भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन से ही अंग्रेजों ने हिन्दुस्तान को भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से प्रभावित करना शुरू कर दिया था। अपने अनुकूल वातावरण बनाने के लिए ब्रिटिश अफसरों ने यहां नवाबों और जमींदारों का अपना निशाना बनाया। चंद संख्या होने के बावजूद ये भारतीयों में फूट डालने में कामयाब रहे।
अपने प्रभुत्व को सुदृढ़ करने के लिए इन्होंने शाही महलों और भवनों को अपने अनुसार बनाने का प्रयास किया। इसके अलावा कई विभिन्न प्रांतों में आधिकारिक आवासों और धार्मिक स्थानों(चर्च) का निर्माण करवाया। वर्तमान भारत में ऐसी कई संरचनाओं को देखा जा सकता है जिनका संबध प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से औपनिवेशिक काल से रहा है।
इस खास लेख में आज हमारे साथ जानिए एक ऐसी ही प्राचीन सरंचना के बारे में जो लगभग 150 वर्षों तक विदेशी आक्रमणों और षड्यंत्रों का गढ़ बनी रही।
चेन्नई का ऐतिहासिक किला
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दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य का ऐतिहासिक फोर्ट सेंट जॉर्ज वो किला है जिसे भारत में पहले ब्रिटिश किले का दर्जा प्राप्त है। इस किले की स्थापना सन् 1644 में चेन्नई (प्राचीन मद्रास) शहर में की गई थी। इस किले के बनने के बाद यहां आगे बस्तियों का निर्माण हुआ और व्यापारिक गतिविधियों की शुरुआत हुई।
वर्तमान में इस किले को राज्य सरकार का औपचारिक भवन बना दिया गया है। जहां तमिलनाडु विधानसभा और अन्य आधिकारिक विभाग मौजूद हैं। यह किला तमिलनाडु राज्य के 163 अधिसूचित क्षेत्रों (मेगालिथ साइट्स) में से एक है।
कौन थे सेंट जॉर्ज ?
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यह जानना शायद थोड़ा जरूर हो जाता है कि वो व्यक्ति कौन था जिसके नाम पर इस खूबसूरत किले का निर्माण करवाया गया। ऐतिहासिक साक्ष्य बताते हैं कि सेंट जॉर्ज ग्रीक मूल का एक रोमन सिपाही और रोमन सम्राट डायकोलेटियन के अंगरक्षकों में एक अफसर था। माना जाता है कि अपने ईसाई धर्म को न त्याग कर पाने की वजह से उन्हें मौत की सजा दी गई थी।
सेंट जॉर्ज की मौत के बाद उन्हें ईसाई धर्म का एक शहिद और एक सम्मानित संत का दर्जा दिया गया, जिन्होंने अपने धर्म को त्यागने की बजाय मौत को गले लगाना बेहतर समझा। उन्हें आज भी एक धर्मयोद्धा माना जाता है। यह ऐतिहासिक किला उनके सम्मान में उसी दिन(23 अप्रैल 1644 ) बनकर तैयार हुआ जिस दिन सेंट जॉर्ज का जन्म हुआ था।
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एक ऐतिहासिक संग्रहालय
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वर्तमान में यह किला एक आधिकारिक भवन होने के साथ-साथ एक ऐतिहासिक संग्रहालय भी है। किला संग्रहालय अंग्रेजी के अधीन भारत और ब्रिटिश शासन की कई वस्तुओं को प्रदर्शित करता है। यह आलिशान इमारत सन् 1795 में बनकर तैयार हुई थी जिसमें पहली मद्रास बैंक का कार्यायल बनाया गया। हॉल का ऊपरी भाग सावर्जिनक भाग था जिसमें पब्लिक मीटिंग, लॉटरी ड्रॉ और मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यहां मौजूद अवशेष भारत में ब्रिटिश शासन को प्रदर्शित करते अनुस्मारक हैं।इसके अलावा इस किेले संग्रहालय में हथियार, सिक्के, पदक, वर्दी, इंग्लैंड-स्कॉटलैंड से आयातित वस्तुएं और फ्रांस और भारत के औपनिवेशिक काल से संबंधित अन्य कलाकृतियों शामिल हैं। यहां ब्रिटिश मेजर जनरल क्लाइव और कॉर्नवालिस द्वारा लिखे गए मूल पत्र मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं।
अन्य महत्वपूर्ण भवन
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किले में देखने लायक और भी कई आकर्षक भवन मौजूद हैं। इमारत की पहली मंजिल में एक बैंक्वेटिंग हॉल (दावत हॉल) शामिल है, जिसमें किले के गवर्नर और अन्य उच्च अधिकारियों की पेंटिंग्स शामिल हैं। यहां संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर खड़ी 14.5 फीट की मूर्ति देखने लायक है। यह खबसूरत मूर्ति इंग्लैंड में चार्ल्स बैंक द्वारा बनाई गई थी जिसे भारत लाया गया। इसके अलावा किले का किले में फ्लैग स्टॉफ (यहां ध्वजारोहण किया जाता है) देश में सबसे ऊंचा माना जाता है जो टीक की लकड़ी से बना 150 फीट का है।
इसके अलावा नमक्कल काविंगार मालिगै कैंपस भी देखने लायक इमारत है। यह 10 मंजिला इमारत राज्य सचिवालय का पावर सेंटर है, जिसमें सचिवों और अन्य अफसरों के कार्यालय हैं। इस भवन को 2012-14 के बीच 28 करोड़ की लागत से पुनर्निर्मित किया गया था।
कैसे करें प्रवेश
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ऐतिहासिक सेंट जॉर्ज का किला तमिलनाडु राज्य के राजधानी शहर चेन्नई में है। चेन्नई से आप टैक्सी यहा प्राइवेट कैब के सहारे यहां तक पहुंच सकते हैं। चेन्नई पहुंचने के लिए आप रेल मार्ग (चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन) और हवाई मार्ग (चेन्नई एयरपोर्ट) का सहारा ले सकते हैं।
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