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तंत्र-साधना का गुप्त मार्ग बनीं ये रहस्यमयी गुफाएं

भारतीय उपमहाद्वीप में मौजूद प्राचीन गुप्त गुफाएं जो कभी अपने तंत्र-साधना के लिए प्रसिद्ध थीं। The ancient secret caves found in Indian subcontinent, were once famous for their secret worship.

भारतीय उपमहाद्वीप अनसुलझे रहस्यों के साथ-साथ एकांत तंत्र-साधना का गढ़ भी माना जाता है। जंगलों और गुप्त गुफाओं में आज भी कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं, जहां गुप्त सिद्धियां प्राप्त की जाती थीं। दुश्मनों पर जीत, धन संपदा व पौत्र प्राप्ति इन साधनाओं के मुख्य उद्देश्य हुआ करते थे। जबकि मध्य काल के दौरान की कुछ ऐसी भी गुफाएं मिली हैं जिनका इस्तेमाल एकांत निवास व उपासना के लिए किया जाता था।

बहुत सी प्राचीन गुफाओं में देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मिली है, जो कई सालों पुरानी बताई जाती हैं। कुछ प्रतिमाएं हिन्दू, बौद्ध व जैन धर्म से संबंधित है जबकि कुछ मूर्तियों का दावा कुल देवी के होने का किया जाता है। हमारे साथ जानिए भारत में स्थित कुछ चुनिंदा गुफा मंदिरों को बारें में जिनका अस्तित्व आज भी बरकरार है।

जोगेश्वरी गुफा मंदिर

जोगेश्वरी गुफा मंदिर

PC- Vks0009

मुंबई स्थित जोगेश्वरी गुफा को भारत की प्राचीन गुफा मंदिरों में गिनी जाती हैं। जहां आज भी हिन्दू देवी-देवताओं और बौद्ध धर्म से जुड़ी प्रतिमाएं स्थापित हैं। यहां मौजूद मूर्तियां लगभग 1500 साल पुरानी हो सकती हैं। इस गुफा में बौद्ध महायान वास्तुकाल के अंतिम चरण की मूर्तियां मौजूद हैं। जिसके बाद यहां हिन्दू धर्म से जुड़ी प्रतिमाएं स्थापित की गईं। इतिहासकारों की मानें तो जोगेश्वरी भारत का सबसे बड़ा हिंदू गुफा मंदिर है।
गुफा के मुख्य गर्भ तक सीढ़ियों के माध्यम से पहुंचा जाता है। दीवारों पर चिपके चमगादर इस गुप्त मार्ग को एक डरावनी शक्ल में परिवर्तित कर देते हैं। गुफा के अंदर मूर्ति की स्थापना गुप्त तंत्र-साधना का संकेत देते हैं। इस गुफा में जोगेश्वरी माता की एक मूर्ति और पैरों के निशान मौजूद हैं। माना जाता है कि जोगेश्वरी मराठी समाज की कुलदेवी हो सकती हैं।

डुंगेश्वरी गुफा मंदिर

डुंगेश्वरी गुफा मंदिर

PC-Hiroki Ogawa

डुंगेश्वरी गुफा मंदिर बिहार के बोधगया से लगभग 12 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां बौद्ध धर्म से जुड़ी तीन गुफाएं मौजूद हैं, जहां स्वयं बौद्ध ने समय बिताया था। इस गुफा को महाकाला के नाम से भी जाना जाता है। इतिहासकारों की मानें तो इस गुफा में गौतम बुद्ध ने लगभग 6 वर्ष बिताए, जिसके बाद उन्होंने बौद्ध गया में प्रवेश किया।
भगवान बुद्ध की इस लंबी तपस्या को चिह्नित करने के लिए यहां दो धार्मिक स्थलों का निर्माण करवाया गया है। कहा जाता है कि सत्य की तलाश में निकले गौतम बुद्ध शारीरिक रूप से काफी कमज़ोर हो गए थे। आज यह पूरा क्षेत्र ध्यान-साधना का मुख्य केंद्र बन गया है। जहां सैलानियों का आवागमन लगा रहता है।

ताबो, हिमाचल प्रदेश

ताबो, हिमाचल प्रदेश

PC- nevil zaveri

ताबो, हिमाचल प्रदेश का एक छोटा नगर है, जो राज्य के लाहौल स्पीति जिले में स्थित है। ताबो समुद्र तल से लगभग 3050 मीटर ऊंचाई पर स्पीती नदी के किनारे बसा है। यह शहर बौद्ध मठों के लिए जाना जाता है। जहां का ताबो गोम्पो मठ विश्व प्रसिद्ध है। ताबो गोम्पो पूरे हिमालय क्षेत्र में बने बौद्ध मठों में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मठ माना जाता है। मठ से सामने प्राकृतिक रूप से निर्मित गुफाएं मौजूद है। जिनमें से अब एक ही सुरक्षित बची है, जिसे स्थानीय लोग 'फू' कहकर संबोधित करते हैं।
इस गुफा में कुछ प्राचीन भित्ती चित्र मौजूद हैं। यहां कुछ चित्र जानवरों के बनें हैं जबकि कुछ अजीब आकृति के रूप में स्थित हैं। हिमालय से निकटता होने के कारण यह गुफा गुप्त साधना का स्थान हो सकती है। क्योंकि हिमालय शुरू से ही अपने एकांत के लिए जाना जाता रहा है।

उदयगिरि और खंडगिरि गुफा, उड़ीसा

उदयगिरि और खंडगिरि गुफा, उड़ीसा

PC- sukanta maity

उदयगिरि और खंडगिरि भारत के उड़ीसा राज्य के भुवनेश्वर के नजदीक दो पहाड़ियां हैं, जहां कुछ प्राचीन और कृत्रिम गुफाएं मौजूद हैं। खंडगिरि 15 गुफाओं का समुह है। माना जाता है कि इन दो पहाड़ियों की गुफाओं का इस्तेमाल जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा किया जाता था। जिनका निर्माण राजा खड़वेले के शासन काल के दौरान करवाया गया। खंडगिरि की तीसरे नं 'अनंत गुफा' यहां मौजूद सभी गुफाओं में सर्वश्रेष्ठ है।
जिसकी दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। उदयगिरी पहाड़ी की गुफाएं लगभग 135 फुट लंबी है जबकि खंडगिरी की गुफाएं 118 फुट ऊंची हैं। यहां मौजूद प्राचीन गुफाएं बौद्ध व जैन धर्म से प्रभावित हैं। जिनका इस्तेमाल एकांत निवास व साधना के लिए किया जाता था।

पातालश्वेर गुफा मंदिर

पातालश्वेर गुफा मंदिर

PC- shankar s.

महाराष्ट्र की प्राचीन अजंता-एलोरा की तरह पुणे स्थित पातालेश्वर गुफा भी ऐतिहासिक महत्व रखती है। यह गुफा 8वीं शताब्दी के दौरान की बताई जाती है, जिसके अंदर भगवान शिव का मंदिर है। पातालेश्वर गुफा मंदिर को बड़ी चट्टान को काटकर बनाया गया है। जहां की भीतरी वास्तुकला देखने लायक है।
इस गुफा में भगवान शिव के अलावा अन्य हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित (भगवान राम, सीता व लक्ष्मण) हैं। जो दर्शकों के मध्य मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं। यहां रोजाना कई सैलानी गुफा मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। इस तरह गुफा में बनाए गए मंदिर गुप्त पूजा अर्चना के संकेत देते हैं।

उन्दावली गुफा, आंध्र प्रदेश

उन्दावली गुफा, आंध्र प्रदेश

PC- Ascswarup

उन्दावली गुफा आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से करीब 6 किमी की दूरी पर स्थित है। इस गुफा को चौथी से पांचवी शताब्दी के मध्य बनाया गया था। यह गुफा मंदिर पूर्ण रूप से हिन्दू देवी-देवताओं को समर्पित है। जिसके प्रमाण गुफा के अंदर देखने पर मिलते हैं।

गुप्त काल के दौरान निर्मित इस गुफा में भगवान विष्णु की लेटी हुई प्रतिमा स्थित है, जिसे देखने के लिए रोजाना कई पर्यटक यहां तक का सफर तय करते हैं। इसके अलावा यहां ब्रह्मा विष्णु महेश को समर्पित कई प्रतिमाएं और आकृतियां मौजूद हैं। बता दें कि इस गुफा में भगवान नरसिंह का भी एक मंदिर बना है।

अर्जुन गुफा हिमाचल

अर्जुन गुफा हिमाचल

PC- Gautamoncloud9

अर्जुन गुफा हिमाचल प्रदेश स्थित एक प्राचीन गुफा है जो पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी है। माना जाता है कुल्लू के नजदीक स्थानों में पांडवों ने तपस्या की थी। ऐसी ही एक पांडव तपोस्थली उझी घाटी में मौजूद है, जहां धनुर्धारी वीर अर्जुन ने कठोर तपस्या की थी जिसके बाद उन्हें ब्रह्मास्त्र प्राप्त हुआ।
बता दें कि यह एक अज्ञात गुफा है जो लगभग 30 मीटर लंबी बताई जाती है। जिसे आसानी से खोजा नहीं जा सकता है। केवल जानकार व्यक्ति ही यहां तक पहुंच सकता है। अर्जुन ने यहां कौरवों पर विजय प्राप्त करने के उद्देश्य से तपस्या की थी। इस गुफा को जानने वाले यहां जरूर आने की कामना करते हैं।

कोटेश्वर गुफा मंदिर

कोटेश्वर गुफा मंदिर

PC- Mamta Baunthiyal

कोटेश्वर महादेव गुफा मंदिर, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है। यह हिन्दू धर्मे के लोगों का मुख्य आस्था का केंद्र है। जिसका निर्माण लगभग 14 वी शताब्दी के आसपास किया गया था। चार धाम की यात्रा के दौरान बहुत से श्रद्धालु यहां माथा टेकने के लिए जरूर आते हैं।
शिव जी को समर्पित यह गुफा मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे बसा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यहां भगवान शिव ने केदारनाथ जाते समय ध्यान लगाया था। इस गुफा में प्राचीन काल की मूर्तियां व शिवलिंग मौजूद हैं। शिवरात्रि के पावन अवसर पर यहां भव्य आयोजन किया जाता है।

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