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द्वापर युग के साक्ष्य, हस्तिनापुर की सैर!

महाभारत और रामायण ये दो कथाएं भारतीय इतिहास के कण-कण में बसी हुयी है। इन कथाओं से ही मानव काल के चार युगों का वर्णन होता है। इन्हीं चार युगों में से मानवकाल का तीसरा युग, द्वापर युग मानवकाल के सबसे बड़े युद्ध का साक्ष्य है जिसे उत्तरप्रदेश के हस्तिनापुर क्षेत्र में लड़ा गया। कौरवों और पांडवों के बीच की यह भयंकर लड़ाई इसी जगह से जुड़ी हुई है।

चलिए आज हम इसी युद्ध को फिर से उजागर कर इस क्षेत्र की सैर पर चलते हैं।

Hastinapur

हस्तिनापुर
Image Courtesy:
Giridharmamidi

हस्तिनापुर उत्तर प्रदेश में मेरठ के निकट स्थित पांडवों की राजधानी थी। हिंदुओं के महा काव्य, महाभारत में वर्णित घटनाएं इसी क्षेत्र से सम्बंधित हैं। आज भी महाभारत काल से जुड़े कई अवशेष यहाँ मौजूद हैं। कौरवों और पांडवों के कई महल और मंदिरों के अवशेष यहाँ पर सबसे ज़्यादा पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जिनसे महाभारत काल के साक्ष्य आपको मिलते हैं। इसके अलावा हिन्दू इतिहास के अनुसार हस्तिनापुर को सबसे पहले चक्रवर्ती सम्राट भरत की राजधानी के रूप में जाना जाता है।

पौराणिक काल में हस्तिनापुर के राजा का नाम अधिसीम कृष्ण था। मुग़ल काल में हस्तिनापुर पर गुर्जर राजा नैन सिंह का शासन था जिसने हस्तिनापुर में चारों ओर कई मंदिरों का निर्माण किया। सम्राट अशोक के पौत्र, राजा सम्प्रति ने भी यहाँ अपने साम्राज्य के दौरान कई मंदिरों का निर्माण किया है।

Hastinapur

कैलाश पर्वत रचना
Image Courtesy: Sanjeev Kohli

कई आक्रमणों और प्राकृतिक आपदाओं की वजह से कई प्राचीन मंदिर और स्तूप आज यहाँ नहीं हैं। यह प्राचीन नगर गंगा तट पर स्थित था, किन्तु अब नदी यहां से कई मील दूर हट गई है।

हस्तिनापुर से जुडी कथाएं

पौराणिक कथाओं के अनुसार हस्तिनापुर की स्थापना 'हस्तिन्' नामक व्यक्ति द्वारा की गई थी। इसीलिये इसे 'हस्तिनापुर' कहा जाता था। हस्तिन के बाद कई वंशों ने हस्तिनापुर पर राज किया। उन्ही वंशों में एक कुरु के वंश में ही शांतनु और उनके पौत्र पांडु तथा धृतराष्ट्र हुए, जिनके पुत्र पाण्डव और कौरव कहलाए।

Hastinapur

जम्बूद्वीप जैन तीर्थ
Image Courtesy: Jainvaibhav1307

हस्तिनापुर में ही पांडवों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर जुए में द्रौपदी सहित अपना सब कुछ हार गए थे। पांडवों की ओर से शांतिदूत बनकर श्रीकृष्ण यहीं धृतराष्ट्र की सभा में आए थे। अपने पिता शांतनु की सत्यवती से विवाह करने की इच्छा पूरी करने के लिए भीष्म पितामह ने अपना उत्तराधिकार छोड़ने और आजीवन अविवाहित रहने का प्रण यहीं पर किया था। महाभारत युद्ध में विजय प्राप्ति के बाद पांडवों ने हस्तिनापुर को ही अपनी राजधानी चुना।

पुराणों के अनुसार गंगा की बाढ़ के कारण यह नगर पूरी तरीके से तबाह हो गया था जिसके बाद पांडव हस्तिनापुर को छोड़कर कौशाम्बी चले गए। अभी हाल ही में हस्तिनापुर और कौशाम्बी में हुए खुदाई से इसकी पुष्टि हुयी है। इस खुदाई में मिले अवशेषों से महाभारत के प्राचीन कलाओं और संस्कृति का पता चलता है। यहाँ के बचे अवशेष आपको सीधे महाभारत काल के प्राचीन कथाओं में ले जायेंगे।

Hastinapur

पांडेश्वर महादेव मंदिर
Image Courtesy: Giridharmamidi

हस्तिनापुर में स्थित पर्यटक केंद्र

पांडेश्वर महादेव मंदिर

यहाँ स्थित 'पांडेश्वर महादेव मंदिर' की काफ़ी मान्यता है। कहा जाता है यह वही मंदिर है, जहाँ पांडवों की रानी द्रौपदी पूजा के लिए जाया करती थी। 7000 साल पुराने इस मंदिर में भगवान शिव जी की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है की यह वही जगह है जहाँ कौरवों और पांडवों ने वेदों और पुराणों की शिक्षा ली थी।

Hastinapur

श्री दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर
Image Courtesy: Muditjain1210

श्री दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर

हस्तिनापुर जैन समुदाय का भी एक पवित्र तीर्थस्थल है। यहाँ जैन धर्म के कई तीर्थंकारों का जन्म हुआ था। यही वजह है कि यहाँ काफ़ी संख्या में जैन मंदिर भी मौजूद हैं। इन्हीं जैन मंदिरों में से एक, श्री दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर हस्तिनापुर में स्थित सबसे प्राचीन मंदिर है। यहाँ के प्रमुख देवता जैन समुदाय के 16 वें तीर्थंकार श्री शांतिनाथ हैं, जो पद्मासन में बैठे हुए हैं। इस जैन मंदिर के अलावा हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप जैन तीर्थ, कैलाश पर्वत रचना, श्री श्वेताम्बर जैन मंदिर भी स्थित हैं।

कर्ण मंदिर

कर्ण मंदिर का निर्माण लगभग 4000 ईसवीं पूर्व पांडेश्वर मंदिर के समीप ही गंगा नदी की घाटी में हुआ था। कहा जाता कि इस मंदिर में कर्ण ने स्वंय शिवलिंग की स्थापना की थी।

Hastinapur

कर्ण मंदिर
Image Courtesy: Giridharmamidi

इन आकर्षक केंद्रों के अलावा हस्तिनापुर में सिख समुदायों का पवित्र स्थल, भाई धर्म सिंह गुरुद्वारा भी स्थापित है। इन धार्मिक स्थलों के साथ-साथ हस्तिनापुर का वन्यजीव अभ्यारण्य भी पर्यटकों के बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र है। हस्तिनापुर हर वर्ष यहाँ आयोजित होने वाले छोटे बड़े मेलों के लिए भी प्रसिद्ध है, जिनमें लोगों की काफी भीड़ जमा होती है।

हस्तिनापुर पहुंचें कैसे?

अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।

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