आपने कई बार सुना होगा कि कभी इस जगह पर तो कभी उस जगह पर जानवरों, पौधों और इंसानों के जीवाश्म पाए गए हैं। ये बहुत ही दिलचस्प और रोचक खोज हैं, जो हमें लाखों करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर जीवन होने के प्रमाण देते हैं। लाखों करोड़ों साल पहले जीवन के ऐसे ही कुछ सबूतों के साथ चलिए चलते हैं भारत के कुछ ऐसे ही जीवाश्म उद्यानों की सैर पर।
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इंड्रोडा डायनासोर और जीवाश्म उद्यान
अगर आप जुरासिक पार्क जैसे फिल्म के बहुत बड़े शौक़ीन हैं और उन्हें बार-बार देखना पसंद करते हैं तो, इंड्रोडा डायनासोर और जीवाश्म उद्यान आपको ज़रूर ही अपनी ओर आकर्षित कर उत्साहित करेगा। यहाँ आप डायनासोर के वास्तविक अड्डों के दर्शन कर पाएंगे जो बीते हुए क्रीटेशस अवधि से सम्बन्ध रखते हैं।
इंड्रोडा डायनासोर और जीवाश्म उद्यान
Image Courtesy: FabSubeject
उद्यान में आदमकद आकार के डायनासोर के मॉडल भी बने हुए हैं जिनमें उनके नाम और पूरी जानकारी दी हुई हैं। दिलचस्प बात यह है कि इंड्रोडा डायनासोर और जीवाश्म उद्यान को भारत का जुरासिक पार्क भी कहा जाता है और यह भारत का इकलौता डायनासोर संग्रहालय है। इंड्रोडा डायनासोर और जीवाश्म उद्यान गुजरात में अहमदाबाद से करीब 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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शिवालिक जीवाश्म उद्यान
शिवालिक जीवाश्म उद्यान में प्रागैतिहासिक जानवरों के जीवाश्म अवशेष स्थित हैं जो पहले हिमाचल प्रदेश के शिवालिक पर्वतों पर रहते थे। ऐसा कहा जाता है कि ये प्रागैतिहासिक कशेरुकी जीवाश्म लगभग 2.5 करोड़ वर्ष पुराने हैं। शिवालिक जीवाश्म उद्यान में एक खुली प्रदर्शनी भी है जहाँ 6 विलुप्त हो चुके जानवरों के जीवन आकर मॉडल प्रदर्शित हैं। यहाँ एक छोटा सा संग्रहालय भी है जहाँ जानवरों की खोपड़ी, चित्र और हड्डियां प्रदर्शित की गई हैं।
शिवालिक जीवाश्म उद्यान
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खुली प्रदर्शनी में जानवरों के फाइबरग्लास के मॉडल भी शामिल हैं, जैसे नुकीले दाँत वाले बिल्ली, विशाल ज़मीन का कछुआ, बड़े दाँत वाले हाथी, दरियाई घोडा, घड़ियाल और चार सींग वाले जिराफ। शिवालिक जीवाश्म उद्यान को सुकेती जीवाश्म उद्यान भी कहा जाता है जो एशिया के सबसे बड़े जीवाश्म उद्यानों में से एक है। सुकेती गाँव हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 250 किलोमीटर दूर है।
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राष्ट्रीय जीवाश्म लकड़ी उद्यान, तिरुवक्कारई
राष्ट्रीय जीवाश्म लकड़ी उद्यान अपनी तरह का एक अद्वितीय उद्यान है जहाँ लकड़ी के पत्थर बन गए जीवाश्म(पेड़ों के जीवाश्म) पाए जाते हैं, जो लगभग 20 करोड़ साल पुराने हैं। आज इस उद्यान में पेड़ों के कुंडलाकार छल्ले और गड्ढे वाली संरचनाओं के साथ 200 लकड़ी के पत्थर बन गए जीवाश्म शामिल हैं। राष्ट्रीय जीवाश्म लकड़ी उद्यान तमिलनाडु राज्य के विल्लुपुरम में तिरुवक्कारई गाँव में स्थित है।
राष्ट्रीय जीवाश्म लकड़ी उद्यान, तिरुवक्कारई
Image Courtesy: Prabhupuducherry
घुघुआ जीवाश्म उद्यान
घुघुआ जीवाश्म उद्यान में पौधे,फल,पत्ते और बीजों के जीवाश्म का संग्रह है जो लगभग 65 लाख साल पुराने हैं। हालाँकि यह उद्यान मुख्यतः नीलगिरी जीवाश्म के लिए जाना जाता है जो अब तक का यहाँ सबसे पुराना खोजा गया जीवाश्म है। यहाँ पर पाए जाने वाले ताड़ के जीवाश्म भी कुछ खास और अलग प्रकार के हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इस उद्यान में डायनासोर के अण्डों के भी जीवाश्म पाए गए हैं। घुघुआ जीवाश्म उद्यान मध्य प्रदेश के शाहपुरा नगर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
घुघुआ जीवाश्म उद्यान
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सलखान जीवाश्म उद्यान
सलखान जीवाश्म उद्यान भारत के अनूठे जीवाश्म उद्यानों में से एक है। यहाँ शैवाल और स्ट्रोमेटोलाइट (अवसादी चट्टान) के जीवाश्म पाए जाते हैं। सलखान जीवाश्म उद्यान जिसे सोनभद्रा जीवाश्म उद्यान भी कहा जाता है, कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य के निकट ही स्थित है। यह उत्तरप्रदेश के रॉबर्ट्सगंज शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
मंडला जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान
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मंडला जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान
मंडला जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान में ऐसे पेड़ पौधों के जीवाश्म पाए जाते हैं जो भारत में लगभग 40 से 150 लाख साल पहले से मौजूद हैं। इन पेड़ों के जीवाश्म मंडला जिले के कई गाँव में फैले हुए हैं। यहाँ तक कि, दिलचस्प बात यह है कि यहाँ मोलस्क(सीपों) के जीवाश्म पाए गए हैं जो यह दर्शाते हैं कि लाखों साल पहले समुद्र का किनारा भी यहाँ स्थित था। चूँकि जबसे यह क्षेत्र नर्मदा नदी के किनारे पर आया है, ऐसा कहा जाता है कि यह पहले एक तटीय क्षेत्र हुआ करता था जो किसी भूवैज्ञानिक हलचल की वजह से अलग हो गया। मंडला जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के मंडला जिले में स्थित है।
राष्ट्रीय जीवाश्म लकड़ी उद्यान
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राष्ट्रीय जीवाश्म लकड़ी उद्यान
राष्ट्रीय जीवाश्म लकड़ी उद्यान तमिलनाडु में स्थित एक अन्य लकड़ी जीवाश्म उद्यान है। इस उद्यान में एक शंकुवृक्ष पेड़ के जीवाश्म अवशेष मौजूद हैं जो लगभग 120 लाख साल पुराने हैं। इस पेड़ का तना आकार में काफी बड़ा है और उद्यान में अच्छी तरह से संरक्षित रखा गया है। यह उद्यान तमिलनाडु के सथानुर में स्थित है।
ये जीवाश्म अवशेष कई साल पहले युगों की याद दिलाते हैं जिनके बारे में हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इस तरह के सदियों पुराने जानवर या संयंत्र जीवाश्म जो हमारे क्षेत्रों में रहते थे उनको देखना सही में दिलचस्प और चौंका देने वाला नज़ारा होगा।
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