मनाली में खूबसूरती की कोई कमी नहीं है। चाहे पहाड़ों की बात की जाए या मंदिरों की, सभी पर्यटकों को काफी मोहित करते हैं। मनाली का हडिम्बा देवी मंदिर भी कुछ ऐसा ही है, जहां एक बार जो चला जाए, बस वही का होकर रह जाता है। पैगोडा शैली में बना यह मंदिर बर्फबारी के बाद दिखने में बेहद सुंदर लगता है। ऐसा लगता है मानिए खुद प्रकृति ने आकर जैसे मंदिर पर सफेद चादर डाल दी हो। यहां चारों ओर देवदार के वृक्ष से घिरा माहौल बर्फ के समय देखने लायक बनता है।
500 साल से भी ज्यादा पुराना है मंदिर
इस मंदिर का निर्माण राजा बहादुर सिंह ने 1553 ईस्वी में करवाया था। हालांकि, यह मंदिर उस समय काल से भी कई ज्यादा पुराना है। ढालू छत वाली शैली में बनी यह मंदिर बेहद खूबसूरत लगती है, जो कुल्लू घाटी की शान कही जाती है। मनाली घूमने जो भी पर्यटक आता है, वो माता के दरबार में हाजरी जरूर लगाता है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाती है, माता उसे पूरा करती हैं।
भीम की पत्नी थी देवी हडिम्बा
हडिम्बा देवी का वर्णन महाभारत काल में भी किया गया है। महाभारत के मुताबिक, देवी हडिम्बा भीम की पत्नी थी, जिनका एक पुत्र था- घटोत्कक्ष। परिसर में मां और पुत्र दोनों के ही मंदिर स्थित है। हडिम्बा एक राक्षसिनी थी, जो बेहद सुंदर थी और भीम को देखते ही उन पर मोहित हो गई थी।
लकड़ी से बना है पूरा मंदिर
हिमाचल का गौरव हडिम्बा देवी मंदिर पूरी तरीके से लकड़ी से निर्मित है। इस मंदिर की छत भी लकड़ी से ढाली गई है। दीवारों पर देवी-देवताओं के चित्र उकेरे गए है, जो मंदिर की सुंदरता में चार-चांद लगा देते हैं। मंदिर में महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति प्रतिस्थापित है। इस मंदिर को धूंगरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की ऊंचाई करीब 82 फीट है।
मंदिर की दीवारों पर जानवरों के टंगे है सींग
हडिम्बा मंदिर के गर्भगृह में एक विशाल शिला है। मंदिर के अंदर माता की पालकी है, जिसे समय-समय पर रंगीन वस्त्र एवं आभूषणों से सुसज्जित कर बाहर निकाला जाता है। यहां पर जानवरों की बलि दी जाती है और उसके बाद उनकी सींग यहीं पर टांग दी जाती है। इसके प्रमाण आपको मंदिर के दीवारों पर देखने को मिल जाएंगे। ज्येष्ठ संक्रांति के दिन यहां भारी मेला भी लगता है, जो यहां के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है और इसकी काफी मान्यता भी है।
कैसे पहुंचें हडिम्बा देवी मंदिर
हडिम्बा देवी मंदिर का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा भुंतर एयरपोर्ट है, जो यहां से करीब 50 किमी. दूर है। वहीं, मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर है, जो यहां से करीब 150 किमी. दूर है। इसके अलावा यहां सड़क मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है।