प्राकृतिक पर्यटन के मामले में पूर्वोत्तर भारत शुरू से ही सैलानियों की पहली पंसद रहा है। देश-विदेश से आए पर्यटक यहां आरामदायक समय बिताना ज्यादा पसंद करते हैं। अपने कुदरती खजाने के लिए विश्व भर में मशूहर नॉर्थ ईस्ट हर तरह के सैलानियों का स्वागत करता है। एक प्रकृति प्रेमी से लेकर कला-संस्कृति, एडवेंचर व इतिहास का प्रेमी यहां आकर खुद को भाग्यशाली समझता है।
नदी-झरनों, पहाड़ व हरी-भरी घाटियों के साथ भारत का यह खूबसूरत कोना एक शानदार अवकाश के लिए आदर्श विकल्प है। भारत के अन्य पर्यटन गंतव्यों के मुकाबले आप यहां किसी भी मौसम में आ सकते हैं। खासकर गर्मियों के दौरान यहां के पहाड़ी गंतव्यों का प्लान बनाया जा सकता है। इस खास लेख में आज हमारे साथ जानिए पूर्वोत्तर के कुछ खास जलप्रपातों के बारें, जिन्हें मात्र देखने भर से ही सैलानी रोमांचित हो उठते हैं।
नोक्कलिकाई फॉल्स (Nohkalikai)
PC-Vikrantdhiman189381
340 मीटर की ऊंचाई वाला नोक्कलिकाई फॉल्स भारत के सबसे ऊंचे जलप्रपातों में गिना जाता है। यह अद्भत जल प्रपात पूर्वोत्तर राज्य मेघालय के चेूरापूंजी में स्थित है। चेूरापूंजी विश्व के सबसे नम स्थानों में गिना जाता है। मेघालय आने वाले इस विशाल जलप्रपात को देखने लिए जरूर आते हैं। आप जैसे-जैसे इस नोक्कलिकाई फॉल्स की ओर बढ़ते जाएंगे गिरते जल का कोलाहल आपको उसी अनुपात में आनंदित करता जाएगा।
यह जल प्रपात छोटे पठार पर एकत्रित वर्षा जल से द्वारा जल प्राप्त करता है। इसलिए दिसंबर से जनवरी के मध्य यहां पानी गिरना बंद हो जाता है। यहां का अद्भुत नजारा आप मानसून के दौरान देख सकते हैं।
लैंगशियांग फॉल्स (Langshiang)
PC- Joist John L Nonglait
नोक्कलिकाई फॉल्स के बाद लैंगशियांग फॉल्स भी पूर्वोत्तर के सबसे खास जलप्रपातों मे गिना जाता है। लैंगशियांग पश्चिम खासी पहाड़ियों की गोद में संगरियांग गांव के पास स्थित है। नोंगस्टोइन से यहां तक की दूरी मात्र 24 किमी रह जाती है। यह जल प्रपात इतना बडा है कि इसे मोवोन गांव से भी गिरते हुए देखा जा सकता है। इस फॉल्स की कुल ऊंचाई 337 मीटर यानी 1,106 फीट दर्ज की गई है।
इस जलप्रपात को भारत के सबसे ऊंचे जलप्रपातों में गिना जाता है। प्राकृतिक नजारों से घिरा यह वाटर फॉल्स बहुत हद तक सैलानियों को रोमांचित करने का काम करता है। नए गंतव्य के खोजी इस स्थान का प्लान बना सकते हैं।
भारत का अनोखा इतिहास बताता है मुंबई का प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम
नोह्ससिथियांग फॉल्स(Nohsngithiang)
PC- Rohan Mahanta
नोह्ससिथियांग फॉल्स को मौसमी और सात बहनों के झरने के नाम से भी जाना जाता है। यह जलप्रपात मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के मौसमी गांव से 1 किमी दक्षिण में स्थित है। इस झरने की कुल ऊंचाई 315 मीटर यानी 1033 फीट है और चौड़ाई 70मीटर की है। यह विशाल जलप्रपात भारत के चुनिंदा सबसे खास जलप्रपातों में गिना जाता है। यह जलप्रपात बरसात के दिनों में खासी की चुना पत्थर की चट्टानों की चोटी से गिरता है। इन चट्टानों के साथ यह नोह्ससिथियांग काफी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। सूर्योदय के समय यहां का दृश्य देखने लायक होता है। पूर्वोत्तर की सैर के दौरान आप यहां का प्लान जरूर बनाएं।
कयनरम फॉल्स (Kynrem)
PC-MitaliBaruah
केनरम फॉल्स को भारत का सातवां सबसे ऊंचा जलप्रपात कहा जाता है। यह वाटरफॉल मेघालय के पूर्वी खासी पहाड़ियों के तट पर चेरापूंजी से 12 किलोमीटर दूर थांगखारंग पार्क के अंदर स्थित है। कयनरम झरनों का समूह है जहां तीन तिहाई झरने है। यहां पानी 305 मीटर की ऊंचाई से गिरता है।
पहाड़ी वनस्पतियों के बीच यह प्राकृतिक जलप्रपात बहुत हद तक सैलानियों को रोमांचित करने का काम करता है। मेघालाय यात्रा के दौरान आप इस स्थल की सैर का प्लान बना सकते हैं।
वान्टावंग फॉल्स (Vantawng)
PC- Didini Tochhawng
उपरोक्त झरनों के अलावा आप मिजोरम में सरचिप जिले स्थित वान्टावंग फॉल्स वाटर फॉल की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह जलप्रपात थेंज़वल से 5 किमी की दूरी पर स्थित है। सरचिप से लगभग 30 किमी और आइजोल से 137 किमी दूर, वांतावंग फॉल्स को मिजो भाषा में वांतावंग खौथला(Vantawng Khawhthla) भी कहा जाता है। अपनी 229 मीटर की ऊंचाई के साथ यह जलप्रपात भारत का 13वां सबसे ऊंचा जलप्रपात है। यह वाटरफॉल राज्य में बहने वाली सभी नदियों और जलप्रपात की तुलना में ज्यादा आकर्षक है।
आसपास के प्राकृतिक नजारें इस स्थान को खास बनाने का काम करते हैं। ध्यान रखें कि इस जलप्रपात के नजदीक जाना जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन पर्यटन विभाग द्वारा लगाए गए व्यू प्वाइंट की मदद से आप यहां के अद्भुत दृश्यों को देख सकते हैं।