यूं तो मुंबई में घूमने को काफी कुछ है..लेकिन अगर आप ऐतिहासिक जगह घूमने या जानने के इच्छुक है तो आपको मुंबई दक्षिणी भाग में स्थित घारापुरी गुफाएं जरुर घूमनी चाहिए। ये गुफाएं एक आइलैंड पर स्थित है...जोकि आमची मुंबई से करीब 1 घंटे की दूरी पर स्थित..इस गुफा तक फेरी के जरिये पहुंचा जा सकता है।
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ये गुफाएं कलात्मक गुफ़ाओं के कारण प्रसिद्ध है। यहाँ कुल सात गुफाएँ हैं। जिनमे पांच गुफाएं हिंदुयों की है तो दो बौद्ध गुफा है। अगर बात इन गुफाओं के अस्तित्त्व के बारे में की जाये तो कहा जाता है की ये गुफाएं पांचवी और आठवीं सदी के बीच की हैं लेकिन अभी भी इन गुफाओं के अस्तित्त्व के बारे में जानकारियां जुटाई जा रही है। बताया जाता है कि इन गुफायों का निर्माण सिल्हारा राजा द्वारा किया गया था..जिन्होंने उस दौरान कोंकण और मुंबई में शासन किया था।
चलिए चलते हैं पुराने दौर में, मुंबई के महाकाली गुफ़ाओं के ज़रिए!
मुख्य गुफा में 26 स्तंभ हैं, जिसमें शिव को कई रूपों में उकेरा गया हैं। पहाड़ियों को काटकर बनाई गई ये मूर्तियाँ दक्षिण भारतीय मूर्तिकला से प्रेरित है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि, चालुक्य राजवंश राजकुमार ने जंग जीतने के बाद यहां भगवान शिव के विशाल मंदिर का निर्माण कराया था। लेकिन बाद में जब यहां पुर्तगाली आये और उन्होंने पुरानी गुफायों को छिन्न भिन्न करके हाथियों की मूर्तियाँ बनवाई तो इस गुफा को घारापुरी गुफा से बदलकर एलिफेंटा नाम दे दिया गया। 1987 में यूनेस्को द्वारा एलीफेंटा गुफ़ाओं को विश्व धरोहर घोषित किया गया है।
कैसे पहुंचे
कोलाबा स्थित गेटवे ऑफ इंडिया टर्मिनल से इस द्वीप पर नौका द्वारा पहुंचा जा सकता है। यहां जाने का किराया बहुत सस्ता है और ये सेवा व्यक्ति को हर एक घंटे में दो बार उपलब्ध होती है। टूरिस्ट नौका के माध्यम से यहां एक घंटे के अंतराल में पहुंचते हैं।आपको बता दें की नौका विहार की ये पेशकश मुंबई हार्बर द्वारा की गयी है।PC:Udaykumar PR
क्या क्या देखे
जब आप फेरी के जरिये घारापुरी गुफा की ओर जायेंगे तो आप समुंद्र के बीच में बैठकर यूनिवर्सिटी टॉवर, विक्टोरिया टर्मिनस टॉवर और होटल ताज आदि देख सकते हैं।जैसे ही ये नौका द्वीप पर रूकती है आप वहीँ से ही सीधे गुफा के अन्दर जाने वाली सीढ़ियों के पास जा सकते हैं।
PC:Jorge Láscar
इतिहास
मौर्य वंश, चालुक्य, सिलहरास, यादव वंश, अहमदाबाद के मुस्लिम राजाओं, पुर्तगालियों, मराठा और अंत में ब्रिटिश शासन के अधीन रह चुका यह द्वीप अपने इतिहास को दर्शाता है।जिसके पहले समूह में पांच हिंदू गुफाएं हैं, जिनमें पत्थरों को काटकर भगवान शिव के विभिन्न रूपों को दर्शाया गया है।
PC: Udaykumar PR
पांडवों ने किया था निर्माण
एलीफेंटा के बारे में लोगों का मानना है कि महाभारत काल में पांडवों ने निवास करने के लिए इस गुफा का निर्माण किया था। पुर्तगालियों को इन गुफाओं में हाथियों की बड़ी-बड़ी मूर्तियां मिली थी जिसके बाद उन्होंने इस स्थान का नाम "एलीफेंटा" रख दिया।PC: Christian Haugen
क्या है गुफा के अंदर?
एलिफेंटा की गुफ़ाएँ के पर्वत पर भगवान शिव की मूर्ति भी है। मंदिर में एक बड़ा हॉल है जिसमें भगवान शिव की नौ मूर्तियों के खण्ड विभिन्न मुद्राओं को प्रस्तुत करते हैं।इस गुफ़ा में शिल्प कला के कक्षो में अर्धनारीश्वर, कल्याण सुंदर शिव,रावण द्वारा कैलाश पर्वत को ले जाने, अंधकारी मूर्ति और नटराज शिव की उल्लेखनीय छवियाँ दिखाई गई हैं। एलिफेंटा में भगवान शंकर के कई लीला रूपों की मूर्तिकारी, एलौरा और अजंता की मूर्तिकला के समकक्ष ही है। एलिफेंटा की गुफाओ में चट्टानों को काट कर मूर्तियाँ बनाई गई है। इस गुफ़ा के बाहर बहुत ही मज़बूत चट्टान भी है।इसके अलावा यहाँ एक मंदिर भी है जिसके भीतर गुफ़ा बनी हुई है।PC:Leon Yaakov
एलिफेंटा झील
एलिफेंटा झील के किनारे बैठकर आप द्वीप की खूबसूरती को निहार सकते हैं...यहां आप कई विभिन्न प्रजातियों को भी देख सकते हैं।PC:SONORAMA
सोमवार बंद
सोमवार के दिन यहां प्रवेश बंद रहता है।
समय
एलीफेंटा की गुफाओं में घूमने का समय सुबह 9 बजे से लेकर शाम पांच बजे तक होता है..PC: Sahil Ahuja