स्वर्ण नगरी के नाम से प्रसिद्ध जैसलमेर, राजस्थान राज्य का एक ऐतिहासिक शहर है, जो अपने गौरवशाली इतिहास, प्राचीन किले-महलों और राजस्थानी संस्कृति के लिए जाना जाता है। हर साल यहां लाखों की तादाद में पर्यटकों का आगमन होता है। पर्यटक यहां की प्राचीन संरचनाओं और इतिहास को जानने में काफी दिलचस्पी रखते हैं। इस स्थल का इतिहास बताता है कि इस शहर का नाम यहां के राजपूत राजा महारावल जैसल सिंह के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने इस शहर को 1156 ईस्वी में बसाया था। जैसलमेल का शाब्दिक अर्थ है, जैसल का पहाड़ी किला।
इस शहर को गोल्डन सिटी के नाम से भी संबोधित किया जाता है, क्योंकि शहर की अधिकांश वास्तुकला में पीले रंग के बालू पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। जैसलमेर का किला यहां मुख्य आकर्षण का केंद्र है, जो काफी बड़े क्षेत्र में बना हुआ। ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ यह शहर सांस्कृतिक रूप में काफी प्रसिद्ध है, आप यहां कई आकर्षक मंदिरों को देख सकते हैं। इस लेख मे हमारे साथ जानिए उन पांच अद्भुत मदिरों के बारे में जो आपके जैसलमेर भ्रमण को खास बनाने का काम करेंगे।
तनोट माता मंदिर
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जैसलमेर के मंदिरों में आप सबसे पहले माता तनोट के मंदिर के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। मुख्य शहर से 78 कि.मी की दूरी पर स्थित यह मंदिर, राज्य के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में गिना जाता है, जहां साल भर देशभर से श्रद्धालुओं का आगमन लगा रहता है। माना जाता है कि भारत-पाक के बीच 1965 की ऐतिहासिक लड़ाई इसी मंदिर के पास ही लड़ी गई थी।
पाकिस्तान की तरफ से दागी गई एक भी गोली या बम इस मंदिर की दीवारों को छू न सका। मंदिर को छोड़कर आसपास का इलाका बुरी तरह तहस नहस कर दिया गया था। मंदिर के अंदर एक गैलरी भी बनी हुई है, जिसमें 1965 की लड़ाई में इस्तेमाल किए बम और गोलियों का संग्रह मौजूद है।
लक्ष्मीनाथ मंदिर
जैसलमेर के मंदिर की श्रृंखला में आप लक्ष्मीनाथ मंदिर के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। यह मंदिर प्रसिद्ध जैसलमेर के किले के अंदर स्थित है। लक्ष्मीनाथ मंदिर, देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के साथ-साथ भारी संख्या में जैसलमेर भ्रमण पर निकले पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राव लुंकारन ने 1494 में किया था। यह एक आकर्षक मंदिर है, जो जैसलमेर किले परिसर को दिव्य बनाने का काम करता है। कला और इतिहास के प्रेमी यहां आ सकते हैं।
जैन मंदिर
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हिन्दू मंदिर के अलावा आप जैसलमेर में जैन मंदिरों को भी देख सकते हैं। आप यहां के लोधुरवा जैन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर को समर्पित है। इतिहास के पन्ने बताते हैं कि इस 900 साल पुराने मंदिर को मुहम्मद गौरी ने 1152 ईस्वी में बर्बाद कर दिया था। बाद में स्थानीय लोगों द्वारा इस मंदिर का पुननिर्माण करवाया गया । कुछ नया जानने के लिए आप यहां यहां आ सकते हैं।
रामदेव मंदिर
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हिन्दू देवी देवताओं से अलग आप यहां के स्थानीय देवता रामदेव जी के मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। यह मंदिर यहां के प्रसिद्ध राजपूत राजा को समर्पित है, जिन्होंने समाज के गरीब लोगों के लिए बहुत कुछ किया। रामदेव जी, 14 वीं शताब्दी से संबंध रखते हैं, माना जाता है कि उनमें चमत्कारी शक्ति थी, उन्होंने अपनी संपूर्ण जीवन दीन-हीनों की सेवा में लगा दिया। रामदेव मंदिर जैसलमेर के रामदेवरा गांव में स्थित है, यहां के लोग उन्हें इष्ट देव की तरह मानते हैं। अगस्त और सितंबर के दौरान यहां बड़े मेले का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
चंद्रप्रभु मंदिर
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उपरोक्त मंदिरों के अलावा आप यहां के प्रसिद्ध चंद्रप्रभु मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। यह एक प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण 15वीं-16वीं शताब्दी के मध्य किया गया था। यह एक जैन मंदिर है, जो जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर चंद्रप्रभु को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण लाल बालू पत्थर से किया गया है, जो राजपूत वास्तुकला को प्रदर्शित करने का काम करता है। यह मंदिर गोल्डन फोर्ट के अंदर मौजूद है, और हर साल भारी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने का काम करता है।