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220 वर्ष पुरानी यह जेल शरीफों को बनाती है अपना शिकार

भारत स्थित ऐसी जेल जो अपराधियों को नहीं बल्कि सरीफों को बनाती है अपना शिकार। Read all about telangana located Sangareddy Heritage Jail Museum.

समाज में शांति बनी रहे इसलिए देशों में कड़े कानून बनाए गए हैं, और जो इनका उल्लंघन करता है, उनको जेल की हवा खानी पड़ती है। जेल जहां मामूली चोरों से लेकर कुख्यात अपराधियों को रखा जाता है। लेकिन जरा सोचिए क्या ऐसी भी कोई जेल होती होगी, जहां चोर-डकैतों की जगह शरीफों को कैदी बनाकर रखा जाता हो? आप भी सोच रहे होंगे कि भला जेल कब से शरीफों का अड्डा बन गई।

वैसे बता दें कि ऐसी कोई जेल नहीं है और न ही बनाई जाती हैं, लेकिन हां अगर आप जेल में रहकर कैदियों की तरह कुछ दिन बिताना चाहते हैं, तो आप तेलंगाना की इस खास जेल में आ सकते हैं। जहां आपको एक भी अपराधी नहीं बल्कि अच्छे भले लोग ही नजर आएंगे। आइए जानते हैं शरीफों की इस जेल की पूरी गुत्थी के बारे में।

तेलंगाना की संगारेड्डी जेल

तेलंगाना की संगारेड्डी जेल

इस शरीफों की जेल का नाम है 'संगारेड्डी जेल', जो करीब 220 वर्ष पुरानी बताई जाती है। अंग्रेजों के जमाने की इस खास जेल को अब पर्यटन के लिहाज से खोल दिया गया है। कानूनी तौर पर इस जेल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। पर हां अगर आप इस जेल में थोड़ा कैदियों वाला अनुभव लेना चाहते हैं तो यहां आपका स्वागत है। इस जेल को अब एक म्यूजियम में परिवर्तित कर दिया गया है।

500 रूपए देकर बनें कैदी

500 रूपए देकर बनें कैदी

कुछ ही समय में यह जेल इतनी लोकप्रिय हो गई है, कि यहां पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। इस जेल में कैदियों का अनुभव लेने के लिए प्रतिदिन 500 रूपए का शुल्क अदा करना पड़ता है। जिसके बाद आप यहां के कड़े प्रशासन का हिस्सा बन जाएंगे। आप यहां कम से कम 24 घंटे यानी एक दिन कैदियों की तरह बिता सकते हैं। इस जेल की बढ़ती लोकप्रियता के कारण इसका नाम 'फील द जेल' रख दिया गया है।

जेल का कड़ा प्रशासन

जेल का कड़ा प्रशासन

जेल में दाखिल होने के बाद आपके साथ प्रशासन कैदियों जैसा ही बर्ताव करेगा, डरिए नहीं..आपको साथ कोई गलत बर्ताव नहीं किया जाएगा, पर हां कुछ जरूरी नियम जो हर जेल प्रशासन कैदियों के लिए बनाता है, उनका पालन आपको करना होगा। जैसे आपको यहां जेल के कपड़े पहनने होंगे, जेल का सादा भोजन खाना होगा, यहां तक की आपको अपने मोबाइल फोन तक जमा करने होंगे। कई बार पर्यटक बीच में ही जेल छोड़ देते हैं। पर अब ऐसा करने पर आपको अलग से 500 रूपए फाइन देना पड़ेगा।

क्या-क्या करना होगा

क्या-क्या करना होगा

इस जेल में कैदी बने पर्यटकों को 5 बजे के बाद बंद कर दिया जाता है। जिसके बाद आप किसी से भी नहीं मिल सकते हैं। आपको यहां साफ-सफाई भी खुद करनी होगी, और खाना खाने के लिए कैदियों जैसी लाइन भी लगानी होगी। जरा सोचिए कैसा लगता होगा जब आप कैदियों के कपड़ों में खाने के लिए लाइन लगाएंगे वो भी बिना किसी जुर्म के। ऐसा अनुभव शायद ही कहीं मिलता होगा।

अलग-अलग बैरक

अलग-अलग बैरक

आज इस जेल को ऐतिहासिक विरासत के रूप में पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। जिसमें पुरुष व महिलाओं के लिए अलग - अलग बैरकों का निर्माण करवाया गया है। पुरुषों के लिए यहां 9 बैरक जबकि महिलाओं के लिए 1 बैरक उपलब्ध है। महिला बैरक में गैस रूम से लेकर किचन व बर्तन धोने का सारा इंतजाम है।

जेल का उद्देश्य

जेल का उद्देश्य

तेलंगाना की संगारेड्डी जेल करीब 3 एकड़ में फैली है, जिसका दोबारा से इस्तेमाल करने का उद्देश्य बड़ा क्रांतिकारी कदम है। जेल प्रबंधन के अनुसार ऐसी खास पर्यटन जेल बनाने का मकसद लोगों को कैदियों की दिनचर्या के बारे में बताना है। जिससे लोग कैदियों की असल जिंदगी से रूबरू हो सकें। अगर किसी व्यक्ति को पहले से ही यह पता चल जाए कि जुर्म करने बाद उसका क्या हश्र होगा, तो भला वो अपराध क्यों करेगा, बल्कि वो दूसरों को इस विषय में सही जानकारी व ज्ञान दे सकता है।

जेल का संक्षिप्त इतिहास

जेल का संक्षिप्त इतिहास

जानकारी के अनुसार इस जेल का निर्माण 'सालरजंग' के समय 1796 में करवाया गया था। 1947-48 के समय इस जेल का प्रमुख 'दारोगा' हुआ करता था । 3 एकड़ में बनी यह जेल उस समय की बड़ी जेलों में शामिल थी। इस जेल की मजबूत दीवारों से पता चलता है, कि इसे बनाने में काफी समय लगा होगा।

कैसे आएं संगारेड्डी जेल

कैसे आएं संगारेड्डी जेल

हैदराबाद से संगारेड्डी की दूरी लगभग 60-65 किमी की है। हैदराबाद से आप इस 'पर्यटन जेल' के लिए सड़क परिवहन का सहारा ले सकते हैं। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन हैदराबाद और सिकंदराबाद है, जो भारत के अहम शहरों से जुड़ा हुआ है। आप चाहें तो हवाई मार्गं के जरिए भी हैदराबाद आ सकते हैं, 'हैदराबाद एयरपोर्ट' से सीधी फ्लाइटें बडे़ शहरों के लिए उपलब्ध हैं।

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