राजस्थान का चमचमाता गुलाबी शहर जयपुर
भारत के इस मंदिर के सामने बौना है बुर्ज खलीफा
कितने खूबसूरत है..ये शायद मुझे बताने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन आज मै आपको जयपुर के किलों" loading="lazy" width="100" height="56" />जयपुर के किले कितने खूबसूरत है..ये शायद मुझे बताने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन आज मै आपको जयपुर के किलों
भारत का ऐसा मंदिर..जिसमे प्रसाद के रूप में मिलता है "सोना-चांदी"
यहां की संस्कृति का प्रमुख सरोकार है। शायद जिसके चलते ही जयपुर को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं, जयपुर के शासक भी अपनी आस्था के चलते जाने जाते हैं। शहर के मोती डूंगरी में भगवान गणेशजी का मंदिर हो या फिर किले में शिव मंदिर" loading="lazy" width="100" height="56" />आस्था यहां की संस्कृति का प्रमुख सरोकार है। शायद जिसके चलते ही जयपुर को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं, जयपुर के शासक भी अपनी आस्था के चलते जाने जाते हैं। शहर के मोती डूंगरी में भगवान गणेशजी का मंदिर हो या फिर किले में शिव मंदिर
बिरला मंदिर
मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर से सटे एक टीले पर स्थित भव्य लक्ष्मीनारायण मंदिर, बिरला मंदिर के नाम से विख्यात है। विशाल परिसर में बने इस संगमरमर के भव्य मंदिर की भवन निर्माण शैली अति विशिष्ट व मनमोहक है। पूरी तरह संगमरमर से निर्मित इस मंदिर में लक्ष्मीनारायण की भव्य प्रतिमा मन मोह लेती है। मंदिर में प्रवेश के दो रास्ते हैं। एक रास्ता मोती डूंगरी गणेशमंदिर की ओर से है। द्वार के दाहिनी ओर पार्किंग और सुविधाएं हैं।
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मोती डूंगरी
मोती डूंगरी में भगवान गणेशजी का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। दूसरे स्तर पर निर्मित मंदिर भवन साधारण नागर शैली में बना है। हर बुधवार को यहां मोती डूंगरी गणेश का मेला भरता है। यहां दाहिनी सूंड वाले गणेशजी की विशाल प्रतिमा है, जिस पर सिंदूर का चोला चढ़ाकर भव्य श्रंगार किया जाता है। गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां आने वाले भक्तों की संख्या हजारों-लाखों का आंकड़ा पार कर जाती है। मंदिर में हर बुधवार को नए वाहनों की पूजा कराने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ लगी होती है। माना जाता है कि नए वाहन की पूजा मोती डूंगरी गणेश मंदिर में की जाए तो वाहन शुभ होता है।PC:K.vishnupranay
गढ़ गणेश
जयपुर में पहाड़ी की शिखा पर बने मंदिरों में सबसे मुख्य मंदिर गढ़ गणेश है। पूरे शहर से गढ गणेश मंदिर के दर्शन किये जा सकते हैं। गढ़ गणेश मंदिर तक प्राचीर के सहारे बनी सीढियों और मंदिर परिसर से जयपुर का विहंगम दृश्य मन मोह लेता है। वहीं शहर से भी मंदिर का नजारा देखा जा सकता है। विशेषकर रात के समय यह मंदिर खूबसूरत दिखाई देता है। गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां भव्य मेला भरता है।PC:A.Savin
खोले के हनुमानजी
खोले के हनुमानजी मंदिर जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस मंदिर में हनुमान जी लेती हुई प्रतिमा है जिसकी खोज पंडित राधेलाल चौबे वर्ष 1960 में की थी। यहां पहाडिय़ों में एक खोला अर्थात बरसाती नाला बहता था। इसलिए इस स्थान का खोले के हनुमाजी नाम से जाना गया। इसके अलावा मंदिर में कई मंजिला परिसर में श्रीराम मंदिर, गायत्री मंदिर, गणेश मंदिर व शिव मंदिर आदि स्थित हैं।
गलता धाम
पूर्वी अरावली पहाडियों में स्थित पवित्र तीर्थ गलता जयपुर की पहचान है। यह स्थान सात कुण्ड और अनेक मंदिरों के साथ प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पहचाना जाता है। यहां एक प्राकृतिक जलधारा गोमुख से सूरज कुंड में गिरती है। इस पवित्र कुंड में स्नान करने के लिए दूर-दराज से लोग यहां आते है।
ताड़केश्वरजी मंदिर
प्राचीन ताड़केश्वरजी मंदिर श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है। यह शिव का प्रमुख मंदिर है। कहा जाता है कछवाह वंश के राजा वैष्णव भक्ति करते थे, लेकिन उनकी कुलदेवी शिला माता रही। इस तरह उन्हें शक्ति उपासक माना जाता है। मंदिर में खास आकर्षण है चौक में शिव के वाहन नंदी की विशाल पीतल की प्रतिमा। इसी प्रतिमा के आसपास बैठकर भक्त रूद्र मंत्रों का जाप करते हैं। अहाते में शिव पंचायत पर जलाभिशेक के लिए सोमवार को लम्बी कतारें लगी होती है। श्रावण के महिने में यहां भव्य सजावट की जाती है और हजारों की संख्या में कावडिये गलता से जल लाकर शिव का अभिषेक करते हैं।
घाट के बालाजी
जयपुर शहर से आगरा रोड पर लगभग 8 किमी की दूरी पर स्थित घाट के बालाजी का मंदिर गलता तीर्थ रास्ते में आता है। इसे जामडोली के बालाजी नाम से जाना जाता है। लगभग पांच सौ साल पुराने इस मंदिर की बनावट हवेलीनुमा है। मंदिर में हनुमानजी की विशाल मूर्ति है, इसके अलावा पंचगणेश और शिव-पंचायत के मंदिर भी इस मंदिर में स्थित हैं। चारों ओर हरी भरी पहाडियों से घिरे इस इलाके में सावन भादो के वर्षाकाल में सैंकड़ों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।
जगत शिरोमणि मंदिर
जगत शिरोमणि मंदिर आमेर के प्राचीन मन्दिरों में से एक है..इस मंदिर का निर्माण महाराजा मानसिंह प्रथम के पुत्र जगत सिंह की याद में करवाया गया था। मंदिर के निर्माण में दक्षिण भारतीय शैली का प्रयोग किया गया है। मंदिर के तोरण, द्वारशाखाओं, स्तंभों आदि पर बारीक शिल्प गढ़ा गया है। मंदिर में कृष्ण भक्त मीरा बाई और कृष्ण के मंदिर भी हैं।
गोविंददेवजी मंदिर
जयपुर के आराध्य देव गोविंददेवजी का मंदिर शहर के परकोटा इलाके में सिटी पैलेस परिसर में स्थित है। गोविंददेवजी के मंदिर का जगमोहन अपनी खूबसूरती के कारण प्रसिद्ध है। जन्माष्टमी के अवसर पर यहां लाखों की संख्या में भक्त भगवान गोविंद के दर्शन करते हैं।PC:Siddharth429
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