ग्वालियर शहर आगरा के दक्षिण में 122 किलोमीटर दूर स्थित है जो मध्य प्रदेश की पर्यटन राजधानी है। यह मध्य प्रदेश राज्य का चौथा बड़ा शहर है। यह एक ऐतिहासिक शहर है जो अपने मंदिरों, प्राचीन महलों और करामाती स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है जो किसी भी यात्री को पुराने ज़माने में ले जाते हैं। ग्वालियर को हिन्द के किले के हार का मोती कहा जाता है।
यह स्थान ग्वालियर किले के लिए प्रसिद्ध है जो कई उत्तर भारतीय राजवंशों का प्रशासनिक केंद्र था। बताया जाता है कि ग्वालियर वह स्थान है जहाँ इतिहास आधुनिकता से मिलता है। यह अपने ऐतिहासिक स्मारकों, किलों और संग्रहालयों के द्वारा आपको अपने इतिहास में ले जाता है तथा साथ ही साथ यह एक प्रगतिशील औद्योगिक शहर भी है। आधुनिक भारत के इतिहास में ग्वालियर को अद्वितीय स्थान प्राप्त है।
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यदि बात यहां मौजूद पर्यटन के आयामों पर हो तो बता दें की ग्वालियर में पर्यटन के अनेक आकर्षण हैं। ग्वालियर फ़ोर्ट(किला), फूल बाग़, सूरज कुंड, हाथी पूल, मान मंदिर महल, जय विलास महल आदि किसी भी पर्यटक को सम्मोहित करते हैं। इसके अलावा यह स्थान महान भारतीय गायक तानसेन का जन्म स्थान भी है। ग्वालियर में प्रतिवर्ष तानसेन संगीत समारोह मनाया जाता है।
हिंदुस्तानी संगीत की ख्याल घराने की शैली का नाम इस शहर के नाम पर ही पड़ा है। ग्वालियर सिख और जैन तीर्थ स्थानों के लिए प्रसिद्ध है। आइये इस लेख के जरिये जाना जाये कि एक पर्यटक को ग्वालियर में क्या क्या देखना चाहिये।
ग्वालियर किला
भारत का शानदार और भव्य स्मारक, ग्वालियर का किला ग्वालियर के केंद्र में स्थित है। पहाडी की चोटी पर स्थित इस स्थान से घाटी और शहर का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है। पहाड़ी की ओर जाने वाले वक्र रास्ते की चट्टानों पर जैन तीर्थंकरों की सुंदर नक्काशियां देखी जा सकती हैं। वर्तमान में स्थित ग्वालियर किले का निर्माण तोमर वंश के राजा मान सिंह तोमर ने करवाया था। ग्वालियर किले की वास्तुकला अद्वितीय है जिस पर चीन की वास्तुकला का प्रभाव देखा जा सकता है। ग्वालियर किले के स्तंभों पर ड्रैगन की नक्काशियां हैं जो उस समय के भारत चीन संबंधों का प्रमाण हैं। यह मध्यकालीन भारतीय वास्तुकला के श्रेष्ठ उदाहरणों में से एक है।
हाथी पूल
हाथी पूल ग्वालियर किले का मुख्य प्रवेश द्वार है। किले के छह प्रवेश द्वारों से निकलने के पश्चात ही यहाँ पहुंचा जा सकता है। यह सातवाँ और आख़िरी दरवाज़ा है जिससे गुजरने के बाद ही किले तक पहुंचा जा सकता है। इस द्वार से सीधे मान मंदिर महल में प्रवेश किया जा सकता है जिसका निर्माण राजा मान सिंह ने किया था। किसी समय में इस किले के प्रवेश द्वार पर पत्थर की बनी हुई हाथी की एक आदमकद मूर्ति थी। इस स्थान के नाम का यह भी एक कारण हो सकता है। अन्य कारण यह भी हो सकता है कि यह इतना बड़ा है कि हाथी भी इसमें से होकर निकल सकता है।
जय विलास महल
जय विलास महल आज भी सिंधिया राजवंश और उनके पूर्वजों का निवास स्थान है। इसके एक भाग का उपयोग आजकल संग्रहालय की तरह किया जाता है। इसका निर्माण जीवाजी राव सिंधिया ने 1809 में किया था। लेफ्टिनेंट कर्नल सर माइकल फ़िलोस इसके वास्तुकार थे। इसकी स्थापत्य शैली इतालवी, टस्कन और कोरिंथियन शैली का अद्भुत मिश्रण है। यहाँ सिंधिया शासनकाल के कई दस्तावेज़ और कलाकृतियाँ तथा औरंगज़ेब और शाहजहाँ की तलवार है। इटली और फ़्रांस की कलाकृतियां और जहाज़ भी यहाँ प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं।
तानसेन स्मारक
तानसेन स्मारक जिसे तानसेन की कब्र भी कहा जाता है, ग्वालियर का एक प्रमुख स्मारक है। तानसेन को उनके गुरु मुहम्मद गौस के साथ यहाँ दफनाया गया था। तानसेन अकबर के दरबार के प्रसिद्ध संगीतकार थे। वे हिंदुस्तानी संगीत के बड़े दिग्गज थे। वे अकबर के दरबार के नौ रत्नों में से एक थे। उनके गुरु सूफी संत मुहम्मद गौस थे। तानसेन ने भी सूफी संस्कृति का पालन किया। तानसेन के बारे में पौराणिक कथा यह है कि जब वे मेघ मल्हार राग गाते थे तो बरसात होने लगती थी।
देव खो
देव खो वह स्थान है जहाँ प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक सुंदरता है। यह जंगली जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियों का आवास है। अत: यह वह स्थान है जहाँ प्राणी और पक्षी प्रेमी नियमित रूप से जाते हैं। इसके अलावा देव खो प्राचीन शिव मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है जो एक सुंदर पहाड़ी पर स्थित है। अनेक भक्त और वास्तुकला प्रेमी यहाँ आते हैं। यह शहर से 16 किमी. की दूरी पर स्थित है। वे लोग जिन्हें फ़ोटोग्राफ़ी का शौक है उन्हें यहाँ की सैर अवश्य करनी चाहिए।
गुजरी महल
ग्वालियर में स्थित गुजरी महल भारत के प्रसिद्ध पुरातात्विक संग्रहालयों में से एक है। यह इमारत वास्तविक रूप से एक महल थी जिसका निर्माण राजा मान सिंह ने अपनी पत्नी मृगनयनी के लिए करवाया था जो एक गूजर थी। अत: इस महल का नाम गुजरी महल पड़ा। वर्ष 1922 में पुरातात्विक विभाग द्वारा इसे एक संग्रहालय में बदल दिया गया। इस संग्रहालय में 28 गैलरियां और 9000 कलाकृतियाँ हैं। यहाँ 1 ली शताब्दी के समय की कलाकृतियाँ भी हैं। इसके अलावा यहाँ मूल्यवान पत्थर, रत्न, टेराकोटा की वस्तुएं, हथियार, मूर्तियाँ, पेंटिंग्स, शिलालेख, मिट्टी के बर्तन आदि का प्रदर्शन भी किया गया है।
कैसे जाएं ग्वालियर
फ्लाइट द्वारा : ग्वालियर में हवाई अड्डा है। यह शहर के केंद्र से केवल 8 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ से दिल्ली, वाराणसी, जयपुर, आगरा, इंदौर, मुंबई आदि स्थानों के लिए नियमित उड़ानें हैं। निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली है जो ग्वालियर से लगभग 320 किमी. की दूरी पर स्थित है।
रेल द्वारा : ग्वालियर रेलवे स्टेशन शहर के मध्य में स्थित है। यह दिल्ली - चेन्नई और दिल्ली - मुंबई रेल लाइन का मुख्य रेलवे स्टेशन है। ग्वालियर सभी प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली आदि से रेल सेवा द्वारा जुड़ा हुआ है। रेल मार्ग द्वारा इस शहर की सैर करना एक सस्ता विकल्प है।
सड़क मार्ग द्वारा : ग्वालियर के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है। लक्ज़री बसें और टैक्सी या राज्य संचालित बसें भी हमेशा उपलब्ध रहती हैं। दिल्ली, आगरा, इंदौर और जयपुर से भी बसें उपलब्ध हैं। यहाँ अच्छी टैक्सी सुविधा उपलब्ध है जो ग्वालियर और भारत के प्रमुख शहरों के बीच चलती हैं।