भारत के मध्यकालीन युग में होयसला के शासनकाल में हसन कर्नाटक का सबसे बड़ा जिला हुआ करता था। कर्नाटक राज्य अपने प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों के कारण पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। इस जिले को ये नाम देवी हसनंबा से मिला है जोकि इस क्षेत्र की पूजनीय देवी हैं। रिकॉर्ड की मानें तो हसन का इतिहास होयसला राजवंश के समय का है और इस दौरान इसका विकास और सफलता अपने चरम पर थी।
इसके बाद इस पर कई राजवंशों जैसे विजयनगर साम्राज्य ओर मुगल बादशाहों ने राज किया था। सदियों प्राचीन इस शहर में कई ऐतिहासिक स्थल हैं। हालांकि, इनमें से कई लोकप्रिय पर्यटन स्थल होयसला काल में स्थापित इमारतों की वास्तुकला के कारण प्रसिद्ध हैं। तो चलिए जानते हैं हसन के कुछ आकर्षित और खूबसूरत मंदिरों के बारे में।
बकेश्वर मंदिर
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शहर के केंद्र से 10 किमी दूर कोरावंगला नामक एक छोटे से शहर में बकेश्वर मंदिर स्थित है। ये होयसला राजवंश काल में निर्मित सबसे खूबसूरत मंदिर है। इस मंदिर को 12वीं शताब्दी में बकी द्वारा निर्मित किया गया था जोकि होयसला सेना का अधिकारी था और उसने ये मंदिर अपने राजा के सम्मान में बनवाया था। यहां पर दो अन्य मंदिर भी स्थित हैं जिनके बारे में माना जाता है कि इन्हें बकी के भाईयों ने बनवाया था। इन सभी मंदिरों को देखकर आपको उस दौर की उत्कृष्ट वास्तुकला का पता चलेगा।
मंदिरों की दीवारों और स्तंभों पर सुंदर डिजाइन बने हुए हैं। आज ये मंदिर भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन आता है और यहां पर इतिहास प्रेमियों की भीड़ लगी रहती है। हरियाली से सजे इस मंदिर में प्राकृतिक सौंदर्य को कायम रखा गया है।
चेन्नाकेशवा मंदिर
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हसन से 35 किमी दूर बेलूर शहर में स्थित चेन्नाकेशवा मंदिर भी बहुत खूबसूरत और लोकप्रिय है। हसन जिले के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में इसका नाम भी शामिल है। इस मंदिर को 12वीं शताब्दी में होयसला के राजा विष्णुवर्धना द्वारा बनवाया गया था। हालांकि, इरस मंदिर को बनने में 103 साल जितना लंबा समय लगा था। ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसमें प्राचीन काल के कई अभिलेख लिखे गए हैं। इस वजह से मंदिर हिंदु श्रद्धालुओं के बीच एक अलग महत्व रखता है।
ये मंदिर सगाची नदी के तट पर स्थित है और यहां का मौसम भी बहुत सुहावना है। इस मंदिर की वास्तुकला भी अद्भुत है। इसकी बनावट, चित्रकारी, मूर्तियां और अभिलेख आदि सभी होयसला राजवंश के काल को बयां करते हैं। हसन में आने वाले सभी पर्यटक इस मंदिर को देखने जरूर आते हैं।
लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर
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इतिहास की अन्य उत्कृष्ट वास्तुकला में से एक लक्ष्मी नरसिम्हाँ मंदिर भी है जोकि हसन से 40 किमी दूर एक छोटे से गांव जवगल में स्थित है। इस मंदिर को 13वीं शताब्दी में बनवाया गया था। अन्य मंदिरों की तरह ये मंदिर भी होयसला दौर से संबंधित है। ये मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान नरसिम्हाँ को समर्पित है।
इसमें एक समान आकर की तीन मूर्तियां स्थापित हैं। इस मंदिर की वास्तुकला और स्थापत्यकला देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता है। हर साल यहां पर हज़ारो श्रद्धालु और इतिहास प्रेमी दर्शन करने आते हैं।
केदारेश्वर मंदिर
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हालेबिदु के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है केदारेश्वर मंदिर। 12वीं शताब्दी के दौरान हसन के बाद होयसला राजवंश की राजधानी हालेबिदु थी। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में भी तीन मूर्तियां स्थापित हैं।
इसकी दीवारों और स्तंभों पर की कई चित्रकारी बहुत अनोखी है। बगीचे से घिरा केदारेश्वर मंदिर देखने में बहुत खूबसूरत लगता है। इतिहास प्रेमी इस बार केदारेश्वर मंदिर की यात्रा कर सकते हैं।
होयसलेश्वर मंदिर
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हसन से 30 किमी की दूरी पर स्थित हालेबिदु में सबसे लोकप्रिय होयसलेश्वर मंदिर स्थापित है। ये मंदिर भी होयसला राजवंश के राजा विष्णुवर्धना ने बनवाया था। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को 12वीं शताब्दी में बनवाया गया था और ये होयसला राजवंश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है।
आज ये मंदिर खंडहर बन चुका है क्योंकि इसे प्राचीन समय में कई मुस्लिम आक्रमणकारियों ने लूटा था लेकिन फिर भी ये कर्नाटक के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है और इतिहास और वास्तु प्रेमी इसे देखने जरूर आते हैं।