कर्नाटक में बैंगलोर शहर से 360 किमी दूर है सागर। ये जगह जोग फॉल्स के साथ-साथ अन्य कई खूबसूरत स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। सागर नाम सदाशिव सागर से लिया गया है एवं सदाशिव सागर इस शहर की झील का नाम है। केलादी और ईक्केरी के मध्य मानव निर्मित इस झील को केलादी राजवंश के राजा सदाशिव नायक द्वारा बनवाया गया था। अब इस झील को गणपति झील के नाम से जाना जाता है।
कर्नाटक में सिर्फ पहाड़ या समुद्र ही नहीं, बल्कि ये सारी चीज़े भी हैं देखने लायक
सागर में बड़ी संख्या में गुडिगर परिवार के लोग रहते हैं। गुडिगर चंदन की लकड़ी और हाथी के दांतों से कलाकृतियां बनाने का काम करते हैं। हालांकि, इस शहर की मुख्य आय का स्रोत सुपारी की फसल है।
सागर आने का सही समय
सागर आने का सही समय अक्टूबर से अप्रैल तक है। गर्मी के मौसम में यहां उमस बहुत बढ़ जाती है इसलिए सर्दियों के मौसम में यहां आना ठीक रहता है। इस दौरान सुहावना मौसम रहता है।PC: Vmjmalali
बैंगलोर से सागर का रूट
रूट 1 : सीएनआर राव अंडरपास / सीवी रमन रोड़ - एनएच 75 - टी नरसिपुर - सिरा रोड़ - एनएच 150 ए - बेदीस्वेस्ट - टिप्टुर रोड़ - तुरुवेकेरे रोड़ - टिप्टुर में एनएच 73 - एनएच 69 - सागर (355 किमी - 7 घंटे)
रूट 2 : सीएनआर राव अंडरपास / सीवी रमन रोड़ - एनएच 48 - महाजेनहल्ली - बाहर निकलें एनएच 48 से - एसएच 52 - अयानुर में एनएच 69 - सागर (401 किमी - 6 घंटे 30 मिनट)
येदियूर सिद्धलिंगेश्वर मंदिर
कुनिगल जिले में स्थित येदियूर गांव में श्री सिद्धलिंगेश्वर का प्राचीन लिंगायत मंदिर है। मान्यता है कि वे भगवान शिव के अवतार थे। मंदिर में 15वीं शताब्दी से उनकी समाधि भी है। मंदिर के तल में वीरभद्र स्वामी का छोटा सा मंदिर भी स्थापित है। इस रास्ते में आपको होयसला राजवंश के कई मंदिर देखने को मिलेंगें।PC:Akshatha Inamdar
तुरुवेकेरे
बैंगलोर से 124 किमी दूर और येदियूर गांव से 32 किमी दूर है तुरुवेकेरे। तुरुवेकेरे की स्थापना अग्रहाराम शहर के रूप में की गई थी। यहां पर होयसला दौर के कई खूबसूरत मंदिर बने हैं जिनमें से गंगाधरेश्वर मंदिर, बेटेरायस्वामी मंदिर, चेन्निगराय मंदिर और मूले शंकरेश्वर मंदिर प्रमुख हैं। राजा नरसिम्हा 3 द्वारा 13वीं शताब्दी में भगवान शिव को समर्पित मूले शंकरेश्वर मंदिर बनवाया गया था। यह मंदिर होयसला स्थापत्यकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
PC: Mayasandra
अरसिकेरे
तुरुवेकेरे से 55 किमी दूर है अरसिकेरे जिसका अर्थ होता है रानी का तालाब। माना जाता है कि होयसला राजवंश की राजकुमारी ने इस शहर के पास तालाब बनवाया था। इस शहर में अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं जिनमें से ईश्वरा मंदिर और मालेकल तिरुपति मंदिर दो मुख्य पर्यटन आकर्षण हैं।
भगवान शिव को समर्पित है ईश्वर मंदिर। होयसला स्थापत्यकला का यह मंदिर इसकी सबसे विस्तृत संरचना में से एक माना जाता है। इस मंदिर में 16 स्टार के आकार के हॉल और मंडप हैं।
PC:Dineshkannambadi
छिक्का तिरुपति
छिक्का तिरुपति और मालेकल तिरुपति मंदिर अरसिकेरे से 4 किमी दूर है। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर द्रविड शैली में बना है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर जैसा दिखता है इसलिए इसका नाम छिक्का तिरुपति रखा गया है।PC: Ssriram mt
अमृतेश्वरा मंदिर
अरसिकेरे से 70 किमी दूर चिकमगलूर गांव में स्थित है अमृथपुरा। यहां पर अमृतेश्वर मंदिर होयसला राजवंश के शास राजा वीर बल्लाल 2 द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर की शानदार दीवारें उस समय के शिल्पकारों की उत्कृष्टता को बयां करती हैं।PC:Dineshkannambadi
भद्रावथी
इसे पहले बेनकिपुरा के नाम से जाना जाता था और यहां भद्रा नदी के बहने के कारण इसका नाम भद्रावथी रख दिया गया। अमृथपुरा से ये जगह 25 किमी दूर है। भद्रावथी में अनेक मंदिर हैं जिनमें से लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर प्रमुख है। तेरहवीं शताब्दी में होयसला राजवंश की शैली में बना यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। भद्रावथी से 98 किमी आगे जाकर भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य पड़ता है।PC:Dineshkannambadi
शिवमोग्गा में शिवप्पा नायक पैलेस
भद्रावथी से 21 किमी दूर है शिवप्पा नायक पैलेस जोकि दो मंजिला इमारत है। इसका नाम राजा शिवप्पा नायक के नाम पर रखा गया है। वह केलादी नायक राजवंश के अच्छे शासक रहे हैं। कुछ पुरातत्विदों का मानना है कि पैलेस को 18वीं शताब्दी में हैदर अली द्वारा बनवाया गया था। यहां होयसला दौर के असंख्य लेख जैसे कलाकृतियां, पत्थर और शिलालेख पैलेस में प्रदर्शनी में रखे गए हैं।
PC: Dineshkannambadi
सागरा
केलादी का रामेश्वरा मंदिरकेलादी नायक राजवंश की पूर्व राजधानी है केलादी जो शिवमोग्गा से 78 किमी दूर है। ये ऐतिहासिक शहर प्रख्यात केलादी नायक राजवंश और रामेश्वरा मंदिर के लिए जाना जाता है। रामेश्वरा मंदिर के परिसर में भगवान वीरभद्रेश्वर, भगवान रामेश्वरा और देवी पार्वती की तीन मूर्ति हैं। द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर को सोलहवीं शताब्दी में बनवाया गया था।PC:Dineshkannambadi
इक्केरी का अघोरेश्वर मंदिर
सागरा से 6 किमी दूर इक्केरी प्राचीन समय में केलादी नायक वंश की राजधानी हुआ करता था। इक्केरी का मतलब है दो सड़क। शहर में केलादी राजवंश द्वारा बनवाया गया अघोरेश्वर मंदिर भी स्थापित है। भगवान शिव को समर्पित अघोरेश्वर मंदिर चोला, विजयनगर और होयसला शैली में बना है। इस खूबसूरत मंदिर के स्तंभों और मूर्तियों पर नक्काशी की गई है। इस मंदिर की सबसे खास बात है इसकी नक्काशी जो इस तरह के मंदिरों में नहीं दिखाई देती है।PC:Dineshkannambadi
होन्नेमारदु में कैंपिंग
लिंगानामक्की जलाशय की ओर है होन्नेमारदु। इस छोटे से द्वीप के मध्य में स्थित जलाशय में कैंपिंग की सुविधा उपलब्ध है। यहां आप वॉटर स्पोर्ट्स जैसे कोरेकल राइड, कायकिंग और कैनोइंग आदि कर सकते हैं।PC:Lensman vishy
जोग फॉल्स
कर्नाटक में होन्नेमारदु से 20 किमी दूर है लोकप्रिय पर्यटन स्थल जोग फॉल्स। ये भारत का दूरा सबसे ऊंचा झरना है और दुनिया के 100 सबसे ऊंचे झरनों में से ये 11वें नंबर पर आता है। इतनी ऊंचाई से पानी को गिरते हुए देखना किसी चमत्कार से कम नहीं लगता है। 830 फीट की ऊंचाई से इस झरने का पानी गिरता है और बारिश के समय इसका पानी और बढ़ जाता है। जोग फॉल्स आने का सही समय मॉनसून में जून से सितंबर तक का है।PC:Shuba
लिंगनामक्की बांध
श्रावथी नदी के ऊपर बना लिंगनामक्की बांध जोग फॉल्स से 6 किमी दूर है और ये कर्नाटक के प्रमुख बांधों में से एक है। इसे कर्नाटक सरकार द्वारा 1964 में बनवाया गया था। इस बांध में बारिश और चक्रा और सवाहाकलु से पानी आता है। ये बांध नहरों से जुड़ा हुआ है। यहां मॉनसून में आना सही रहता है।PC:Cameron Kay
दब्बे फॉल्स
अगर आप और भी शानदार झरने देखना चाहते हैं तो होसागड्डे के पास स्थित दब्बे फॉल्स जा सकते हैं। ये जोग फॉल्स से 25 किमी दूर है। दब्बे फॉल्स जोग की तरह बड़ा और ऊंचा तो नहीं है लेकिन ये देखने लायक है।
यहां पर आप 7 से 9 किमी तक ट्रैकिंग भी कर सकते हैं। घने जंगलों से घिरे इस ट्रैक पर ट्रैकिंग करना थोड़ा मुश्किल है।
PC:Manu gangadhar
शरावथी वन्यजीव अभ्यारण्य
शरावथी वन्यजीव अभ्यारण्य में शरावथी नदी के पास संपन्न वनस्पति पाई जाती है। यहां कई तरह के जानवर जैसे काला पैंथर, बाघ, सांभर, ओट्टर आदि देखने को मिलेंगें। यहां दुर्लभ प्रजाति का टेल्ड मकाक्यू भी देख सकते हैं।
पक्षियों को निहारने के लिए भी ये जगह बढिया है। यहां लोरिकीट्स, ब्लू थ्रोटेढ बार्बेट्स, वुडपैकर्स आदि देख सकते हैं। इसके अलावा यहां वॉटर स्पोर्ट्स जैसे कायकिंग और कैनोइंग आदि भी कर सकते हैं।PC:Prakashmatada