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अमृतसर में नहीं, यहां है भारत का असली स्वर्ण मंदिर, जड़ा है हजारों किलो सोना

दक्षिण भारत में भी एक स्वर्ण मंदिर मौजूद है, जिसे दुनिया के अजूबों में शामिल किया गया है। यह मंदिर श्रीपुरम या महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है। golden temple of south India.

अमृतसर स्थित हरमंदिर साहिब को भारत का 'स्वर्ण मंदिर' माना जाता है, जिसकी खास वजह, मंदिर के बाहरी हिस्से में स्वर्ण का जड़ा होना। यह मुख्यत: सिख संप्रदाय के धार्मिक केंद्र के रूप में जाना जाता है। धार्मिक व पर्यटन के लिहाज से यह मंदिर विश्व विख्यात है।
लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उत्तर भारत के इस गोल्डन टेंपल की ही भांति दक्षिण भारत में भी एक स्वर्ण मंदिर मौजूद है, जिसे दुनिया के अजूबों में शामिल किया गया है। यह मंदिर श्रीपुरम या महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है। आईए जानते हैं, पर्यटन की दृष्टि से यह मंदिर आपके लिए कितना खास है।

1500 किलो सोने का प्रयोग

1500 किलो सोने का प्रयोग

PC- Dsudhakar555

श्रीपुरम की मुख्य विशेषता यहां स्थित लक्ष्मी नारायणी मंदिर है, जिसके 'विमान' (गर्भगृह का ऊपरी भाग) व 'अर्ध मंडप' शुद्ध सोने से ढका हुआ है। यह श्री लक्ष्मी नारायणी का आवासीय भाग है। यह पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर बन गया है, जिसके निर्माण में शुद्ध 1500 किलों सोने का इस्तेमाल किया गया है। यह स्वर्ण मंदिर वेल्लोर (तमिलनाडु) के थिरूमलाई कोडी में स्थित है। 100 एकड़ में फैला यह स्वर्ण मंदिर चारों तरफ से हरियाली से घिरा है। जो इस मंदिर को एक अगल रमणीय रूप प्रदान करता है।
अगर आप इस मंदिर का अनोखा रूप देखना चाहते हैं, तो रात्रि के समय का नजारा अवश्य देखें। कृत्रिम रोशनी के सहारे, रात के अंधेरे में यह मंदिर किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता है। साथ ही आप इस मंदिर की अद्भुत वास्तुकला का भी आनंद जरूर उठाएं।

सर्व तीर्थम सरोवर

सर्व तीर्थम सरोवर

PC- Ag1707

इस स्वर्ण मंदिर की संरचना पर अगर ध्यान दिया जाए, तो इसे एक वृताकार रूप में बनाया गया है। यहां दक्षिण भारतीय वास्तुकला का अद्भुत मेल देखा जा सकता है। मंदिर के ठीक बाहरी तरफ एक कृत्रिम सरोवर बनाया गया है। इस सरवोर की खास बात यह है, कि इसमें भारत की मुख्य पावन नदियों का जल मिश्रित है। इस दैविक खासियत की वजह से इस सरोवर को 'सर्व तीर्थम सरोवर' का नाम दिया गया है।
अगर आप यहां आएं तो इस दैविक सरोवर के सानिध्य में थोड़ा समय जरूर बिताएं। बता दें कि स्वर्ण मंदिर के निर्माण के पीछे बड़ा हाथ सन्यासी अम्मा का है। जिनकी वजह से अब यह स्थान एक तीर्थ स्थल बन गया है।

अन्य आकर्षण

अन्य आकर्षण

PC- Dsudhakar555

इस मंदिर के निर्माण में लगभग 7 वर्षों का समय लगा, यह मंदिर 100 एकड़ की जमीन पर फैला हुआ है। कहा जाता है, इस मंदिर को बनाने में तकरीबन 300 करोड़ की धनराशि का इस्तेमाल किया गया है। रात में इस मंदिर की स्वर्ण चमक देखने लायक होती है। इस मंदिर को 24 अगस्त 2007 में सार्वजनिक किया गया था। बता दें कि मंदिर के अंदर श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन के लिए आपको क्लाक वाईज घूमते हुए पूर्व दिशा की ओर बढ़ना होगा। दर्शन के बाद आपको फिर पूर्व की ओर बढ़कर दक्षिण दिशा से बाहर होना पड़ेगा।

दीपमाला के दर्शन

दीपमाला के दर्शन

PC- Ashwin Kumar

मंदिर के परिसर में एक 27 फीट ऊंची एक दीपमाला स्थापित की गई है। इस दीपमाला की खासियत यह है, कि इसे जलाते ही, पूरा मंदिर स्वर्ण रूप धारण कर, चमकने लगता है। यह दीपमाला देखने में बहुत ही आकर्षक है, जिसका अपना अलग धार्मिक महत्व है। यहां आए भक्त भगवान विष्णु-देवी लक्ष्मी के दर्शन करने के बाद इस दीपमाला के दर्शन अवश्य करते हैं, जिसे वे एक अनिवार्य प्रकिया मानते हैं।

 पर्यटकों के मध्य आकर्षण

पर्यटकों के मध्य आकर्षण

PC- Sayowais

यह स्वर्ण मंदिर अपनी खास विशेषताओं के चलते पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। दूर-दराज से दक्षिण भारत घूमने आए सैलानी इस मंदिर के दर्शन करने अवश्य आते हैं। अगर आप इस बीच दक्षिण भारत की सैर का प्लान बना रहे हैं, तो श्रीपुरम स्वर्ण मंदिर के दर्शन करना न भूलें। यहां आप मन की शांति के साथ प्राकृतिक सौंदर्यता का भी लुत्फ उठा पाएंगे। बता दें कि इस मंदिर का निर्माण 2007 में करवाया गया था। मंदिर के सुरक्षा में 24 घंटे पुलिस फोर्स का सख्त पहरा रहता है।

 किस तरह करें प्रवेश

किस तरह करें प्रवेश

PC- Chandraprasad

थिरूमलाई कोडी स्थित स्वर्ण मंदिर के दर्शन करने के लिए आपको तमिलनाडु के वेल्लोर आना होगा। वेल्लोर से थिरूमलाई लगभग 8 किमी की दूरी पर स्थित है। वेल्लोर से चेन्नई की दूरी 145 किमी की है। आप सड़क मार्ग का सहारा लेकर इस स्वर्ण मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। साथ ही आप यहां रेलवे व हवाई मार्ग से भी प्रवेश कर सकते हैं। अच्छा होगा आप चेन्नई से हवाईअड्डे/रेल मार्ग का सहारा लें।

वेल्लोर का किला

वेल्लोर का किला

PC- K S Sai Krishna

स्वर्ण मंदिर के दर्शन करने के बाद अगर आप चाहे तो वेल्लोर स्थित 'वेल्लोर फोर्ट' की सैर का आनंद ले सकते हैं। यह किला वेल्लोर के अतीत से संबंध रखता है। इस किले की मुख्य दीवारें विशाल ग्रेनाईंट के पत्थरों से बनी हुई हैं, जो भूमिगत नालों के पानी से भरी गहरी खाइयों से घिरी हुई हैं। किले के अंदर प्रवेश करने पर आपको प्राचीन जलकंटेश्वर मंदिर मिलेगा। किले की वास्तुकला दक्षिण भारत की उत्कृष्ट कला का अद्भुत नमूना है। आप किले के अंदर हिंदू मंदिर, ईसाई चर्च व मस्जिद को भी देख सकते हैं। कहा जाता है, ब्रिटिश हुकूमत के दौरान टीपू सुल्तान, अपने परिवार के साथ यहां इस किले में कुछ दिन ठहरे थे। इसी वजह से इस किले को 'टीपू महल' भी कहा जाता है।
रत्नगिरि मंदिर

रत्नगिरि मंदिर

PC- RAJUKHAN SR RAJESH

वेल्लोर से लगभग 10 किमी की दूरी पर भगवान बालामुरूगन को समर्पित रत्नागिरि मंदिर स्थित है। अगर आप चाहें, तो अपनी दक्षिण भारत की यात्रा में इस भव्य मंदिर को भी शामिल कर सकते हैं। बता दें कि इस मंदिर को 4 हेयर-पिन बेंड मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर के मुख्य तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 150 कदम पैदल चलना होगा।

बालामाथी

बालामाथी

PC- Dsudhakar555

बालामाथी, वेल्लोर से लगभग 30 मिनट की दूरी पर पहाड़ों पर बसा एक खूबसूरत गांव है। यह गांव अपने शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। अगर आप चाहें तो घर वापसी के दौरान इस खूबसूरत गांव की मनमोहक आबोहवा का लुत्फ उठा सकते हैं। यहां का तापमान शहर की तुलना में काभी निम्न है। शहर के गर्म मौसम के बीच यह गांव एक आदर्श विकल्प है, जहां आप कुछ समय प्रकृति के साथ बिता सकते हैं।

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