भारत मंदिरों के अलावा आस्था और अंधविश्वास का देश है। मंदिरों तक बात अवश्य ही समझ गए होंगे आप, मगर जब बात आस्था और अंधविश्वास की हो तो माथे का ठनकना लाज़मी है। अब इसे आस्था कहें या अंधविश्वास भारत में कई ऐसे स्थान है जहां आप लोगों को माथा टेकते, चादर चढ़ाते, अगरबत्ती और मोमबत्ती जलाते और फूल विसर्जित करते देख सकते हैं। इस स्थानों की सबसे दिलचस्प बात ये है कि इन स्थानों पर लोगों की मन्नतें पूरी भी खूब होती हैं। बहरहाल आज हम आपको बताएंगे 1967 में मरे उस फौजी बाबा हरभजन सिंह की मज़ार के बारे में जिसको सिर्फ आस्था और विश्वास के चलते आज भी भारत सरकार अपने खर्चे पर एसी फर्स्ट क्लास से घर भेजती है।
इस अद्भुत मंदिर का नाम है बाबा हरभजन सिंह मेमोरियल मंदिर, ये मंदिर गंगटोक के जेलेप्ला दर्रे और नाथू ला दर्रे के बीच में स्थित है और एक लोकप्रिय तीर्थ केंद्र है, जहां हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं। यह माना जाता है कि मंदिर में मनोकामनाएं पूर्ण करने की शक्तियां हैं, मंदिर में आने वाले भक्त मंदिर में पानी की एक बोतल छोड़ देते हैं और वापसी के दौरान उसे ले लेते हैं। इस मंदिर के पीछे बहुत ही रोचक कथा है। कहा जाता है: यह मंदिर 23वें पंजाब रेजिमेंट के सिपाही, बाबा हरभजन सिंह की स्मृति में बनाया गया है, जो करीब 35 साल पहले डेंग ढुकला की ओर खच्चरों के एक झुंड को ले जाते वक्त यहां से लापता हो गये थे।
इस के बाद जब छान बीन हुई, तो तीन दिन बाद बाबा का शव मिला। यह कहा जाता है कि उनके शरीर को इसलिये खोजा जा सका, क्योंकि उन्होंने खुद लोगों को अपने शव की ओर पहुंचाया था, और एक बार बाबा के सहयोगियों ने उन्हें सपने में देखा और फिर उनकी स्मृति में मंदिर बनवाया।
यह वो समय था, जब मंदिर अस्तित्व में आया। मंदिर में उनकी स्मृति में एक समाधि है और कहा जाता है कि वे मंदिर में आते हैं और हर रात चक्कर लगाते हैं। माना जाता है कि वे आज भी ड्यूटी पर हैं और भारत-चीन सीमा पर तैनात सैनिकों के जीवन की रक्षा करते हैं।
हर साल छुट्टी पर जाते हैं बाबा
इस स्थान की सबसे ख़ास बात ये है कि यहां से हर साल बाबा हरभजन सिंह को 14 सितंबर को उनकी वार्षिक छुट्टी दी जाती है और बाबा पंजाब स्थित अपने पैतृक गांव कपूरथला जाते हैं। इस दौरान बाबा का पूरे सामान को सरकारी जीप में लादकर सेना के दो सैनिकों की निगरानी में रेलवे स्टेशन ले जाया जाता है जहां पहले से ही एसी फर्स्ट क्लास के 3 टिकट बुक रहते हैं।
इस दौरान बाबा के परिवार को बाबा की साल भर की सैलरी भी दी जाती है। गौरतलब है कि इस दौरान रेलवे स्टेशन पर किसी त्योहार से कम भीड़ नहीं रहती और लोग बाबा के सामान की एक झलक पाने के लिए बिलकुल दीवाने रहते हैं।
तस्वीरों में और जानिये बाबा हरभजन सिंह के इस मंदीर के बारे में ...
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बाबा हरभजन सिंह का रहस्यमयी मंदिर
यह मंदिर 23वें पंजाब रेजिमेंट के सिपाही, बाबा हरभजन सिंह की स्मृति में बनाया गया है, जो करीब 35 साल पहले डेंग ढुकला की ओर खच्चरों के एक झुंड को ले जाते वक्त यहां से लापता हो गये थे।
बाबा हरभजन सिंह का रहस्यमयी मंदिर
कहा जाता है कि उनके शरीर को इसलिये खोजा जा सका, क्योंकि उन्होंने खुद लोगों को अपने शव की ओर पहुंचाया था, और एक बार बाबा के सहयोगियों ने उन्हें सपने में देखा और फिर उनकी स्मृति में मंदिर बनवाया।
बाबा हरभजन सिंह का रहस्यमयी मंदिर
माना जाता है कि वे आज भी ड्यूटी पर हैं और भारत-चीन सीमा पर तैनात सैनिकों के जीवन की रक्षा करते हैं।
बाबा हरभजन सिंह का रहस्यमयी मंदिर
गंगटोक का ये मंदिर हमेशा से ही आने वालों के बीच आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा है।
बाबा हरभजन सिंह का रहस्यमयी मंदिर
इस मंदिर के पानी में चिकित्सीय गुण के चलते यहां आने वाले लोग अपने साथ पानी की बोतल अवश्य लेकर आते हैं और पानी भर के घर ले जाते हैं।