'हजारद्वारी महल' कोलकाता शहर(पश्चिम बंगाल) से लगभग 236 किमी की दूरी पर स्थित मुर्शिदाबाद का प्रसिद्ध ऐतिहासिक महल है। जो अपने रहस्यमय दरवाजों के लिए जाना जाता है। यह महल लगभग 41 एकड़ में फैला है जिसे प्रसिद्ध वास्तुकार 'मैकलिओड डंकर' ने ग्रीक शैली में बनाया था। यह महल बंगाल के नवाब 'मीर जाफर' (सिराजुद्दौला के बाद सत्ता में आए) के उत्तराधिकारी 'नवाब नाज़िम हुमायूं जहां' के शासनकाल (1824-1838) में बनवाया गया था।
यह महल आज भारत के चुनिंदा खूबसूरत प्राचीन संरचनाओं में गिना जाता है। इस एकमात्र महल को देखने के लिए रोजाना सैलानियों का जमावड़ा लगता है। आइए जानते पर्यटन के लिहाज से यह महल आपके लिए कितना खास है। साथ में जानिए महल के आभासी दरवाजों के भ्रमजाल के बारे में।
आभासी दरवाजों का भ्रमजाल
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भागीरथी नदी के किनारे बसा यह महल अपने रहस्यमयी दरवाजों के लिए जाना जाता है। तीन मंजिले इस महल में 114 कमरें और 1000 दरवाजे मौजूद हैं। गौर करने वाली है यह है कि इन हजार दरवाजों में से सिर्फ 100 असली है जबकि बाकी 900 आभासी हैं, जो पत्थर के बने हुए हैं। सुरक्षा के लिहाज से बनाए गए ये आभासी दरवाजे देखने में हूबूह असली द्वार जैसे ही प्रतित होते हैं लेकिन इनमें आने जाने का रास्ता नहीं है। बता दें कि इस महल को पहले 'बारा कोठी' के नाम से जाना जाता था।
क्यों बनाए गए भ्रामक दरवाज़े
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सुरक्षा के लिहाज से महल में मौजूद 1000 में से 900 भ्रामक दरवाजे बनाए गए थे। ताकि युद्ध व अज्ञात हमलों की स्थिति में महल क लोग अपनी सुरक्षा खुद कर सकें। कहा जाता है ये आभासी दरवाजे हमलावरों को भ्रमित करने का काम करते थे। जिससे टकराकर हमलावर गंभीर रूप से घायल हो जाते थे या महल के सिपाहियों द्वारा पकड़े जाते थे। सिर्फ महल के लोगों को ही इन दरवाजों के रहस्य के बारे में पता था। बाहरी व्यक्ति के लिए यह महल किसी भूल भुलैया से कम नहीं।
सबसे बड़ा संग्रहालय
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यह महल अपने विशाल संग्रहालय के लिए भी जाना जाता है। जिसे सन् 1985 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सौंप दिया गया था। हजारद्वारी संग्रहालय उन तमाम संग्रहालयों में बड़ा माना जाता है जो एएसआई के संरक्षण में हैं। इस म्यूज़ियम में 4742 पुरावस्तुएं मौजूद हैं, जिनमें से 1034 वस्तुएं पर्यटकों को दिखाने के लिए रखी गई हैं। यहां विभिन्न प्रकार के हथियार(डच, फ्रांसिसी, इतावली), प्राचीन मानचित्र, चीनी मिट्टी व धातुओं से बनी मूर्तियां, दुर्लभ किताबें, पाण्डुलिपियां, भू-राजस्व संबंधी दस्तावेज़ आदि संग्रहित किए गए हैं।
संग्रहालय में मौजूद अन्य खास चीजें
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इस विशाल संग्रहालय में राजशाही पालकियां भी मौजूद हैं, जिनमें से अधिकतर 18वीं और 19 शताब्दी से संबंध रखती हैं। यहां लगभग 2700 विभिन्न प्रकार के देशी-विदेशी हथियार मौजूद हैं। इन हथियायों में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और उनके परिवार की तलवारें देखी जा सकती हैं। इन पुरावस्तुओं को देखने के बाद पर्यटक यहां की 'विन्टेज कारों' को भी देख सकते हैं, जिनका इस्तेमाल शाही घरानों के द्वारा किया जाता था। यहां एक बड़ा पुस्तकालय भी मौजूद हैं, जिसके अंदर आसानी से जाया नहीं जा सकता है, विशेष अनुमति के बाद ही कोई इस पुस्तकालय में दाखिल हो सकता है। बता दें कि यहां अकबर के जीवन पर लिखी किताब 'अकबरनामा' की मूल प्रति सुरक्षित रखी गई है। (अबुल फजल द्वारा लिखित)
देखने लायक चीजें
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महल के दरवाजों व विशाल संग्रहालय को देखने के बाद आप चाहें तो महल परिसर में मौजूद अन्य चीजों को भी देख सकते हैं। जिनमें घड़ी घर, मदीना मस्जिद, इमामबाड़ा और बच्चावली तोप मुख्य हैं। बच्चावली तोप 12 से 14 शताब्दी के दौरान बनाई गई थी, जो 16 फीट लंबी है। इस विशाल तोप में 18 किलों बारूद भरा जाता था। जो एक बड़ा धमाका करने के लिए काफी था। बताया जाता है कि इस तोप से एकबार इतना बड़ा धमाका हुआ था कि कई गर्भवती महिलाओं ने समय से पहले ही बच्चों को जन्म दे दिया था। इसलिए इस तोप का नाम बच्चावली रखा गया ।
कैसे करें प्रवेश
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हजारद्वारी महल को देखने के लिए आप तीनों मार्गों से आ सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाई अड्डा कोलकाता स्थित 'दमदम एयरपोर्ट' है। रेल मार्ग के लिए आप 'मुर्शिदाबाद रेलवे स्टेशन' का सहारा ले सकते हैं। इसके अवाला अगर आप चाहें तो सड़क मार्ग के द्वारा मुर्शिदाबाद तक का सफर तय कर सकते हैं। कोलकाता से यहां तक के लिए बस सेवा उपलब्ध हैं। बता दें कि यह महल शुक्रवार के दिन बंद रहता है। आप बाकी किसी भी दिन आकर इस महल का दीदार कर सकते हैं।