जंगल बुक का शेर ख़ान और कुंग फू पांडा की शेरनी तो सबको याद ही होगी, और उन किरदारों को आप लोग पसंद भी करते होंगे। पर असलियत में बड़ी दुख की बात है कि, बिल्लियों की ही जाति का यह समूह भी भूमंडलीकरण का शिकार होता जा रहा है और उनकी जनसंख्या घटती जा रही है। पर भला हो 'सेव टाइगर' जैसे अभियान और कुछ टाइगर रिज़र्व्स का जिनकी वजह से इनको हर मुमकिन कोशिश कर बचाया जा रहा है। इनकी रक्षा के लिए दिखाए जा रहे कई सारे कार्यक्रम भी सफल हो रहे हैं, जिससे कि भारत में कई टाइगर की जातियों और समूहों को बचाया गया है।
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आज ही के दिन यानी कि 29 जुलाई को मनाये जाने वाले अंतरराष्ट्रीय टाइगर दिवस पर चलिए चलते हैं, उत्तर पूर्वी भारत के कुछ प्रसिद्ध टाइगर रिज़र्व वाले क्षेत्रों में।
डंपा टाइगर रिज़र्व
घने जंगलों के डंपा क्षेत्र को सन् 1994 में डंपा टाइगर रिज़र्व के रूप में घोषित कर दिया गया था। तब से यह उत्तर पूर्वी भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व क्षेत्र है। भारत सरकार द्वारा टाइगर को बचाने की इस मुहिम के शुरुआत से भारत के कई हिस्सों में दोबारा से टाइगर के जनसंख्या को बढ़ाया गया है। डंपा टाइगर रिज़र्व मिज़ोरम के सबसे बड़े वन्यजीव अभ्यारण्यों में से एक है।
डंपा टाइगर रिज़र्व कई पक्षियों का भी बसेरा है
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डंपा टाइगर रिज़र्व पहुँचें कैसे?
डंपा टाइगर रिज़र्व, मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर है।
सड़क यात्रा द्वारा: डंपा मिज़ोरम, त्रिपुरा और बांग्लादेश की सीमा पर स्थित है। फुलदुंगसेई, डंपा के डंपा नैशनल पार्क का सबसे करीबी नगर है जो यहाँ से केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।आइज़ोल फुलदुंगसेई से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर है, जो सड़कों के मार्ग से आसानी से जुड़ा हुआ है।
रेल यात्रा द्वारा: सिलचर यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है।
हवाई यात्रा द्वारा: यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा शिलोंग का हवाई अड्डा है।
पकुई टाइगर रिज़र्व में घूमता टाइगर
पकुई टाइगर रिज़र्व
पाक्के नदी के तट पर बसा पकुई टाइगर रिज़र्व बहुत बड़ा रिज़र्व है। यह टाइगर रिज़र्व प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है। यह नामेरी नैशनल पार्क और इगलनेसट वन्यजीव अभ्यारण्य की वजह से सबसे ज़्यादा वनस्पतियों से भरा बॉर्डर है।
पकुई को पाक्के वन्यजीव अभ्यारण्य के नाम से भी जाना जाता है जो अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिमालय क्षेत्र में बसा है और यह उत्तर पूर्वी भारत के मुख्य टाइगर रिज़र्व में से एक है। इस अभ्यारण्य में टाइगर के अलावा क्लाउडेड तेंदुए, तेंदुए, केप्ड लंगूर, असामी मकाक्स और कुछ पक्षियों की जाति भी आपको देखने को मिलेंगी।
पकुई टाइगर रिज़र्व कैसे पहुँचें?
सड़क यात्रा द्वारा: काज़ीरंगा नैशनल पार्क से पकुई टाइगर रिज़र्व, 3 घंटे का सफ़र तय करके पहुँचा जाता है।
रेल यात्रा द्वारा: तेज़पुर यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है।
ओरंग नैशनल पार्क में भारतीय एक सींग वाले गेंडे
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ओरंग नैशनल पार्क
ओरंग नैशनल पार्क को छोटा कज़ीरंगा नैशनल पार्क भी कहा जाता है क्युंकि यहाँ भारतीय एक सींग वाले गेंडे भी पाए जाते हैं। यह ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी हिस्से में बसा है। हालाँकि यह पूर्णतः एक टाइगर रिज़र्व नहीं है, पर यहाँ काफ़ी जनसंख्या में टाइगर आप देख सकते हैं।
ओरंग नॅशनल पार्क पहुँचें कैसे?
सड़क यात्रा द्वारा: ओरंग नैशनल पार्क अन्य मुख्य शहरों से अच्छी तरह कनेक्टेड है।
रेल यात्रा द्वारा: रंगापाड़ा यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है।
हवाई यात्रा द्वारा: सलोनीबाड़ी यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है।
नामडाफा नदी
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नामडाफा नैशनल पार्क
जैव विविधता का यह क्षेत्र, नामडाफा नैशनल पार्क कई वनस्पति और जीवों का बसेरा है। अरुणाचल प्रदेश में पूर्वी हिमालय क्षेत्र के इस सदाबहार वर्षावन का वन्यजीवों के कई जातियों को बचाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है। नामडाफा टाइगर रिज़र्व इस समृद्ध विरासत का एक मुख्य हिस्सा है। यह उत्तर पूर्वी भारत में वन्यजीवों के प्रसिद्ध गंतव्यों में से एक है।
नामडाफा नैशनल पार्क पहुँचें कैसे?
सड़क यात्रा द्वारा: नामडाफा नैशनल पार्क, मियाओ तक सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
रेल यात्रा द्वारा: तिनसुकिया रेलवे स्टेशन यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है।
हवाई यात्रा द्वारा: डिब्रूगढ़ हवाई अड्डा यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा हैय़
बड़ा ही उत्साही होता है टाइगर की विषेशताओं को देखना, पर उसके साथ हमें यह भी याद रखना होगा कि हम इन्हें किसी भी तरह का नुकसान ना पहुँचाएँ क्युंकि एक पर्यटक के नाते यह आपकी सबसे पहली ज़िम्मेदारी होती है, ताकि आपको भी किसी तरह की कोई परेशानी ना हो।
"यहाँ के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करें ताकि आपकी इन टाइगर रिज़र्व्स की यात्रा सफल हो।"
अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।
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