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Navratri Special: यूपी में मां दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिर, जहां दर्शन मात्र से ही कट जाते है सारे पाप

नवरात्रि का पर्व आ गया है। ऐसे में माता के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है। सारे भक्तगण नवरात्रि के इस पावन पर्व पर मां का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों में जाते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। ऐसे में अगर यूपी की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश में माता के कई प्रसिद्ध मंदिर है, जहां भक्तों की लंबी कतारें देखी जाती है और इन मंदिरों में भक्तों की आस्था भी है कि अगर माता से कुछ मांगा जाए तो मां उनकी पुकार भी सुनती है और उसे पूरा भी करती है।

यूपी के प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर...

शैलपुत्री मंदिर, वाराणसी

नवरात्रि के पर्व के दौरान मां शैलपुत्री का दर्शन पहले दिन किया जाता है। इस दिन भक्तों की अपार भीड़ देखी जाती है। माता शैलपुत्री का मंदिर शिव नगरी वाराणसी के अलईपुर क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर की मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से ही भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

maa shailputri

विशालाक्षी शक्तिपीठ, वाराणसी

काशी में स्थित मणिकर्णिका घाट पर स्थित माता का एक मंदिर है, जिसे माता के शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है। यहां पर माता के कान के मणि से जड़ित कुंडल गिरा था, यही कारण है कि इस घाट को मणिकर्णिका घाट कहा जाता है। यहां पर माता सती को विशालाक्षी मणिकर्णी के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास में ही स्थित है।

मां ललिता मंदिर, प्रयागराज

संगम नगरी प्रयागराज में माता सती का एक मंदिर है, जहां माता के हाथ की उंगली गिरी थी। इस मंदिर को माता ललिता मंदिर के नाम से जाना जाता है। माता के इस शक्तिपीठ में भी नवरात्रि के पावन पर्व के दौरान काफी भीड़ देखी जाती है।

maa durga

तरकुलहा मंदिर, गोरखपुर

गोरखपुर जिले में स्थित तरकुलहा मंदिर यूपी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को काफी चमत्कारी माना जाता है। इस मंदिर को लेकर एक कहानी प्रचलित है कि आजादी के पहले जब स्वतंत्रता की लड़ाई चल रही थी, तब यहां पर एक क्रांतिकारी बंधू सिंह रहता था, जो यहां से गुजरने वाले सभी अंग्रेजों का सिर काटकर माता को समर्पित करता था। इस बीच अंग्रेजों ने बधू सिंह को पकड़ लिया और उन्हें फांसी की सजा सुना दी। ऐसे में जब उन्हें फांसी दी जाने लगी तो बार-बार फांसी का फंदा खुद से टूट जाता और बधू सिंह की जान बच जाती। फिर जल्लाद ने बधू सिंह से प्रार्थना की कि अगर उसने उन्हें फांसी नहीं दी तो अंग्रेज उसे मार देंगे। फिर बधू सिंह ने माता से प्रार्थना की तब जाकर बंधू सिंह को फांसी हुई। उसके बाद से ही माता की महिमा का गुणगान होने लगा और तब से लेकर आज तक माता के मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलती है।

ललिता देवी मंदिर, सीतापुर

सीतापुर में स्थित ललिता देवी मंदिर उत्तर प्रदेश के सबसे पवित्र व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। नैमिष धाम में स्थित इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए दूर-दराज से काफी लोग आते हैं। पुराणों की बात मानी जाए तो इस स्थान पर माता सती का ह्रदय गिरा था, इसीलिए ये मंदिर देवी के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। भक्तों का मानना है कि यहां पर माता से जो भी सच्चे दिल से मन्नत मांगता है, उसी मुराद जरूर पूरी होती है।

देवी पाटन मंदिर, बलरामपुर

यूपी के बलरामपुर स्थित तुलसीपुर में प्रसिद्ध देवी पाटन मंदिर है। यह मंदिर भी 52 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि इस स्थान पर माता सती का वाम स्कंध के साथ पट गिरा था। इसलिए इस शक्तिपीठ का नाम पाटन पड़ा और यहां पर विराजमान देवी को माता मातेश्वरी के नाम से जाना जाता है।

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