भले ही लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी हो..साथ ही प्रदेश का बड़ा शहर हो लेकिन जब बात उत्तर प्रदेश की घूमने की आती है, तो दिमाग में आता है सिर्फ आगरा,वाराणसी और इलाहबाद। आगरा अपने खूबसूरत ताजमहल के लिए विश्व विख्यात है तो वहीं वाराणसी अपने पौराणिक तथ्य को लेकर देशी समेत विदेशी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है, साथ ही इलाहबाद जो लोगो के बीच कम्भ मेले के नाम से विख्यात है।
भारत की धार्मिक राजधानी, वाराणसी से जुड़ी दिलचस्प बातें!
हालांकि बदलते दौर में लखनऊ में भी काफी बदल चुका है, जैसा की लखनऊ को नवाबों के शहर की तव्वजो दी जाती है..जिसके चलते अगर आप लखनऊ घूमने का प्लान बना रहे हैं.तो आपको आज भी लखनऊ में नवाबीपन नजर आएगा।
भारत की धार्मिक राजधानी की पवित्र यात्रा!
यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए तीन सितारा होटल से लेकर पंचसितारा होटल है..शॉपिंग के लिए बड़े बड़े माल्स..आने जाने लिए हवाई,रेल और बस सुविधा भी उपलब्ध है।
अगर आप यात्रा के शौक़ीन हैं तो हेरिटेज आर्क से जुड़ी इन दिलचस्प बातों को ज़रूर जानें!
लखनऊ या पूर्व अवध या औध (ब्रिटिश उच्चारण) ने भारत की स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है - लखनऊ भारतीय स्वतंत्रता के पहले युद्ध (1857 विद्रोह के दौरान सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक था) साथ ही लखनऊ गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा होने के साथ साथ स्वदेशी आंदोलन का गवाह रहा है।
पर्यटकों को उत्तरप्रदेश की आत्मा से जोड़ती 'हेरिटेज आर्क' पर्यटन योजना!
इसी क्रम में हम बात करेंगे लखनऊ के छुपे हुए पर्यटन स्थलों के बारे में जिनके बारे में शायद ही आपको पता हो। लखनऊ के हरे रंग की छावनी इलाके में स्थित दिलकुशा पैलेस या दिलकुशा कोठी के रूप में जाना जाता है।बरहाल, दिलकुशा गार्डन का रखरखाव लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा किया जा रहा है।
कहां स्थित है?
दिलकुशा कोठी, लखनऊ के दिलकुशा क्षेत्र में गोमती नदी के तट पर स्थित है, इस कोठी को सन् 1800 में एक ब्रिटिश मेजर गोरे ऑस्ले ने बनवाया था, जो अवध के नवाब के दोस्त हुआ करते थे। वर्तमान में यह कोठी या प्राचीन स्मारक एक खंडहर में तब्दील हो चुका है।
PC:Arpan Mahajan
सिटॉन डेलावल हॉल से मिलती है वास्तुकला
इस इमारत की वास्तुकला डिजायन में इंग्लैंड के नॉर्थम्बरलैंड के सिटॉन डेलावल हॉल के पैटर्न की स्पष्ट झलक देखने को मिलती है। इसे वास्तव में नवाबों के शिकार लॉज के रूप में बनवाया गया था लेकिन बाद में इसे गर्मियों में रहने वाले घरों के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा।
कोठी में नहीं है आंगन
हैरत की बात यह है कि इस कोठी में कोई भी आंगन नहीं है और यह काफी अजीब बात है क्योंकि पुराने जमाने के राजाओं या नवाबों को घरों में खुलापन की आदत थी।
आजादी की लड़ाई के हुई थी इस्तेमाल
इस कोठी का इस्तेमाल भारत की आजादी की पहली लड़ाई के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किया गया था। हालांकि, भारी बमबारी के बाद ब्रिटिश सेना ने इस पर कब्जा कर लिया था और फलस्वरूप यह कोठी अपनी भव्यता और महिमा खोती चली गई।
1857की लड़ाई से पहले था विदेशी आर्मी का अड्डा
1857भारतीय स्वतंत्रता विद्रोह के दौरान यह पूरा परिसर ब्रिटिश सैन्य गतिविधियों का केंद्र था। इसी परिसर में ब्रिटिश जनरल सर हेनरी हेवलॉक ने अपने अंतिम परिसर में सांस ली ।
गार्डन के बगल में है एक और इमारत
पुरानी इमारत के अलावा, यहां एक और इमारत है जिसे उत्तर पूर्व भवन के रूप में जाना जाता है। यह इमारत अवध के आखिरी राजा, नवाब वाजिद अली शाह (1847-56) द्वारा पूर्व पश्चिम अक्ष पर दिलकुशा पैलेस के उत्तर पूर्व में बनाई गई थी।
यूरोपीय शैली से परिपूर्ण
इस इमारत को फिर से यूरोपीय शैली में बनाया गया था जिसमें पारंपरिकरूप निर्माण लखोरी ईंट और चूने से किया गया था। इसके आगे की जमीन (वर्तमान दिन दिलखुशा गार्डन) को मंजूरी दे दी गई और अपने शासनकाल के शुरुआती सालों में सेना के लिए सैन्य अभ्यास के लिए इस्तेमाल किया गया।
दिलकुशा कोठी
अगर आप लखनऊ में इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा आदि घूम घूम कर थक चुके हैं..तो यकीनन आपको दिलकुशा गार्डन की सैर करनी चाहिए।
बिना टिकट के करो मौज
इस गार्डन को घूमने के लिए कोई शुल्क नहीं है...
- दिल्ली से लखनऊ रोड ट्रिप:जानें क्या है लखनऊ में खास
- नवाबों की नगरी में चखे ये व्यंजन
- बैंगलोर में करने वाली 10 चीज़े, जिसे जानने के बाद आप खुद को नहीं रोक पाएगें
- लखनऊ, नफासत नज़ाक़त कारीगरी और शान-ओ-शौक़त का ऐतिहासिक शहर