में जिस तरह मंदिरों का महत्व " loading="lazy" width="100" height="56" />भारत में जिस तरह मंदिरों का महत्व
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हर शाम भारत की तीन खूबसूरत जगह गंगा आरती का आयोजन किया जाता है..इन पवित्र शहरों के नाम है, हरिद्वार,ऋषिकेश, और वारणसी। लेकिन क्यों होती है गंगा आरती और इसका क्या मतलब है? आखिर गंगा आरती का महत्व क्या है..जिसे देखने हजारो श्रद्धालु भारत की पावन धरती पर पहुंचते हैं ?
क्या है गंगा आरती?
आरती हिन्दू उपासना की एक विधि है। इसमें जलती हुई लौ या इसके समान कुछ खास वस्तुओं से आराध्य के सामाने एक विशेष विधि से घुमाई जाती है। ये लौ घी या तेल के दीये की हो सकती है या कपूर की। इसमें वैकल्पिक रूप से, घी, धूप तथा सुगंधित पदार्थों को भी मिलाया जाता है। जिसे भक्तगण गंगा के पानी में प्रवाहित करते हैं..यह भेंट गंगा मैय्या को अर्पित होती है।
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कैसे की जाती है गंगा आरती?
गंगा आरती का आयोजन गंगा नदी के घाट पर आयोजित होती है..आरती के दौरान एक दिया जलाया जाता है..जिसे वहां का पंडित नदी के सामने गोल गोल घुमाता है..इस दौरान ढोल नगाड़े भी बजाये जाते हैं.. आरती खत्म होने के बाद भक्त आरती लेते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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कहां होती है गंगा आरती?
जैसा कि ऊपर बताया गया है, गंगा आरती हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी में गंगा नदी के तट पर हर शाम (बारिश, ओलों, या चमक!) होती है। हालांकि, इनमें से प्रत्येक जगह में समारोह बहुत अलग है। हर जगह गंगा आरती के बारे में जानने के लिए स्लाइड्स में पढ़ें
हरिद्वार गंगा आरती
हरिद्वार गंगा आरती हरि-की-पौड़ी घाट में आयोजित की जाती है। इस प्रसिद्ध घाट का शाब्दिक अर्थ है "भगवान का पैर" एक पत्थर की दीवार पर एक पदचिह्न भगवान विष्णु से संबंधित कहा जाता है आध्यात्मिक महत्व के संदर्भ में, हरि-कि-पौड़ी को दशशवमेघ घाट के बराबर माना जाता है जहां वाराणसी में आरती होती है। पौराणिक कथा, की माने तो,अमृत को पाने की भगा दौड़ी में जब गरुड अमृत के मटके को लेकर भाग रहे थे..तो उसकी कुछ बूंदे हरिद्वार में गिर गयी थी।
कैसे गंगा आरती में भाग ले?
आरती को देखने के लिए आप घाट पर बनी सीढियों पर जाकर बैठकर आरती का लुत्फ उठा सकते हैं...इसके अलावा आप आप आरती में हिस्सा ले सकते हैं..वहां जाकर खुद गंगा माँ की आरती कर सकते हैं.इस दौरान आपको पंडित को कुछ दान-दक्षिणा अर्पित करनी होगी..
अनुशंसित है। अगर आप पहली बार गंगा आरती में हिस्सा लेने जा रहे है..तो पंडित को 501 रूपये से ज्यादा की धनराशी ना दे।
कैसे जाएँ
हरिद्वार अच्छी तरह सड़क मार्ग से राष्ट्रीय राजमार्ग 58से जुड़ा है जो दिल्ली और मानापस को आपस में जोड़ता है।
ट्रेन द्वारा
निकटतम ट्रेन स्टेशन हरिद्वार में ही स्थित है जो भारत के सभी प्रमुख नगरों को हरिद्वार से जोड़ता है।
हवाई जहाज द्वारा
निकटतम हवाई अड्डा जौली ग्रांट, देहरादून में है लेकिन नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को प्राथमिकता दी जाती है।
ऋषिकेश की गंगा आरती
ऋषिकेश में सबसे प्रसिद्ध गंगा आरती परमार्थ निकेतन आश्रम में नदी के तट पर आयोजित की जाती है। यह हरिद्वार और वाराणसी की तुलना में अधिक अंतरंग और आरामदायक होती है, यहां आने वाले लोग इस आरती को इसलिए पसंद करते हैं..क्यों कि उन्हें यहां आध्यात्मिक शांति का एहसास होता है।
इस घाट पर आरती का आयोजन पंडित नही बल्कि आश्रम के लोगो द्वारा किया जाता है..साथ ही वह बच्चे भी इन आरतियों का अयोज करते हैं..जो इस आश्रम में वेदों की शिक्षा ग्रहण करने हेतु आये हैं। यहां आरती का योजन सबसे पहले भजन गाकर किया जाता है, फिर उसे बाद दीपक जलाया जाता है और आरती होती है।
ऋषिकेश में गंगा आरती में कैसे हिस्सा लें?
परमार्थ निकेतन सभी आगंतुकों का दिल खोलकर स्वागत करते हैं..आरती में हिस्सा लेने के लिए आरती के समय से पहले पहुंचे वरना आपको पीछे ही बैठना होगा...आरती में जाने से पहले जूतों को बाहर ही उतार दें..
कैसे पहुंचे ऋषिकेश
वायुमार्ग
ऋषिकेश से 18 किलोमीटर की दूरी पर देहरादून के निकट जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट नजदीकी एयरपोर्ट है। एयर इंडिया, जेट एवं स्पाइसजेट की फ्लाइटें इस एयरपोर्ट को दिल्ली से जोड़ती है।
रेलमार्ग
ऋषिकेश का नजदीकी रलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो शहर से 5 किलोमीटर दूर है। ऋषिकेश देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग
दिल्ली के कश्मीरी गेट से ऋषिकेश के लिए डीलक्स और निजी बसों की व्यवस्था है। राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से दिल्ली और उत्तराखंड के अनेक शहरों से ऋषिकेश के लिए चलती हैं।
वाराणसी की गंगा आरती
वाराणसी गंगा आरती काशी विश्वनाथ मंदिर के पास, पवित्र दशसावमेद्घा घाट पर हर सूर्यास्त के समय सम्पन्न होती है। यहां होने वाली आरती हरिद्वार और ऋषिकेश से अलग है क्योंकि यह एक बेहद कोरियोग्राफ समारोह है। भव्य गंगा आरती का साक्षी बनने सात समंदर पार से पर्यटकों का हुजूम बनारस के इन घाटों पर उमड़ता है।
आरती में कैसे हिस्सा ले
लोग आरती को नजदीक से देखने के लिए घाट पर 5 बजे ही आना शुरू कर देते हैं...इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा पर हर साल के अंत में वाराणसी में विशेष रूप से विस्तृत पैमाने पर एक महा आरती (महान आरती)का आयोजन होता है..जिसे देखने कई लोग यहां पहुंचते हैं।
कैसे जाएँ
वायु द्वारा
बाबतपुर विमानक्षेत्र (लाल बहादुर शास्त्री विमानक्षेत्र) शहर के केन्द्र से 25 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है और चेन्नई, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, खजुराहो, बैंगकॉक, बंगलुरु, कोलंबो एवं काठमांडु आदि देशीय और अंतर्राष्ट्रीय शहरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
ट्रेन द्वारा
उत्तर रेलवे के अधीन वाराणसी जंक्शन एवं पूर्व मध्य रेलवे के अधीन मुगलसराय जंक्शन नगर की सीमा के भीतर दो प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं। इनके अलावा नगर में 16अन्य छोटे-बड़े रेलवे स्टेशन हैं।
सड़क द्वारा
एन.एच.-2दिल्ली-कोलकाता राजमार्ग वाराणसी नगर से निकलता है। इसके अलावा एन.एच.-7, जो भारत का सबसे लंबा राजमार्ग है, वाराणसी को जबलपुर, नागपुर, हैदराबाद, बंगलुरु, मदुरई और कन्याकुमारी से जोड़ता है।