है।PC:Kellie Hastings
शिग्गांव का उत्सव रॉक गार्डन
गोतागोदी में शिग्गांव तालुक में स्थित उत्सव रॉक गार्डन दक्षिण कर्नाटक की ग्रामीण संस्कृति और कला को प्रदर्शित करता है। इस गार्डन में 2,000 से ज्यादा मूर्तिंयां हैं जो मजदूरों की रोज़मर्रा की जिंदगी को प्रदर्शित करता है।
इस शानदार गार्डन को बनाने के पीछे टी.बी सोलाबक्कानावर की सोच थी। इसे बनाने के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी दिए गए। ये कलाकृतियां हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती हैं।PC:ShwetaW
हुब्बाली और धारवाड़
इसे पहले हुबली के नाम से जाना जाता है औरर हुब्बाली का मतलब होता है फूलों की लता। कर्नानट की ट्विन सिटी हैं हुब्बाली और धारवाड़। हुब्बाली धारवाड़ का ही हिस्सा था जिसे बाद में एक अलग शहर बना दिया गया।
यहां पर आप उंकल झील, चंद्रमौलेश्वर मंदिर, इंदिरा गांधी ग्लास हाउस गार्डन आदि देख सकते हैं।
उंकल झील पिकनिक के लिए बहुत लोकप्रिय है। इस झील में बोटिंग भी कर सकते हैं। इस झील के मध्य में विवेकानंद जी की मूर्ति स्थापित है।
PC: GuruAngadi
दांडेली में एडवेंचर
तवारगत्ती गांव से 50 किमी दूर है दांडेली। ये शहर लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। घने जंगलों से घिरे इस शहर में काली नदी भी बहती है जहां आप कई तरह के वॉटर स्पोर्ट्स कर सकते हैं।
यहां आप एडवेंचर कैंपिंग के साथ पक्षियों को भी देख सकते हैं। काली नदी में व्हाइट वॉटर राफ्टिंग भी की जा सकती है। इसके लिए अक्टूबर से मार्च तक का समय सही रहता है। सालभर में कभी भी कायकिंग और कैनोइंग कर सकते हैं।PC:sarangib
भगवान महावीर अभ्यारण्य और मोल्लेम नेशनल पार्क
भगवान महावीर अभ्यारण्य के अंदर स्थित है दूधसागर झरना। दूधसागर झरना देखने जाएं तो इस अभ्यारण्य में भी घूमकर आएं। यहां आप बार्किंग डियर, फ्लाइंग स्कवेरल, स्लेंडर लोरिस आदि देख सकते हैं। इस अभ्यारण्य में कई तरह के पक्षियों की प्रजातियां जैसे बुलबुल, थ्री टोड किंगफिशर, एमरैल्ड डोव, गोल्डन ओरिओल आदि देख सकते हैं।
PC: Shefali Kumar
दूधसागर में कैंपिंग और ट्रैकिंग
दूधसागर ट्रैक की शुरुआत कैसल रॉक विलेज से होती है जोकि 14 किमी दूर है। इस पूरे ट्रैक को पार करने में 6 से 7 घंटे का समय लगता है इसलिए सुबह जल्दी निकलें। झरने की चोटि पर पहुंचने के बाद आप वहां टैंट लगाकर रात को रूक भी सकते हैं।
दूधसागर में ट्रैकिंग और कैंपिंग के लिए कई लोकल पैकेज भी उपलब्ध हैं। इन पैकेज में ट्रैकिंग के लिए आपको स्लीपिंग बैग्स और टैंट वगैरह भी मिलेगा।
ट्रैकिंग के अलावा यहां जीप सफारी भी कर सकते हैं। सफारी कोल्लेम से शुरु होती है। भगवान महावीर अभ्यारण्य से होकर इस सफारी में एक घंटे का समय लगेगा।PC:editor CrazyYatra