जैसे हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का बड़ा ही महत्व होता है, उसी तरह से मुस्लिम समुदाय में हज यात्रा का बड़ा ही महत्व माना जाता है। मुसलमानों का मानना है कि अगर वे जिंदगी में एक बार हज की यात्रा कर लेते हैं तो वे अपने खुदा के सबसे करीब हो जाते हैं और उन्हें जन्नत नसीब होती है। हज यात्रा इस्लाम के पांच स्तम्भों में से एक माना जाता है।
दरअसल, इस्लाम के पांच स्तम्भ है- कलमा पढ़ना, नमाज पढ़ना, रोजा रखना, जकात देना और हज पर जाना। ऐसा माना जाता है कि जो मुसलमान अपनी जिंदगी में इन सभी स्तम्भों का पालन करता है, उसके इंतकाल के बाद उसे जन्नत बक्शी जाती है। अगर देखा जाए तो एक मुसलमान को अपनी जिंदगी में कलमा पढ़ना, नमाज अदा करना और रोजा रखना बेहद जरूरी है। लेकिन जकात देने और हज पर जाने के लिए कुछ छुट दी गई है। दरअसल, जिनके पास पैसा हो या वो जकात देने और हज करने में सक्षम हो तो वही करें।
कब से शुरू हो रही है हज यात्रा
इस बार की हज यात्रा 7 जुलाई से शुरू हो रही है, जो 12 जुलाई तक चलेगी। क्योंकि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, साल के 12वें महीने के 8वें दिन से लेकर 13वें दिन तक हज यात्रा की जाती है, जो इस महीने के 7 जुलाई से लेकर 12 जुलाई तक है। वहीं, अधिकतर इस्लामिक देशों में ईद-उल-अदहा 9 जुलाई को मनाए जाने की उम्मीद है।
हज यात्रा में आखिर क्या होता है?
हज यात्रा के पहले चरण में यात्रियों को इहराम (बिना सिला हुआ कपड़ा) शरीर से लपेटना होता है। इहराम बांधने के बाद कुरान की आयतें पढ़ी जाती है। फिर काबा पहुंचना होता है, जहां नमाज अदा की जाती है। फिर काबा का तवाफ (परिक्रमा) करना होता है, जहां काबा की तरफ रुख करके दुनियाभर के देशों से आए तमाम हाजी नमाज अदा करते हैं। इसके बाद सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों के बीच में 7 चक्कर लगाने होते हैं।
इन पहाड़ियों को लेकर ऐसी मान्यता है कि यही वो पाक जगह है, जहां हजरत इब्राहिम की पत्नी अपने बेटे इस्माइल के लिए पानी की तलाश करने पहुंची थीं। फिर मक्का से करीब 5 किमी. दूर मीना जगह पर सारे हाजी इकट्ठा होते हैं और शाम तक नमाज पढ़ते हैं। इसके अगले दिन अराफात नाम की जगह पर पहुंचकर अल्लाह से दुआ मांगते हैं। फिर मीना लौटकर आते हैं, जहां शैतान को कंकड़-पत्थर मारा जाता है। शैतान को दर्शाते हुए यहां तीन खंभे बनाए गए हैं, जहां सभी हाजी 7-7 पत्थर मारते हैं।
हज यात्रा पर कैसे पहुंचें
हज, सऊदी अरब के मक्का शहर में की जाती है। दरअसल, काबा यानी कि 'खुदा का घर' मक्का में ही है, जिनकी ओर मुसलमान मुंह करके नमाज अदा करते हैं। यही कारण है कि ये मुसलमानों का सबसे पाक तीर्थस्थल है।